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‘काटेलाल एंड संस’ शो का कॉन्सेप्ट है- ‘सपनों का कोई जेंडर नहीं होता’, जो कि सबसे अलग है-अशोक लोखंडे

सोनी सब के ‘काटेलाल एंड संस’ में अपनी भूमिका के बारे में बताते हुए अशोक लोखंडे ने कहा, ‘‘इस रोल की चुनौती है हरियाणवी सीखना!’’

ब्रज पत्रिका। सोनी सब के ‘काटेलाल एंड संस’ में अशोक लोखंडे एक अहम भूमिका में नज़र आयेंगे। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के स्टूडेंट रहे अशोक लोखंडे इस शो में अपने किरदार को लेकर बेहद रोमांचित भी हैं। वह कहते हैं कि धरमपाल मेरे पिछले किरदारों से बहुत अलग है। मुझे इस किरदार का ग्रे शेड पसंद आया और शो का कॉन्सेप्ट भी। प्रस्तुत हैं, अशोक लोखंडे संग बातचीत के संपादित अंश।

सोनी सब के ‘काटेलाल एंड संस’ से जुड़कर कैसा लग रहा है? आपने यह शो किस कारण से किया?

“मुझे यह रोल कैसे मिला, इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। मेरा एक करीबी दोस्त है, जो कास्टिंग भी करता है और मैंने उसके साथ पहले भी काम किया है। उसने लॉकडाउन के दौरान मेरी तस्‍वीरें देखीं। मैंने अपने बाल डाई नहीं किये थे, क्योंकि मैं घर पर था और मेरे सारे बाल सफेद थे, दाढ़ी भी बहुत बढ़ी हुई थी। मेरे दोस्त ने वह फोटो ‘काटेलाल एंड संस’ की टीम को दिखाए और मुझे ऑडिशन के लिये बुलाया गया। यह कहानी मुझे भी तब तक पता नहीं चली, जब तक कि मुझे यह रोल नहीं मिला था। मैं फिर से टेलीविजन पर आने की योजना नहीं बना रहा था, लेकिन इस रोल ने मुझे आकर्षित किया और मुझे इसके लिये हाँ करनी पड़ी। धरमपाल मेरे पिछले किरदारों से बहुत अलग है। मुझे इस किरदार का ग्रे शेड पसंद आया और शो का कॉन्सेप्ट भी।”

‘काटेलाल एंड संस’ आपके पिछले शोज से कैसे अलग है?

“काटेलाल एंड संस शो का कॉन्सेप्ट है- ‘सपनों का कोई जेंडर नहीं होता’, जोकि सबसे अलग है। इसे खूबसूरती से गढ़ा गया है और इसका संदेश इसके किरदारों और कथानक में छुपा है। यह शो प्रेरक है और लोगों को अपने सपनों के बारे में सोचने और सीमाओं से परे जाकर उन्‍हें पूरा करने के लिये प्रोत्साहित करेगा। यह टेलीविजन पर आने वाले उन कुछ एक शोज में से एक है, जो लिंग के आधार पर काम को बांटने वाली लोगों की रूढ़िवादी सोच को चुनौती देते हैं। मैं इस तरह के किसी शो में काम करना चाहता था और मुझे यकीन है कि मेरे फैन्स और सोनी सब के दर्शक भी इसे पसंद करेंगे।”

आप अपने इस किरदार के बारे में कुछ बताइये।

“मैं ‘काटेलाल एंड संस’ में धरमपाल ठाकुर की भूमिका में हूँ। वह एक पारंपरिक इंसान है, जिसके लिये उसके सिद्धांत और मान्यताएं बहुत मायने रखती हैं, क्योंकि वे पीढ़ियों से चली आ रही हैं। उसे एक मेन्स हेयर सैलून का मालिक होने पर गर्व है, जिसका नाम ‘काटेलाल एंड संस’ है। यह सैलून कई पीढ़ियों से चल रहा है और उसे सैलून में अपनी कुशलताओं और बेहतरीन सेवा पर गर्व है। उसके खानदानी सैलून का नाम काटेलाल एंड संस है, लेकिन उसकी दो बेटियाँ हैं, जिनका सैलून में प्रवेश करना या भविष्य में यह बिजनेस संभालना मना है। धरमपाल अपनी बेटियों से बहुत प्यार करता है, लेकिन अपनी मान्यताओं को लेकर बहुत कठोर है। घर में कमाने वाला केवल वही एक शख्‍स है, जिसे अपने परिवार की देखभाल करना और सारी जिम्मेदारियाँ निभाना पसंद है।”

दो जवान बेटियों के पिता का रोल करना आपके लिये कितना कठिन या आसान था? ‘काटेलाल एंड संस’ में काम करने का अनुभव कैसा रहा?

“यह सचमुच आसान था। असल जिन्दगी में मेरी एक प्यारी बेटी है और मैं स्क्रीन पर लंबे समय से पिता का किरदार निभा रहा हूँ। जिया और मेघा के साथ शूटिंग का अनुभव मजेदार रहा और वे मेरे लिये बेटियों की तरह ही हैं। ‘काटेलाल एंड संस’ की बेहतरीन टीम के साथ शूटिंग का अनुभव भी उम्दा रहा। जिया और मेघा सेट में जान डाल देती हैं और वे बहुत मेहनती और प्यारी लड़कियाँ हैं। एक आर्टिस्ट के तौर पर मैं धरमपाल की भूमिका निभाते हुए बहुत रोमांचित हूँ, क्योंकि हर दिन मुझे कुछ नया आजमाने और सीखने को मिलता है।”

आपके रोल में आपके लिये सबसे चुनौतीपूर्ण क्या है?

“धरमपाल का किरदार स्वभाव से थोड़ा ग्रे है, दर्शक कुछ चीजों के लिये उसे पसंद करेंगे, लेकिन उसके कठोर और घिसे-पिटे तरीकों के लिये उसे नापसंद भी कर सकते हैं। कभी-कभी सही समय पर सही भावना को व्यक्त करना चुनौतीपूर्ण होता है। इस रोल की दूसरी चुनौती है हरियाणवी सीखना और सभी शॉट्स में उस बोली को एक जैसा रखना।”

क्या आप इस रोल के लिये कोई खास तैयारी कर रहे हैं?

“चूंकि मैं असल जिन्दगी में भी एक पिता हूँ, तो मुझे तैयारी की जरूरत नहीं है। इस रोल की तैयारी में सबसे ज्यादा ध्यान अपने उच्चारण को सही करने पर दिया जाना था। मैं नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के दिनों में दिल्ली रह चुका हूँ और उस समय मुझे ऐसे लोग मिले थे, जो इस बोली में बोलते थे। इसलिये, यह बोली मेरे लिये बिलकुल नई नहीं है, पर अपने रोल के साथ पूरा न्याय करने के लिये मुझे इसकी बहुत प्रैक्टिस करनी पड़ी।”

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