ब्रज में सावन के महीने में शिवजी की पूजा को उमड़ते हैं भक्तजन
श्रावण की महत्ता और शिवजी को प्रसन्न करने की विधि
आगरा। श्रावण शिवजी का विशिष्ट प्रिय मास है। श्रद्धालु इस पूरे मास शिवजी के निमित्त व्रत और प्रतिदिन उनकी विशेष पूजा आराधना करते हैं। आगरा की बात करें तो यहाँ पाँच शिव मंदिर हैं, शहर के मध्य में श्री मन:कामेश्वर, शहर की चारों दिशाओं में श्री कैलाश नाथ, श्री पृथ्वीनाथ, श्री राजेश्वर नाथ, श्री बल्केश्वर नाथ। अब आइए हम जानते हैं इस पावन श्रावण मास की महत्ता, व्रत और पूजन करने की धर्म सम्मत विधि तथा कैसे कर सकते हैं अपने भजन पूजन से अपने आराध्य भगवान शिव को प्रसन्न।
महत्ता-यूँ तो सनातन धर्म में वर्षभर के सभी मास किसी न किसी देवता के साथ संबंधित हैं जिसके तहत श्रावण मास को भगवान शिव जी के साथ जोड़कर देखा जाता है। इस समय शिव जी की आराधना का विशेष महत्व भी होता है। कहा जाता है कि यह माह हमारी आशाओं की पूर्ति का समय होता है। श्रावण अथवा सावन का महीना हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पाँचवा महीना है, जो कि ईस्वी कलेंडर के जुलाई अथवा अगस्त माह में पड़ता है। इस माह में अनेक महत्त्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं, मसलन ‘हरियाली तीज’, ‘रक्षाबन्धन’, ‘नागपंचमी’ आदि इनमें प्रमुख हैं। इस महीने में पड़ने वाले सोमवार “सावन के सोमवार” कहे जाते हैं, जिनमें कि स्त्रियाँ और विशेषतौर से कुंवारी लड़कियां भगवान शिवजी के निमित्त व्रत आदि रखती हैं।
पूजन विधि-शिवजी की पूजा में गंगाजल के उपयोग को विशिष्ट माना जाता है। शिवजी की पूजा आराधना करते समय उनके पूरे परिवार अर्थात् शिवलिंग, माता पार्वती, कार्तिकेयजी, गणेशजी और उनके वाहन नन्दी की संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए। शिवजी के स्नान के लिए गंगाजल का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा कुछ लोग शिवलिंग पर भांग भी घोंटकर चढ़ाते हैं। शिवजी की पूजा में लगने वाली सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बिल्वपत्र, दूर्वा, फल, विजिया, आक, धतूरा, कमल−गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, धूप, दीप आदि का इस्तेमाल किया जाता है।
श्रावण मास के प्रथम सोमवार से इस व्रत को शुरू किया जाता है। प्रत्येक सोमवार को गणेशजी, शिवजी, पार्वतीजी की पूजा की जाती है। इस सोमवार व्रत से पुत्रहीन पुत्रवान और निर्धन धर्मवान होते हैं। स्त्री अगर यह व्रत करती है, तो उसके पति की शिवजी रक्षा करते हैं। सोमवार का व्रत साधारणतया दिन के तीसरे पहर तक होता है। इस व्रत में फलाहार या पारण का कोई खास नियम नहीं है, किंतु आवश्यक है कि दिन−रात में केवल एक ही समय भोजन करें। सोमवार के व्रत में शिव−पार्वती का पूजन करना चाहिए।
श्रावण माह में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, पंचाक्षर मंत्र इत्यादि शिव मंत्रों का जाप शुभ फलों में वृद्धि करने वाला होता है। श्रावण माह में भक्त शिवालय में स्थापित, प्राण-प्रतिष्ठित शिवलिंग या धातु से निर्मित लिंग का गंगाजल और दुग्ध से रुद्राभिषेक कराते हैं। शिवलिंग का रुद्राभिषेक भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इन दिनों शिवलिंग पर गंगा जल द्वारा अभिषेक करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं। शिवलिंग का दुग्धाभिषेक एवं घृत से अभिषेक करने पर योग्य संतान की प्राप्ति होती है। ईख के रस से अभिषेक करने पर धन संपदा की प्राप्ति होती है और कुशोदक से अभिषेक करने से समस्त व्याधि शांत होती हैं। दधि से अभिषेक करने से पशु धन की प्राप्ति होती है ओर शहद से शिवलिंग पर अभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
भगवान शिवजी को प्रसन्न करने के लिए आप कुछ इन बातों पर भी अमल कर सकते हैं-
– श्रावण मास में रुद्राक्ष की माला धारण करें व रुद्राक्ष माला से शिव मंत्र का जाप करें।
– पूजन के समय भगवान शिव को भभूती लगायें और अपने मस्तक पर भी भभूती लगायें।
– श्रावण मास में शिव चालीसा और आरती का पाठ करें।
– महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
– श्रावण मास के सभी सोमवार को व्रत रखें।
– बेलपत्र, दूध, शहद और जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
– शिवलिंग पर केसर चढ़ाने से आप सौम्यता प्राप्त करेंगे।
– चीनी से शिवलिंग का अभिषेक करने से सुख और वैभव की प्राप्ति होगी और दरिद्रता चली जायेगी।
– शिवलिंग पर इत्र चढ़ाने से विचार और मन पवित्र होंगे।
– शिवलिंग का दही से अभिषेक करने से आने वाली परेशानियां दूर चली जाएंगी।
– घी से अभिषेक करने से शक्ति बढ़ेगी और शिवलिंग पर चंदन चढ़ाने से आपका यश बढ़ेगा।