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मन लागो मेरो यार फकीरी में…

ब्रज पत्रिका, आगरा। संगीत की एतिहासिक नगरी आगरा में ताल सरगम एकेडमी, आगरा द्वारा दिनांक नौ मार्च को पं. श्रीधर शर्मा स्मृति स्वर-ताल उत्सव-2024 का भव्य आयोजन श्री अटल बिहारी बाजपेयी सभागार, केन्द्रीय हिंदी संस्थान, खंदारी, आगरा में संपन्न हुआ। इसमें देश के ख्यातिलब्ध कलाकारों ने अपनी कर्णप्रिय प्रस्तुतियां देकर आगरा के संगीत रसिकों को आनंदित कर दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबूराव कुलकर्णी, मुख्य अतिथि और प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार एवं उप निदेशक प्रभाकर दयाल द्वारा मां वीणापाणि के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पांजलि अर्पित करके हुआ।

वरिष्ठ संगीत विद्वान पं. श्रीधर शर्मा जी की पावन स्मृति में आगरा नगर के सुविख्यात संगीतज्ञ डॉ. रवि भटनागर एवं पंडित देवेन्द्र वर्मा ‘बजरंग’ को ‘पं. श्रीधर शर्मा स्मृति जीवन गौरव सम्मान-2024’ से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण कोलकाता से पधारे तबला वादक पिनाकी चक्रवर्ती एवं लातूर से पधारे पखावज वादक मनोज रहे। पिनाकी और मनोज के युगल तबला पखावज वादन ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। आपकी तीन ताल में प्रस्तुति इतनी लाजवाब थी कि श्रोताओं की तालियों से सभागार गूंज उठा।

संगीत समारोह का समापन कोलकाता से पधारे कुशल सरोद वादक अर्णव भट्टाचार्य के सुमधुर सरोद वादन से हुआ। उन्होंने राग नायकी कन्हड़ा में पारम्परिक आलाप, जोड़ झाला के पश्चात तीन ताल में विलंबित एवं द्रुत गत प्रस्तुत कीं।

उनकी विधिवत रागानुकूल बढ़त, लयकारी, विभिन्न लयों में जोरदार तिहाइयों, तान-तोड़ों की तैयारी और लाजवाब प्रस्तुति ने सुधी श्रोताओं को आद्योपान्त बांधकर रखा। उन्होंने अपने कार्यक्रम का समापन जोरदार और अति द्रुत लय में झाले से किया। उनके साथ तबले पर पिनाकी चक्रवर्ती और पखावज पर मनोज ने अद्भुत संगत कर प्रस्तुतियों को अविस्मरणीय बना दिया। इन प्रस्तुतियों ने आगरावासियों के अंतःस्थल पर अमिट छाप छोड़ी।

आगरा के कुशल शास्त्रीय गायक डा. गौतम तिवारी का शास्त्रीय गायन भी काबिल-ए-तारीफ रहा। उन्होंने राग हंस ध्वनि की सुंदर अवतारणा करते हुए एक ताल में निबद्ध बड़ा ख्याल ‘सकल दुःख हरन हरि के’, द्रुत ख्याल ‘लागी लगन सखी पति’, राग काफी में ठुमरी ‘छोड़ो कन्हाई’ प्रस्तुत की। प्रस्तुतियों का समापन सुप्रसिद्ध कबीर भजन ‘मन लागो मेरो यार फकीरी में’ से किया। इस प्रस्तुति ने खूब तालियां बटोरीं। उनका विधिवत स्वर लगाव, सिलसिलेवार राग की बढ़त, बोल बनाव, तानों की सफाई कुशल प्रस्तुति का संदेश स्वयं दे रही थीं। उनके साथ तबले पर डॉ. भानु प्रताप सिंह एवं हारमोनियम पर पं. टी. रवीन्द्र ने लाजवाब संगत की।

कार्यक्रम का आगाज भारतीय संगीतालय, आगरा के प्राचार्य गजेन्द्र सिंह के निर्देशन में राग बसंत में निबद्ध सरस्वती वंदना एवं राग बसंत में एक छोटा ख्याल ‘फगवा ब्रज देखन को चलो री’ से हुआ, जिसे अंशू वन्दना शर्मा, विना चौहान, राधिका, मुस्कान, पल्लवी, रुचि, सोनू, जयन्त, सुरप्रीत, प्रिया एवं लीना ने प्रस्तुत किया। तबले पर हरिओम माहौर एवं हारमोनियम पर वन्दना वरुण ने कुशल संगत की।

रवीन्द्र सिंह के निर्देशन में स्वर-ताल एकेडमी, आगरा के सचिन शुक्ला, शैली, अक्षांश, मनीषा, नक्ष एवं वृतिका शर्मा आदि विद्यार्थियों ने सामूहिक तबला वादन प्रस्तुत किया। आगरा नगर की प्रतिभा संपन्न उभरती गायिका महिमा सिन्हा ने राग यमन और तीन ताल में निबद्ध द्रुत ख्याल ‘जाने ना देत मग रोकत ठाड़ो’ कुशलता से प्रस्तुत किया। तीनों ही बाल प्रस्तुतियां सराहनीय रहीं।

कलाकारों एवं अतिथियों को संस्था निदेशक रवीन्द्र सिंह व अन्य पदाधिकारियों ने आगरा के प्रमुख गुरुओं (पं. गोपाल लक्ष्मण गुणे, पं. श्रीधर शर्मा, प. सीताराम व्यवहारे, पं. पुरुषोत्तम माधव पालखे, प्रो. लल्लू सिंह, उस्ताद अकील अहमद खां आदि के नाम से मानपत्र, शॉल, श्रीफल एवं नटराज प्रतिमा प्रदान कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन लीना परमार ने कुशलता से किया। कार्यक्रम में नगर के अनेकों सुधी संगीत साधक, प्रतिष्ठित कलाकार, शिक्षाविद, संगीत रसिक उपस्थित थे। प्रमुख रूप से प्रोफेसर लवली शर्मा, प्रोफेसर नीलू शर्मा, पं. योगेश शर्मा, ठा. विजय पाल सिंह, प्रेरणा केशव तलेगांवकर, विलास पालखे, शम्भू दयाल श्रीवास्तव, पं. गिरधारी लाल शर्मा, शिव कुमार शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार डा. महेश धाकड़, धनवन्तरि पाराशर, प्रज्ञा गौरव, साहू अरुण, हीरा सिंह, श्याम सिंह, डा. जी. एन. पाण्डेय, डा. आर. बी. सिंह आदि सुधीजनों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को गौरवान्वित किया।

कार्यक्रम संयोजक रविंद्र सिंह थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में नीलम पाल (अध्यक्षा), डा. अर्चना गंगवार (उपाध्यक्ष), करन प्रताप (सचिव), सचिन शुक्ला (कोषाध्यक्ष), शैली एवं हीरा सिंह का योगदान सराहनीय रहा। संस्था सचिव करन प्रताप ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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