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जब ताजमहल से टकरा कर फिज़ा में गूंज उठी थी उनकी कई लोकप्रिय गजलें

आगरा से लगाव था पंकज उधास को, छह बार आए थे आगरा, प्रशंसकों में उनके निधन से छाया शोक।

ब्रज पत्रिका, आगरा। मशहूर गजल गायक पंकज उधास का सोमवार को निधन हो गया। वे आगरा में छह बार आए थे और ताज महोत्सव में अपनी गायकी का जादू बिखेरा था, जिससे श्रोतागण झूम उठे थे।

गजल को उर्दू की कठिता से सरल करके जन-जन तक पहुंचाने वाले पंकज उधास ताजमहोत्सव के प्रांरभिक वर्षों लगातार कई साल तक आए। फिर उनके आने में विराम सा लग गया। सन 2022 में शिल्पग्राम में आयोजित हुनर हाट में भी उन्होंने अपनी प्रस्तुति दी थी।

होटल क्लार्क शीराज में आयोजित एक संगीतमयी कार्यक्रम से पूर्व मशहूर गायक पद्मश्री पंकज उधास पत्रकारों से बातचीत करते हुए। (फाइल फोटो)

गजल गायक सुधीर नारायन ने बताया कि,

“अभी पिछले दिनों जब ताज महोत्सव में अनूप जलोटा आए, तब उनसे पंकज उधास के गंभीर स्वास्थ्य की जानकारी मिली थी, लेकिन यह नहीं पता था कि इतनी जल्दी वे इस संसार से विदा हो जाएंगे। उन्होंने संगीत की दुनिया को जितना दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।”

संगीत प्रेमी अरविंद कपूर ने बताया कि,

“वे बहुत ही सीधा-सीधा गाते थे, यह उनकी खूबी थी। उनके निधन से संगीत जगत का एक सितारा टूट गया है।”

वरिष्ठ पत्रकार आदर्श नंदन गुप्ता ने बताया कि,

“पंकज उधास ताज महोत्सव के प्रांरभिक दिनों में आगरा आए थे। सन् 1994 और 1999 में ताज महोत्सव में आने पर उनसे मुलाकात हुई। ताज महोत्सव में ताज के साये में उन्होंने सबसे पहले यहां के मिर्जा गालिब और जन कवि नजीर को याद किया और कहा था कि गालिब तो पूरे देश और दुनिया में गाए जा रहे हैं। शिल्पग्राम में उन्होंने सबसे बाद में अपनी महफिल सजाई। रात 10 बजे बाद सब कुछ शांत था, केवल फिज़ा में पंकज उधास के गीत-गजल ही गूंज रहे थे। लग रहा था जैसे ताजमहल की गुंबद से टकरा कर उनके सुर आ रहे हैं। उन्होंने इस शाम सुनाया-थोड़ी-थोड़ी पीया करो…जिसे सुनकर श्रोता झूम उठे थे। लेकिन श्रोताओं की फरमाइशें बढ़ती जा रही थीं, जिन्हें उन्होंने पूरा किया। अपने गायन का समापन…चांदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल…सुना कर किया था। अब तो उनकी यादें ही शेष रह गई हैं।”

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