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लिटिल इप्टा के शिविर का रंगारंग समापन, कलाकारों ने नृत्य, नाट्य और संगीत कला में दिखाई प्रतिभा

आगरा। लिटिल इप्टा द्वारा सूरसदन में आयोजित 43वें ग्रीष्मकालीन शिविर का रविवार को रंगारंग समापन हो गया। ‘सूखी धरती’ नामक इस सांस्कृतिक संध्या में लोगों को पर्यावरण और जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने का प्रयास दिखा। इप्टा के संस्थापकों में शामिल रहे रंगकर्म के पुरोधा स्व. राजेन्द्र रघुवंशी जी का ये जन्म शताब्दी वर्ष है लिहाज़ा उन्हीं को समर्पित इस समारोह में कई प्रस्तुतियां उनकी ही रचनाओं पर आधारित थीं। उदघाटन मुख्य अतिथि स्वतंत्रता सेनानी रानी सरोज गौरिहार ने किया। संरक्षक सुरेश चंद्र गुप्ता और अध्यक्ष एमएल गुप्ता, समन्वयक दिलीप रघुवंशी और शिविर की मुख्य निर्देशिका ज्योत्स्ना रघुवंशी सहित समस्त इप्टा परिवार मौजूद था। पुरस्कार वितरण के साथ समापन हुआ, जिसमें स्व. शैलेन्द्र रघुवंशी सम्मान और डॉ. जितेंद्र रघुवंशी पुरस्कार से भी कलाकारों को नवाज़ा गया। सांस्कृतिक समारोह का आगाज़ टाइटल सांग ‘सूखी धरती’ की प्रस्तुति के साथ हुआ। इसके बाद स्व.राजेन्द्र रघुवंशी जी की रचना बाधक हों तूफान बवंडर नाटक नहीं रुकेगा…प्रस्तुत किया गया। नन्हे-मुन्ने बच्चों ने ‘म्याऊँ’ नामक बालसुलभ प्रस्तुति दी। इसके बाद प्रशिक्षणार्थियों ने ‘वृद्ध का पुनर्जन्म’ नामक प्रस्तुति दी। इसके बाद प्रस्तुत नेपाली नृत्य ने सभागार में मौजूद दर्शकों का मन मोह लिया। केशव तलेगांवकर ने इस मौके पर राजेन्द्र रघुवंशी जी को समर्पित दो संगीतमयी प्रस्तुतियां देकर उनकी यादों को ताज़ा कर दिया। इसी क्रम में बच्चों ने अगली प्रस्तुति दी-कहाँ बनाऊँ तरकारी। भानू सिसौदिया ने एक गीत पेश किया। ज्योति खंडेलवाल के निर्देशन में बच्चों ने शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति दी। मिनी ओलंपिक में भी बच्चों की धमाचौकड़ी सबको भायी। मूक अभिनय प्रस्तुति ‘मोबाइल’ भी समसामयिक प्रस्तुति रही। लोक गीत संगीत के साथ घूमर नृत्य की छटा भी क्या खूब बिखरी। ततहीर ने भी नृत्य की प्रस्तुति दी। अंत में राजस्थानी समूह नृत्य की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया। नीतू दीक्षित, भुवनेश धाकड़, मुक्ति किंकर, शकील चौधरी, परमानंद, योगेंद्र स्वरूप सहित अन्य संस्कृतिकर्मियों का विशेष योगदान रहा।

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