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क्या सूरज को मिलेगी उसके सपनों की रानी या उस पर होगा मंगल भारी? जानने के लिए देखिए ‘सूरज पे मंगल भारी’ का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर, ज़ी सिनेमा पर

अभिषेक शर्मा के निर्देशन में बनी इस संपूर्ण पारिवारिक मनोरंजक फिल्म में मनोज बाजपेयी, दिलजीत दोसांझ, फातिमा सना शेख, सुप्रिया पिलगांवकर, अन्नू कपूर और विजय राज़ ने जोरदार परफॉर्मेंस दी हैं।

ब्रज पत्रिका। स्मार्टफोन्स और सोशल मीडिया के युग से पहले का दौर दिखाते हुए ज़ी सिनेमा ‘सूरज पे मंगल भारी’ के वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर के साथ आपको सूरज और मंगल की नाटकीय और परस्पर विरोधी जिंदगी में ले जाने को तैयार है। अभिषेक शर्मा के निर्देशन में बनी इस संपूर्ण पारिवारिक मनोरंजक फिल्म में मनोज बाजपेयी, दिलजीत दोसांझ, फातिमा सना शेख, सुप्रिया पिलगांवकर, अन्नू कपूर और विजय राज़ ने जोरदार परफॉर्मेंस दी हैं। तो आप भी ज़ी सिनेमा पर 28 फरवरी को रात 8 बजे होने जा रहे ‘सूरज पे मंगल भारी’ के वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर के साथ इस मस्ती भरी सवारी के लिए तैयार हो जाइए।

यह कहानी मधु मंगल राणे (मनोज बाजपेयी) से शुरू होती है, जो तब एक स्वघोषित वैवाहिक जासूस बन जाता है, जब उसकी प्रेमिका (नेहा पेंडसे) की शादी एक ऐसे इंसान से होती है, जो हर चीज में पागलों की तरह परफेक्शन ढूंढता है। अपने इस अनुभव के चलते मधु मंगल राणे हर होने वाले दूल्हे की गलत आदतों का पर्दाफाश करने की कसम खाता है, ताकि किसी भी लड़की की शादी गलत आदमी से ना हो पाए। इस फिल्म में उस वक्त मनोरंजन कई गुना बढ़ जाता है, जब मधु मंगल राणे की मुलाकात सूरज (दिलजीत दोसांझ) से होती है।

इस फिल्म के बारे में बताते हुए मनोज बाजपेयी ने कहा,

“मुझे डिटेक्टिव मधु मंगल राणे का रोल निभाते हुए वाकई बहुत मजा आया। जब मैंने यह स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मैं तुरंत ही इस कहानी का हिस्सा बनना चाहता था। यह मेरे लिए कुछ अलग तरह का प्रयोग था, लेकिन मुझे इस पर भरोसा था, क्योंकि अभिषेक अपनी फिल्मों को लेकर बड़ा स्पष्ट नजरिया रखते हैं। यह प्रोजेक्ट मेरे लिए बहुत सारी सीख लेकर आया। मेरे किरदार ने मुझे बतौर एक्टर अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर लाया। मुझे इस तरह की चुनौतियां बहुत अच्छी लगती हैं और ये मुझे आगे बढ़ने में मदद करती हैं। यह हल्की-फुल्की कहानी दर्शकों को ऐसे किरदार और स्थितियां दिखाएगी, जो कॉमेडी और ड्रामा से सराबोर है। इससे यह कहानी और दिलचस्प बन जाती है।”

यह कहानी उस वक्त शुरू होती है, जब सूरज अपने लिए दुल्हन ढूंढने निकलता है, लेकिन हर बार होने वाली दुल्हन के परिवार उसे बड़े रहस्यमय तरीके से अस्वीकार कर देते हैं। जब उसे पता चलता है कि डिटेक्टिव मधु मंगल राणे की वजह से उसकी जिंदगी में हलचल मची हुई है, तो वो उसके खिलाफ योजना बनाने लगता है। यहीं से कुछ ऐसे पागलपन भरे घटनाक्रम शुरू होते हैं, जहां दोनों एक दूसरे की चालों को नाकाम करते हैं। सूरज और मंगल की इस गुदगुदाने वाली नोकझोंक को मनोज बाजपेयी और दिलजीत दोसांझ ने बखूबी प्रस्तुत किया है।

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