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प्रेमचंद का वैचारिक लेखन हिन्दू और मुस्लिम एका की जैसी बात करता है, उसकी आवश्यकता आज के भारतीय समाज को बहुत ज़्यादा है : वीरेंद्र यादव

‘स्मरण प्रेमचंद 22’ के अंतर्गत कथा सम्राट की 86 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर ‘नहीं बदला प्रेमचंद का देस’ समारोह का आयोजन सांस्कृतिक संस्था ‘रंगलीला’, ‘प्रेमकुमारी शर्मा स्मृति समिति’ और’ छांव फाउंडेशन’ ने संयुक्त रूप से किया।

ब्रज पत्रिका, आगरा। “जितना महत्त्वपूर्ण प्रेमचंद का कथा साहित्य है उतना ही महत्त्वपूर्ण उनका कथेतर विचार साहित्य भी है। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में इस वैचारिक साहित्य ने जितनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, उससे ज़्यादा ज़रुरत उसकी आज के भारतीय समाज को है प्रेमचंद का यह वैचारिक लेखन हिन्दू और मुस्लिम एका की जैसी बात करता है उसकी आवश्यकता आज के भारतीय समाज को बहुत ज़्यादा है, क्योंकि इस समाज में हिन्दू और मुस्लिम घृणा फैलाई जा रही है।”

यह कहना है हिंदी के सुप्रसिद्ध आलोचक वीरेंद्र यादव (लखनऊ) का, श्री यादव आज यहाँ ‘स्मरण प्रेमचंद 22’ के अंतर्गत कथा सम्राट की 86 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित समारोह में मुख्य वक्ता की हैसियत से बोल रहे थे। ‘नहीं बदला प्रेमचंद का देस’ इस समारोह का विषय था। समारोह का आयोजन सांस्कृतिक संस्था ‘रंगलीला’, ‘प्रेमकुमारी शर्मा स्मृति समिति’ और’ छांव फाउंडेशन’ ने संयुक्त रूप से किया था। शुरुआत में आयोजकों द्वारा अतिथिओं का स्वागत किया गया।

समारोह को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ आलोचक और दिल्ली विश्व विद्यालय में वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. सुधा सिंह ने कहा कि,

“प्रेमचंद एक मुकम्मल राजनैतिक लेखक थे। उन्होंने अपने साहित्य और विचारात्मक लेखन में राजनीति की खुलकर पक्षधरता की। उन्होंने किसान और मजदूर के पक्ष में लिखा, उन्होंने सम्प्रदायिकता
के विरूद्ध लिखा और उन्होंने भ्रष्टाचार विरोध को अपने लेखन का केंद्र बिंदु बनाया।”

समारोह में विषय प्रवर्तन करते हुए सुप्रसिद्ध लेखक अरुण डंग ने प्रेमचंद को सरदार भगत सिंह के समकक्ष रखते हुए कहा कि,

“दोनों के शत्रुओं की संख्या एक सी थी। यही वजह है कि दोनों का तब जितना विरोध था उतना ही आज भी है। लेकिन दोनों ही सदी के नायक तब भी थे और आज भी हैं।”

समारोह को सम्बोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन ने कहा कि,

“प्रेमचंद के उसूलों को सड़कों पर लेकर जाने की ज़रुरत है।”

कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध शायर अमीर अहमद जाफ़री ने की। संचालन डॉ. अखिलेश श्रोत्रिय और मन्नू शर्मा ने किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल शुक्ल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। समारोह में धन्यवाद ज्ञापन आशीष शुक्ला ने दिया।

इस अवसर पर समाजसेवी डॉ. सी.पी. राय, कवि संजीव गौतम, सुधांशु साहिल, राजकुमार रंजन, दीपक शांडिल्य, केके शर्मा,
नमिता शर्मा, डॉ. आभा चतुर्वेदी, डॉ. नारायण सिंह, रमेश पंडित, डॉ. गिरजा शंकर शर्मा, डॉ. महेश धाकड़, रंजीत गुप्ता, हिमानी चतुर्वेदी, मधु भारद्वाज, अशोक कुमार, अजय तोमर, रामभरत उपाध्याय, आनन्द मेवाती, वत्सला प्रभाकर, शंकरदेव तिवारी, मनीषा शुक्ला सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

युवा अभिनेत्री सृष्टि गुप्ता ने ईदगाह कहानी का रंगपाठ किया

स्मरण प्रेमचंद 22 नामक इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण प्रेमचंद की मशहूर कहानी ईदगाह का रंगपाठ था। रंगलीला की बहुचर्चित ‘कथावाचन’ शैली में उक्त कहानी को युवा अभिनेत्री सृष्टि गुप्ता ने प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुति से सभी दर्शक भाव विभोर हो गए।

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