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नृत्य सम्राट पंडित जितेंद्र महाराज के सानिध्य में सूरसदन में नलिनी-कमलिनी के शास्त्रीय नृत्य और नलिनी निगम के सुरों से सजी हनुमत जयंती की शाम

वजीरपुरा स्थित श्री हनुमान जी महाराज के मंदिर पर फूल बंगला और भव्य झाँकी सजा कर पूजन, हवन, यज्ञ और रोशनी की गयी।

ब्रज पत्रिका, आगरा। वजीरपुरा स्थित दक्षिणमुखी बाल रूप हनुमान मंदिर में आयोजित दो दिवसीय हनुमत जयंती महोत्सव का आस्था और भक्ति से सराबोर एक भव्य संगीतमयी शाम के साथ समापन हुआ। जिसमें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड प्राप्त बनारस घराने के नृत्य सम्राट पंडित जितेंद्र महाराज जी के सानिध्य में शास्त्रीय नृत्यांगनाद्वय पद्मश्री नलिनी अस्थाना-कमलिनी अस्थाना की शानदार कथक नृत्य की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर लिया। उनके अलावा उनके संस्थान की शिष्याओं ने भी शानदार नृत्य की प्रस्तुतियां दीं।

श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन…के सुरों के प्रवाह के बीच नलिनी और कमलिनी ने अपनी शुरुआत राम स्तुति पर युगल नृत्य से की। उसके बाद उनकी शिष्याओं ने राग भैरवी में तराना पेश किया। राग यमन में भी एक प्रस्तुति दी। नलिनी और कमलिनी ने राग दुर्गा झपताल में शुद्ध नृत्य प्रस्तुत किया। द्रुत लय तीन ताल में राग कलावंती में उनकी प्रस्तुति को भी सराहा गया। समापन चौपाइयों पर शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुतियों संग किया।

कार्यक्रम की शुरुआत गायिका नलिनी निगम ने की, उन्होंने हनुमान जी के भजनों को सुनाकर सभागार को आस्था और भक्ति में सराबोर कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत में गायिका नलिनी निगम ने राग मधुवंती में मध्यलय तीन ताल में अपनी प्रस्तुति दी-राधे तोरे नैना श्याम विराजें…। इसके बाद राग जोग में सोल ऑफ म्यूजिक फ्यूज़न पेश किया। इसके बाद राम भजन सुनाया-प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम…। इसके बाद हनुमत भजन पेश किया-जय हनुमान बाहु बलवान…। अंत में उन्होंने सुनाया-हे दुखभंजन मारुति नंदन सुन लो मेरी पुकार पवनसुत विनती बारंबार…। उनके साथ बाँसुरी पर अतुल शंकर, वायलिन पर अफजाल जहूर अहमद, तबले पर अकबर लतीफ और सिंथेसाइजर पर पप्पू खान ने संगत की।

शुरुआत में हनुमान जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके उदघाटन सांसद राज कुमार चाहर ने किया। उनका स्वागत कार्यक्रम के संयोजक और श्री हनुमत जयंती महोत्सव समिति के अध्यक्ष श्री ब्रजेंद्र मोहन भारद्वाज उर्फ कन्नो गुरु ने किया।

अतिथि कलाकारों का स्वागत कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ब्रजेंद्र सिंह रावत एडवोकेट, वरिष्ठ कांग्रेस नेता राम टंडन, समाजसेवी हरीश सक्सेना चिमटी, चंद्र मोहन भारद्वाज,समीर चतुर्वेदी, रवि अग्रवाल, डॉ. महेश धाकड़, कृष्णकांत रावत, शुभम भारद्वाज, अमित भारद्वाज, शिवांगी भारद्वाज, इशिता दवे, दीपक दवे, अमित अरेला, राहुल परमार, यतेंद्र भारद्वाज, राघव भारद्वाज आदि ने किया। इस समारोह का मंच संचालन आकाशवाणी के उदघोषक देव प्रकाश शर्मा ने किया।

महोत्सव में 15 अप्रैल को वजीरपुरा स्थित मंदिर में हुए थे कार्यक्रम

आगरा। हनुमत महोत्सव 15 अप्रैल 2022 को श्री गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री रामचरितमानस के संगीतमयी अखण्ड पाठ के साथ प्रारंभ हुआ, मानस पाठ का समापन 16 अप्रैल शनिवार की प्रात: 11 बजे हुआ। वजीरपुरा स्थित श्री हनुमान जी महाराज के मंदिर पर फूल बंगला और भव्य झाँकी सजा कर पूजन, हवन, यज्ञ और रोशनी की गयी।

91 वर्ष से आयोजित हो रहा है अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन

कार्यक्रम के संयोजक और श्री हनुमत जयन्ती महोत्सव समिति के अध्यक्ष पंडित बृजेन्द्र मोहन भारद्वाज उर्फ कन्नो गुरु ने बताया कि,

“बाबा का महोत्सव 91वें पड़ाव पार करता हुआ ऐतिहासिक नगर आगरा का मुख्य उत्सव ही नहीं, बल्कि शहर के विभिन्न भागों में होने वाले अगणित हनुमान जयंती महोत्सवों का प्रेरणा स्रोत बन गया है। आगरा घराने के उस्ताद फैय्याज खान साहब, बड़े गुलाम अली साहब, पंडित मणि प्रसाद जी महाराज, उस्ताद लतीफ अहमद खान साहब, उस्ताद अल्ला रक्खा खान साहब, तीरथ राम आजाद साहब, बिस्मिल्लाह खान साहब, पंडित रवि शंकर साहब आदि सहित तमाम चोटी के कलाकार हनुमत महोत्सव में अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं। सभी संगीतज्ञ एवं अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कलाकार उपस्थित होकर भगवान श्री राम के अतुलित बलशाली दूत श्री हनुमान जी के प्रति अपनी भावना प्रस्तुत करते रहे हैं। श्री हनुमन्तलाल जी का गुणगान करके, समारोह में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को रिझाते रहे हैं, तथा श्री हनुमान जी के प्रति भक्तों की निष्ठा को अविचलता प्रदान करते रहे हैं। इस उत्सव का एक मुख्य बिंदु यह भी है कि यह केवल सनातनधर्मियों अथवा हिंदुओं का ही उत्सव नहीं है, बड़ी संख्या में मुस्लिम, सिख और ईसाई भी परमेश्वर की प्रेरणा से प्रतिवर्ष एक स्थान पर एकत्रित होते रहे हैं तथा भक्ति संगीत और भाव नृत्यों की कर्णप्रिय और नयनाभिराम स्वर लहरियों में डूबकर घंटों उन भेद, मतभेदों, घृणा और कटुता को भूल जाते हैं, जिनके कारण आज राष्ट्र व्यथित है, और उसे अपने अस्तित्व की चिंता है।”

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