सिनेमा

अन्य अफ़गानिस्तायों की तरह, वह भी भारतीय फिल्में देखकर और बॉलीवुड के गाने सुनकर बड़े हुए हैं-रामिन रसौली

हकीकत तो यह है कि आप मेरी फिल्म में ईरानी संस्कृति और भारतीय संदर्भों की झलक का मिश्रण देख सकते हैं-रामिन रसौली

‘दि डॉग्स डिड नॉट स्लीप लास्ट नाइट’ चार अलग-अलग लोगों की कहानी है, जो एक-दूसरे से आपस में जुड़े हुए हैः निर्देशक रामिन रसौली

ब्रज पत्रिका। ‘दि डॉग्स डिड नॉट स्लीप लास्ट नाइट’ चार अलग-अलग लोगों की कहानी है, चारों की भावनाएं अलग हैं, जीवन का संघर्ष और परेशानियां अलग हैं, फिर भी वे एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। हमारे आसपास अच्छी-बुरी दोनों ही तरह की कई कहानियाँ होती हैं। मुझे भी ऐसी ही चार कहानियाँ मिलीं, जिन्हें मैंने इस फिल्म के माध्यम से एक जगह पर रख दिया। निर्देशक रामिन रसौली ने आईएफएफआई 51 में प्रदर्शित अपनी फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा कि यह फिल्म अफ़गानिस्तान में घटित सच्ची कहानियों पर आधारित है।

निर्देशक रसौली गोवा के पणजी में आयोजित 51वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। 51वें आईएफएफआई के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता श्रेणी में शुक्रवार को इस फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर किया गया था।

निर्देशक रामिन रसौली ने बताया,

“91 मिनट की फीचर फिल्म की शुरुआत अफ़गानिस्तान के एक दूरदराज के इलाके से होती है। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे एक युवा महिला चरवाहा, एक पक्षी पकड़ने वाला लड़का और मातम में डूबा शिक्षक आपस में एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं, जब उन्हें यह पता चलता है कि उनके स्कूल को जलाकर राख कर दिया गया है। फिल्म में उस समय एक नया मोड़ आता है, जब युवा महिला चरवाहा एक अमरीकी महिला सैनिक की जान बचाकर उसे अपने गांव ले जाती है। इस फिल्म को ईरान और अफगानिस्तान में शूट किया गया है और दरी एवं अंग्रेजी भाषा में बनाया गया है।”

बकौल निर्देशक रामिन रसौली,

“ईरानी और अफगानी कलाकारों ने इस फिल्म में अपना सहयोग दिया है। इस फिल्म का निर्माण ईरान और अफगानिस्तान के संयुक्त प्रॉडक्शन के रूप में किया गया है, लेकिन ज़्यादातर नायक अफ़गानी हैं।”

उन्होंने कहा कि,

“फिल्म के कुछ हिस्से को ईरान में शूट किया गया है, क्योंकि अफ़गानिस्तान में कुछ परिस्थितियाँ शूटिंग के लिए अनुकूल नहीं थी।”

भारतीय और विश्व सिनेमा के प्रति उनके प्रेम के बारे में पूछे जाने पर, रामिन ने कहा कि,

“अन्य अफ़गानिस्तायों की तरह, वह भी भारतीय फिल्में देखकर और बॉलीवुड के गाने सुनकर बड़े हुए हैं। हकीकत तो यह है कि आप मेरी फिल्म में ईरानी संस्कृति और भारतीय संदर्भों की झलक का मिश्रण देख सकते हैं।”

एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि, 

“जब पक्षी पकड़ने वाले लड़का पक्षियों के साथ एक टैंक में शरण लेता है, उस दौरान वह जिन गानों को सुनता है, उनमें भारतीय गाने भी शामिल हैं।”

उन्होंने कहा कि,

“भारत और अफगानिस्तान के बीच घनिष्ठ संबंध हैं और अफगानिस्तान में भारतीय संस्कृति का प्रभाव तेज़ी से बढ़ रहा है।”

कोरोना महामारी और विपरीत परिस्थितियों के बीच इस महोत्सव के आयोजन के लिए आईएफएफआई को बधाई देते हुए निर्देशक ने बताया कि, वह खुद अपनी इस फिल्म को बड़े पर्दे पर पहली बार आईएफएफआई में ही देख रहे हैं।

“मैं यहाँ आकर काफी खुश हूं, यह मेरी फिल्म के लिए बड़ा मौका है कि उसे दुनिया के बड़े फिल्म महोत्सवों में से एक आईएफएफआई में प्रदर्शित किया जा रहा है। मैं भारत में पहली बार आया हूं, लेकिन मैं भारत से प्यार करता हूं। मैंने यहाँ काफी एन्जॉय किया।”

निर्देशक रामिन रसौली ने अपने फिल्म करियर की शुरुआत ईरान में की थी, और अब वह नीदरलैंड में रहते हैं। सिनेमा के प्रति उनकी रुचि की वजह से 14 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने लिखना शुरू कर दिया था, और 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी पहली 8 एमएम की फिल्म बनाई थी। वह अब तक 10 शॉर्ट फिल्म और 2 फीचर फिल्म बना चुके हैं। उनके करियर की पहली फीचर फिल्म लीना को वर्ष 2017 में फेस्टिवल सर्किल में प्रवेश मिला था। दि डॉग्स डिडनॉट स्लीप लास्ट नाइट उनकी दूसरी फीचर फिल्म है।

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