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सोनी सब के ‘मैडम सर’ की संतोष, यानी भाविका शर्मा के लिये कला तनाव से मुक्ति का साधन है

सोनी सब के ‘मैडम सर’ की दबंग संतोष, यानी भाविका शर्मा कहती हैं,

‘’कला शांति देने पाने का एक ऐसा तरीका है जो आपको अपने सिस्‍टम से बाहर आने में मदद करती है’’

ब्रज पत्रिका। कला का मतलब अलग-अलग लोगों के लिये अलग-अलग हो सकता है। कुछ लोग सोचते हैं कि असली कलाकार बनने के लिये आपको पेंटिंग्‍स या मूर्तियां बनानी होंगी। कुछ का मानना है कि या तो आप कलाकारी का टैलेंट लेकर जन्‍मे हैं या नहीं। लेकिन कुछ लोगों के लिये कला अपनी भावनाओं और विचारों को प्रकट करने का माध्‍यम है। भाविका शर्मा सोनी सब के शो ‘मैडम सर’ में दबंग संतोष की भूमिका के लिये जानी जाती हैं। इस शो में चार महिला पुलिस अधिकारियों की कहानी है, जो अपराध की गुत्‍थी सुलझाने के लिये संवेदना और बुद्धिमानी के साथ काम करने में यकीन रखती हैं। खुद को कलाकारी से मिलने वाले फायदे का खुलासा करते हुए, भाविका मानती हैं कि कला उनके लिये तनाव से मुक्ति के सर्वश्रेष्‍ठ माध्‍यमों में से एक है, क्‍योंकि वह शांत और सहज रहने में उनकी मदद करती है।

भाविका ने बताया कि कला कैसे शांति पाने में उनकी मदद करती है और काम का एक व्‍यस्‍त दिन बिताने के बाद उन्‍हें खुशी और तसल्‍ली का अहसास देती है।

संतोष शर्मा की भूमिका निभा रहीं भाविका ने कहा,

‘’बचपन से ही मेरा रूझान किसी और चीज के बजाय कला में ज्‍यादा रहा है। मैं पेंटिंग या कलरिंग से खुश हो जाती थी। समय के साथ मैंने कला का इस्‍तेमाल शांति पाने के लिये किया है और अब भी यह एक ऐसी एक्टिविटी है, जो शांति पाने में मेरी मदद करती है। कला शांतिदायक हो सकती है, क्‍योंकि आप तनाव की किसी भी भावना को कैनवास पर लाकर कोई खूबसूरत चीज बना सकते हैं। मैं यह भी मानती हूं कि कला खुशी के पलों और जिन्‍दगी की उन घटनाओं को संजोने, लिखने और याद रखने का एक मौका है, जो आपका मूड तुरंत अच्‍छा कर सकती हैं। अगली बार आप जब भी वॉक के लिये जाएं, अपने साथ कैमरा रखें, अपने बेडरूम की खिड़की से सूर्यास्‍त का दृश्‍य बनाएं या अजनबियों की मुस्‍कुराहट को कैमरे में कैद करें। मैं आपको विश्‍वास दिला सकती हूं कि इससे आपको एक बेहतरीन अहसास मिलेगा।‘’

उन्‍होंने आगे कहा,

‘’पेंटिंग या फोटोग्राफी के एक शांत सेशन के बाद मैं ज्‍यादा एनर्जेटिक और पॉजिटिव महसूस करती हूं। खासकर इस कठिन समय में, कला ने मुझे इसका मुकाबला करने और पॉजिटिव रहने में मदद की है। कला ने यह विचार बनाये रखने में मेरी मदद की है कि जल्‍दी ही सब कुछ सामान्‍य हो जाएगा। अपने व्‍यस्‍त शेड्यूल के दौरान भी मैं कला के लिये कुछ समय निकालने की भरपूर कोशिश करती हूं। मुझे पेंटिंग करना पसंद है, लेकिन मैं कला के नये रूपों को सीखने के लिये हमेशा तैयार और उत्‍सुक रहती हूं। कुछ महीनों पहले, मैंने पेंटिंग के अलग स्‍टाइल पर हाथ आजमाया था, जैसे मधुबनी, डूडलिंग, और उसमें मुझे मजा भी आया।”

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