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मिलकर जुलकर सब बैठे हैं उत्सव बड़ा मना देंगे, तुम क्या जानो हम अधरों पर मन के भाव सजा देंगे…

युवा सिर्फ अपने लेखकों को पढ़ें तो उनका सर्वांगीण विकास स्वतः ही हो जाएगा-कुलपति प्रो. आशु रानी

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का शानदार आयोजन संस्कृति भवन के सभागार में हुआ।

ब्रज पत्रिका, आगरा। संस्कृति भवन के सभागार में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन डॉ. बी. आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय के संस्कृति भवन में 16 दिसंबर की दोपहर में किया गया। समारोह का उदघाटन गणपति एवं माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पण और दीप प्रज्जवलित करके विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशु रानी, ग्लैमर लाइव फिल्म्स के डायरेक्टर सूरज तिवारी, पुरातन छात्र परिषद के डीन प्रो. लवकुश मिश्र, आईटीएचएम के निदेशक प्रो. यू. एन. शुक्ला ने संयुक्त रूप से किया।

कुलपति प्रो. आशु रानी ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि,

“युवा सिर्फ अपने लेखकों को पढ़ें, अपना साहित्य पढ़ें, तो उनको किसी पर्सनालिटी डेवलपमेंट क्लास की या आज की उन क्लासेज की कोई ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी जो आज युवा ले रहे हैं। युवा सिर्फ अपने लेखकों को पढ़ें तो उनका सर्वांगीण विकास स्वतः ही हो जाएगा”

ग्लैमर लाइव फिल्म्स, ईशान देव साहित्यिक क्लब एवं डॉ. बी.आर. अम्बेडकर विश्विद्यालय की पुरातन छात्र परिषद के संयुक्त तत्वावधान में हो रहे इस कवि सम्मेलन में आईटीएचएम के छात्र, ललित कला संस्थान और इतिहास विभाग के छात्र-छात्राओं के अलावा शहर के गणमान्य लोग भी शामिल रहे।

कवि सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम के संयोजक प्रो. लवकुश मिश्रा एवं समन्वयक सूरज तिवारी ने इस कवि सम्मेलन में काव्यपाठ करने आये देश के सुविख्यात कवियों का परिचय दिया।

कवि सम्मेलन का संचालन आगरा के उदयीमान युवा कवि ईशान देव ने किया। कवि सम्मेलन में काव्यपाठ करने वाले प्रमुख कवियों में डॉ. सौरभ कांत शर्मा ‘सबरस’ संभल से, डॉ. शुभम त्यागी मेरठ से, मोहन मुंतज़िर नैनीताल से, शशांक ‘नीरज’ आगरा से, प्रो. युवराज सिंह आगरा से, डॉ. केशव शर्मा आगरा से, एलेश अवस्थी आगरा से थे।

डॉक्टर शुभम त्यागी मेरठ ने अपनी यह रचना सुनाई-

“मिलकर जुलकर सब बैठे हैं उत्सव बड़ा मना देंगे,
तुम क्या जानो हम अधरों पर मन के भाव सजा देंगे,
साथ तुम्हारा जो मिल जाए, आह, वाह और ताली से,
कविता की तो बात ही क्या है, दिल का हाल सुना देंगे।”

मोहन मुंतज़िर ने अपनी यह रचना सुनाई-

“बाबूजी से अच्छा कोई यार नही हो सकता है,
भाई बहन से बेहतर रिश्तेदार नही हो सकता है,
माँ से बढ़कर इस दुनिया में केवल माँ ही होती है,
माँ से बढ़कर और किसी का प्यार नही हो सकता है!”

युवराज सिंह ‘युवा’ ने अपनी यह रचना सुनाई-

“जिंदगी और बता, और बता, और बता,
प्यार करना है सज़ा और सज़ा और सज़ा,
वफ़ा के अश्कों से आंखों को भिगोने वालो,
बेवफ़ाई भी कभी प्यार में देती है मजा!”

डॉ. सौरभकान्त शर्मा ने अपनी यह रचना सुनाई-

“है राष्ट्र बड़ा सारे ही धर्मों को छोड़कर,
आओ करें प्रणाम सभी हाथ जोड़कर,
इतना तो मान रखना मेरे प्रभु मेरा,
अंतिम सफर पे निकलूं तिरंगे को ओढ़कर।”

शशांक नीरज ने अपनी यह रचना सुनाई-

“आदत हो चाहे नज़र हमारी…ईमां है बेईमानी नहीं है,
इसीलिए तो इस दुनिया  में कोई हमारा सानी नहीं है,
कहने को आलम पनाह है वो दुनिया की नज़रों में,
लेकिन शख़्स गरीब बहुत है आँख में जिसके पानी नहीं है।”

ईशान देव ने अपनी यह रचना सुनाई-

“हम जिस स्थान पे जाते हैं उसके  जनक बन जाते है,
यदि राजनीति पर आ जाए ऋषि सुनक बन जाते है।”

एलेश अवस्थी ने अपनी यह रचना सुनाई-

“व्यापार का नहीं है ये दिल का मजरा है,
थोड़ा सा नुक्तदा है थोड़ा सा बाबरा है,
महलों पे राज करना दिल्ली का शौक होगा,
हस्ती को लुटा देना अंदाजे आगरा है।”

डाॅ. केशव शर्मा ने अपनी यह रचना सुनाई-

“आज हवाओं की आंखों में, जो ईमान नहीं होगा,
पर आने वाला कल सुन लो, बेईमान नहीं होगा,
वह पूछेगा प्रश्न यहां फिर, मढ़ी गई तस्वीरों से,
और पूछेगा अर्थ यहां पर तिरछी खिंची लकीरों के।”

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