आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक, कौन जीता है तेरी जुल्फ के सर होने तक…!
मिर्ज़ा ग़ालिब की 223वीं जन्म जयंती के अवसर पर ‘बज्म-ए-ग़ालिब’ का 24वां आयोजन साहित्य संगीत संगम के तत्वावधान में होटल ग्राण्ड में संपन्न हुआ।
ब्रज पत्रिका, आगरा। एक रेशमी एहसास है ग़ालिब की शायरी, रूहों में भरी प्यास है ग़ालिब की शायरी, थोड़ा करीब से ही जो देखा तो यह लगा, हर दिल के आसपास है ग़ालिब की शायरी। कुछ इसी भाव को समेटे हुए मिर्जा असद उल्ला ख़ां ग़ालिब की 223वीं जन्म जयंती के अवसर पर ‘बज्म-ए-ग़ालिब’ का 24वां आयोजन साहित्य संगीत संगम के तत्वावधान में होटल ग्राण्ड में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मिर्जा गालिब की तस्वीर के सम्मुख शमां रोशन कर प्रो. अशोक मित्तल (कुलपति डॉ. बी.आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय), अरुण डंग, राजीव पाल (कमिश्नर भविष्य निधि) एवं गायक सुधीर नारायण ने किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कमिश्नर प्रोविडेंट फंड (भविष्य निधि ) राजीव पाल ने कहा कि,
“गालिब, मीर, नज़ीर, सूर, तुलसी आदि सरीखे साहित्यकारों के कारण ही भारत विश्व के सांस्कृतिक जगत में शीर्ष स्थान पर है।”
पूर्व मंत्री रामजी लाल सुमन जी ने कहा कि,
“गालिब जितने पुराने होता जा रहे हैं उतना ही नए होते जा रहे हैं।”
मुख्य अतिथि डॉ. बी.आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के कुलपति प्रो. अशोक मित्तल ने कहा कि,
“वह कोशिश करेंगे कि विश्वविद्यालय में गालिब की कोई पीठ स्थापित हो। एक और सेंटर बने जहाँ कि इस प्रकार की चर्चाएं और कार्यक्रम हों।”
‘गालिब की अजमत’ नाम से एक मकाला नसरीन बेगम ने प्रस्तुत किया।
दूसरे सत्र में मिर्जा गालिब की लोकप्रिय गजलों को प्रस्तुत किया गया। सुधीर नारायण ने सुनाया-
“आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक कौन जीता है तेरी जुल्फ के सर होने तक…!”
कीर्तिका नारायण ने सुनाया-
“नुक्ता चींनी हैं गम-ए-दिल उसको सुनाए न बने, क्या बने बात जहां बात बनाए न बने…।”
सुभाष सक्सेना ने प्रस्तुत किया-
“बस कि दुश्वार है हर काम का आसां होना…।”
शिल्पी शर्मा ने प्रस्तुत किया-
“हर एक बात पे कहते हो कि तू क्या है, तुम ही कहो कि ये अंदाजे गुफ्तगू क्या है…!”
कलाकारों के साथ तबले पर राज मैसी, पैड पर भीमसेन और की-बोर्ड पर पंकज वर्मा ने संगत की। कार्यक्रम के मीडिया पार्टनर ‘आगरा की आवाज’ कम्युनिटी रेडियो की डायरेक्टर डॉ. अर्चना सिंह और संचालक पूजा सक्सेना के अतिरिक्त कर्नल जी.एम. खान, डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव, रमेश आनंद, सुधीर शर्मा, डॉ. असीम आनंद, अशोक विज, श्री कृष्ण, मोहित कुमार, विशाल रियाज आदि विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सुशील सरित ने किया, शुरू में उन्होंने स्वागत भाषण भी दिया। धन्यवाद ज्ञापन अरुण डंग ने किया।