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वो जब याद आए बहुत याद आये, गम-ए-जिंदगी के अंधेरे में हमने चराग़-ए-मोहब्बत जलाये बुझाये…!

भारतीय बैंकर्स क्लब के तत्वावधान में पार्श्वगायक मोहम्मद रफी की पुण्यतिथि पर ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में गायकों ने मोहम्मद रफी के गाये हुए विभिन्न गीतों को गाकर उन्हें खिराज-ए-अक़ीदत पेश की।

ब्रज पत्रिका, आगरा। सुरों के शहंशाह मोहम्मद रफी साहब की 43वीं पुण्यतिथि पर भारतीय बैंकर्स क्लब के तत्वावधान में ऑनलाइन कार्यक्रम ‘वो जब याद आए’ संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना एवं डॉ. राजेंद्र मिलन के स्वागत उद्बोधन संग हुआ।

कार्यक्रम से पूर्व इसकी रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए सुशील सरित ने कहा कि,

“मोहम्मद रफी साहब ने अपने जीवनकाल में 26,000 से ज्यादा गीत गाए और भारत की सभी भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेजी, पर्सियन, अरेबियन, सिंघली, डच आदि भाषाओं में भी गीत गाए। आज हम उन्हीं के कुछ गीतों को कुछ युवा साधकों के स्वरों में प्रस्तुत कर रहे हैं।”

कार्यक्रम में रफी साहब के गाए हुए अलग-अलग अंदाज के गीतों को प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के टाइटल गीत “वो जब याद आए…” को शिल्पी शर्मा ने प्रस्तुत किया। पूजा तोमर ने उनका जानी बाकर पर फिल्माया यह गीत “सर जो तेरा चकराए…” प्रस्तुत किया, तो अजय श्रीवास्तव ने “गुलाबी आंखें जो तेरी देखीं…” जैसा रोमांटिक गीत प्रस्तुत किया। निशी राज ने फिल्म ‘चिराग’ का गीत प्रस्तुत किया “तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है…!”

निशा और निमिषा ने उनके गीत क्या हुआ तेरा वादा को प्रस्तुत किया, और संजय गुप्ता और रजनीश शर्मा ने चौदहवीं का चांद फिल्म का गीत “चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो जो भी हो तुम खुदा की कसम लाज़वाब हो…प्रस्तुत किया। उनको याद करते हुए डॉक्टर सुजाता और अंशु शर्मा ने गाया, “अकेले हैं चले आओ कहां हो कहां आवाज दें तुमको कहां हो…!” न्यूजर्सी अमेरिका से डॉ. शशि गुप्ता ने “मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया…!” और अनुराग वार्ष्णेय ने “बस्ती-बस्ती पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा…गीत प्रस्तुत किया।

ओम मिलन के स्वर थे “नसीब में जिसके जो लिखा था वो तेरी महफिल में काम आया…” वहीं रितेश ने “ओ मेरी महबूबा तुझे जाना है तो जा…” गीत प्रस्तुत किया। गौहर इसलाम साहब ने “सुहानी रात ढल चुकी, ना जाने तुम कब आओगे…” प्रस्तुत कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। “पुकारता चला हूं मैं गली-गली बहार की…गीत को सुशील सरित ने प्रस्तुत किया।

धन्यवाद ज्ञापित किया सुधीर शर्मा ने, समन्वयक थे डॉ. रमेश आनंद और डॉक्टर असीमानंद। राहुल सिंह ने तकनीकी सहयोग दिया। इस अवसर पर ग्वालियर से डॉ. रमेश कटारिया पारस, गाजियाबाद से रेनू बाला, दिल्ली से निशिगंधा और आगरा से अनिता कुशवाहा विशेष रूप से इस ऑनलाइन कार्यक्रम में उपस्थित रहीं।

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