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साज़ एवं आवाज़ के सरताज़ों ने खूब सजाईं ‘निनाद-2022’ की महफ़िलें, कई संगीतप्रेमी शख़्शियतों का भी हुआ सम्मान

ब्रज पत्रिका, आगरा। द्विदिवसीय 58वें निनाद महोत्सव का डॉ. गरिमा आर्य के कत्थक नृत्य, डॉ. अविनाश कुमार के शास्त्रीय गायन की उच्च स्तरीय प्रस्तुतियों के साथ संगीत कला रत्न सहित अन्य प्रदत्त सम्मानों के साथ समापन हो गया। नगर की प्रमुख संस्था पं. रघुनाथ तलेगांवकर फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा आयोजित द्विदिवसीय निनाद महोत्सव के द्वितीय दिन सांयकालीन संगीत सभा प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ के सहयोग से गुरु एम. एल. कौसर की स्मृति में आयोजित की गई।

कार्यक्रम का प्रारंभ संगीत कला केंद्र के बाल संगीत साधकों द्वारा ग्वालियर घराने की पारंपरिक रचना “गुरु बिन कैसे गुण गावे” गुरु वंदना से हुआ, जिसको प्रतिभा तलेगांवकर के निर्देशन में प्रत्युष पांडे, अर्पित मोदी, दर्शित राज सोनी, आरोन पैट्रिक, प्रियक्षी सिंह ने प्रस्तुत किया।

तदोपरांत, संस्था द्वारा प्रदत्त उपाधियों का अलंकरण समारोह हुआ। जिसमें डॉ. संतोष नाहर को ‘संगीत कला रत्न’, डॉ. आर. एस. पारिक एवं गीता रानी को ‘संगीत कलानुरागी’, शैलेन्द्र कुलश्रेष्ठ को ‘आदर्श संगीत प्रसारक’, पूरन चंद डावर को ‘कला संरक्षण’, रविन्द्र मिश्र को ‘संगीत कला संवर्धक’, डॉ. (प्रो.) मायारानी टांक को ‘संगीत सेवी सम्मान’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। सम्मान संस्था के अध्यक्ष विजय पाल सिंह चौहान, न्यासी प्रतिभा तलेगांवकर एवं अरविंद कपूर ने प्रदान किए।

कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति के रूप में रामपुर सहसवान घराने के प्रतिनिधि कलाकार डॉ. अविनाश कुमार ने शास्त्रीय गायन में राग जोग में विलंबित, मध्यलय ख्याल, द्रुत बंदिश तराना एवं राग बहार में बंदिश प्रस्तुत की। राग का विस्तारीकरण, तालों की स्पष्ट तैयारी आपके गायन में विशेष रूप से परिलक्षित हो रही थी। तबले पर सूझ-बूझ भरी संगत वाराणसी से पधारे युवा तबला वादक श्रुतिशील उद्धव ने की।

इस कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति के रूप में पद्म विभूषण पं. बिरजू महाराज शाश्वती जी की सुयोग्य शिष्या डॉ. गरिमा आर्य का कत्थक नृत्य रहा। आपने अपनी प्रस्तुति लखनऊ घराने की पारंपरिक नृत्य शैली में की। तबले पर आपके साथ संगत मोहित गंगानी, सितार पर डॉ. श्याम रस्तोगी, गायन पर उस्ताद ज़की अहमद, सनी सिसौदिया ने पढंत में साथ देकर नृत्य प्रस्तुति को अनंत ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

इस कथक यात्रा में अर्धनारीश्वर के रूप की रचना की प्रभावशाली प्रस्तुति में ताल रूपक में निबद्ध मुगल दरबार के नृत्य की रूबाईयाँ भी प्रस्तुत कीं। तदोपरांत तीन ताल में लखनऊ घराने की पं. बिरजू महाराज जी द्वारा रचित बंदिशें, ठुमरी में भाव नृत्य तथा द्रुत लय में तिहाइयों, तबले के साथ संगत तथा तैयारी के साथ तत्कार की प्रस्तुति कर दर्शकों से तालियां बटोरीं।

कार्यक्रम के अंतिम चरण में संगीत कला केंद्र के संगीत साधकों द्वारा पं. विष्णु दिगंबर जी द्वारा रचित आरती “जय जगदीश हरे” तथा पं. जी की प्रिय धुन “रघुपति राघव राजा राम” का स्वरमयी प्रस्तुतिकरण कर निनाद महोत्सव को अनहद नाद की अनंत ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

इससे पूर्व नाद साधना प्रातः कालीन सभा का उद्घाटन श्रीमती बी. डी. जैन कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. वंदना अग्रवाल ने दीप प्रज्वलन करके किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में केंद्र के साधकों द्वारा संगीत नक्षत्र पं. केशव तलेगांवकर द्वारा रचित नाद वंदना “नाद की साधना स्वर की आराधना” का प्रस्तुतिकरण कर संगीतमय वातावरण उत्पन्न किया।

कार्यक्रम के प्रथम चरण इंदौर से पधारे देश की प्रथम महिला पखावज वादिका चित्रांगना अगले रेशवाल ने पखावज वादन की प्रस्तुति की। आपने पखावज पर चार ताल में वादन प्रस्तुत किया। आपने नाना पानसे एवं कुदौ सिंह घराने की पारंपरिक रचनाओं में कमाली चक्रदार परन एवं लयकारी की बंदिशे प्रस्तुत कर श्रोताओं को आनंदित किया। संवादिनि पर पं. रविन्द्र तलेगांवकर ने लाजवाब संगत कर श्रोताओं से वाहवाही लूटी।

कार्यक्रम के अंतिम चरण में आकाशवाणी दिल्ली के डॉ. संतोष नाहर ने वायलिन पर राग अहीर भैरव की प्रस्तुति की। आपने विलंबित एक ताल एवं मध्य लय एवं द्रुत तीन ताल में रचना प्रस्तुत वादन में राग का विस्तारीकरण और तानों की तैयारी में परिलक्षित हो रही थी। तदोपरान्त आपने राग पहाड़ी की धुन प्रस्तुत कर श्रोताओं को आनंदित किया।

कार्यक्रम की प्रथम सभा में डॉ. मेघा तलेगांवकर राव (पुणे), नाद साधना संगीत सभा में श्रीकृष्ण तथा समापन सभा में सुशील सरित ने कुशलतापूर्वक प्रभावशाली संचालन किया। कार्यक्रम में अध्यक्ष विजय पाल सिंह चौहान एवं सचिव प्रतिभा तलेगांवकर ने सभी का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन किया।

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