“फकीरी जिंदगानी है फकत इतनी कहानी है, जिसे दरिया समझते हो मेरी आंखों का पानी है…!”
आनंद इंटर कॉलेज द्वारा अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण करने के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में बही गीत-गजल और हास्य-व्यंग्य की त्रिवेणी।
कवि सम्मेलन में गीतकार पंकज शर्मा व लाफ्टर फेम हेमंत पांडे रहे मुख्य आकर्षण।
ब्रज पत्रिका, आगरा। “फकीरी जिंदगानी है फकत इतनी कहानी है, जिसे दरिया समझते हो मेरी आंखों का पानी है, जो दिल में है जुबां पे है यही किरदार है मेरा, ना दो बातें, ना दो चेहरे, लहू ये खानदानी है…!” टीवी फेम कवि पंकज शर्मा ने जब मंच से अपने इस नग्मे को स्वर दिया तो समूचा प्रांगण तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा।
मौका था आनंद इंटर कॉलेज द्वारा अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण करने के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के भव्य आयोजन का, जिसमें देश के ख्यातिप्राप्त कवियों ने अपनी एक से बढ़कर एक प्रस्तुति से माहौल को खुशनुमा बना दिया। रविवार को अर्जुन नगर के शुभ लग्न सेवा सदन में आयोजित इस कवि सम्मेलन में गीत-गजल और हास्य-व्यंग्य की त्रिवेणी बही। कवि सम्मेलन का शुभारम्भ कालेज प्रबंधक हरिशंकर शुक्ल, डॉ. लोकेश शर्मा, आनंद शुक्ल एवं जितेंद्र शुक्ला के साथ आमंत्रित कवियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित करके किया।
इटावा से पधारीं कवियत्री योगिता चौहान की सरस्वती वंदना से प्रारम्भ हुए कवि सम्मेलन में लाफ्टर फेम हेमंत पांडे ने अपनी हास्य-व्यंग्य रचनाओं से जमकर ठहाके लगवाए कि-
“छलनी करके मेरा वो सीना चली गई, मुश्किल करके मेरा वो जीना चली गई। हम भंडारे में पूड़िया सेकते ही रह गये, उधर कौशल के संग मेरी कटरीना चली गई।”
वहीं मैनपुरी के प्रख्यात कवि बलराम श्रीवास्तव ने लोगों में देश भक्ति की भावना जगाई उन्होंने सुनाया कि-
“किसी से प्यार के प्रतिदान की इच्छा नहीं रखते और फिर व्यर्थ के यशगान की इच्छा नहीं रखते। जन्म हर वार लेना चाहते हैं भूमि भारत पर, अमरता के किसी वरदान की इच्छा नहीं रखते।”
जब मंच पर लखनऊ की सुप्रसिद्ध कवयित्री मालविका हरिओम पधारीं तो उन्होंने अपनी इन सार्थक पंक्तियों पर खूब वाह-वाही लूटी।
“जहाँ बारिश ज़रूरी है वहाँ बादल नहीं जाता, ये कलयुग है यहाँ भूखा कभी रोटी नहीं पाता, बनाता है जो सबके आशियाँ वो ख़ुद ही बेघर है, किसी मज़दूर के हिस्से में छप्पर भी नहीं आता।”
सम्मेलन का संचालन करते हुए कवि पवन आगरी ने भारत-पाक मैच में जीत की आस यूँ जताई कि-
“ये गुलो-चमन हमारा है ये तख्तो-ताज भी हमारा है, वतन परस्ती का जज्बा देखा ही कहाँ है तुमने, वर्ल्ड कप भी हमारा था, एशिया कप भी हमारा है।”
कवियत्री ममता शर्मा ने सुनाया-
“रावणों से हमें ये देश बचाना होगा, अब तो हाथों में धुनुष-वाण उठाना होगा।”
गीतकार शशांक नीरज ने अपने इस शेर पर खूब दाद बटोरी कि-
“ख़ुशबू, जादू, शोख़ी, आँसू सब मुझमें ही रहते हैं, एक इश्किया मौसम के कितने चेहरे होते हैं।”
इस मौके पर महंत गौरव गोस्वामी, कुलदीप ठाकुर, नितेश शर्मा, अखिलेश चौधरी, मधु शर्मा, सचिन चतुर्वेदी, नितिन कोहली, मदन मोहन शर्मा आदि मौजूद रहे।