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8वीं ब्रिक्स विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार -एसटीआई मंत्रिस्तरीय बैठक शुक्रवार को आयोजित हुई

बैठक में सर्वसम्मति से ब्रिक्स एसटीआई घोषणा-पत्र 2020 और ब्रिक्स एसटीआई गतिविधियों का कैलेंडर 2020-21 को स्वीकार किया गया.

“कोविड-19 महामारी का दौर इम्तिहान का रहा है, जो यह दर्शाता है कि, ऐसी वैश्विक चुनौतियों से पार पाने के लिए बहुपक्षीय सहयोग काफी महत्वपूर्ण है”: डॉ हर्षवर्धन

“हम ब्रिक्स देशों के साथ बातचीत करने और पारस्परिक ज्ञान साझा करने, क्षमता निर्माण करने तथा क्रॉस-इनक्यूबेशन को बढ़ावा देने के लिए ब्रिक्स देशों के साथ नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़ने के महत्व को पहचानते हैं”: डॉ हर्षवर्धन

ब्रिक्स के सदस्य देशों ने विज्ञान और इंजीनियरिंग के प्रमुख क्षेत्रों में अनुसंधान तथा विकास गतिविधियों को शुरू करने के वास्ते प्रख्यात महिला शोधकर्ताओं के रूप में उभरने और उनका समर्थन करने के लिए भारत की योजना ‘एसईआरबी – सर्ब पॉवर’ (खोजपूर्ण अनुसंधान में महिलाओं के लिए अवसरों को बढ़ावा देना) की सराहना की.

ब्रज पत्रिका। ब्रिक्स समूह (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार मंत्रियों ने 13 नवंबर की शाम को एक वर्चुअल माध्यम से सदस्य देशों के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सहयोग पर विस्तृत चर्चा की। रूस के विज्ञान और उच्च शिक्षा मंत्रालय ने इस बैठक का आयोजन किया और रूसी संघ ने 12वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की।

बैठक में अपने संबोधन के दौरान केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने समापन सत्र में भाग लेने वाले गणमान्य व्यक्तियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि, “ब्रिक्स एसटीआई घोषणा-पत्र 2020 और ब्रिक्स एसटीआई गतिविधियों का कैलेंडर 2020-21 हमारे सहयोग को और अधिक आगे बढ़ाने के लिए एक रोडमैप के रूप में कार्य करेगा”। बैठक के दौरान ब्रिक्स एसटीआई घोषणा-पत्र 2020 को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।

बैठक के दौरान डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि,

“कोविड-19 महामारी का दौर हम सबके लिए चुनौतियों भरा रहा है, जो यह दर्शाता है कि, ऐसी वैश्विक चुनौतियों से पार पाने के लिए बहुपक्षीय सहयोग बेहद महत्वपूर्ण है”। उन्होंने कहा, “चूंकि हम स्वयं इस महामारी से सबसे अधिक प्रभावित आबादी में से एक हैं, इसलिए यह समय इस महामारी से निपटने के लिए ब्रिक्स देशों के बीच अधिक से अधिक सहयोग करने का अवसर प्रदान करता है। भारत ने इस अभूतपूर्व कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए एक एकीकृत प्रक्रिया शुरू की है। भारत में सार्वजनिक तथा निजी दोनों तरह की भारतीय अनुसंधान और विकास इकाइयों द्वारा इस महामारी का मुकाबला करने के लिए स्वदेशी टीकों के विकास से लेकर, पारंपरिक ज्ञान पर आधारित निदान तथा देखभाल के नए तरीकों की खोज और चिकित्सीय सूत्रीकरण, अनुसंधान संसाधन स्थापित करने और सेवाओं की पेशकश करने के लिए अथक प्रयास किये जा रहे हैं। सैकड़ों परियोजनाओं का समर्थन भी किया जा रहा है। कोविड-19 का मुक़ाबला करने के लिए एक सौ से अधिक स्टार्टअप ने नये-नये उत्पाद विकसित किए हैं।”

इस बात का ज़िक्र करते हुए कि “समावेशी विकास के लिए नवाचार का, घोषणा-पत्र में महत्वपूर्ण रूप से उल्लेख है।”, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि, “हम ब्रिक्स देशों के साथ बातचीत करने और आपसी ज्ञान साझा करने, क्षमता निर्माण करने तथा क्रॉस-इनक्यूबेशन को बढ़ावा देने के लिए ब्रिक्स देशों को नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण समझते हैं।

ब्रिक्स के सदस्य नेताओं ने डॉ. हर्षवर्धन के इस कथन के लिए भारत की भूरि-भूरि प्रशंसा की, “हमने हाल ही में विज्ञान और इंजीनियरिंग के प्रमुख क्षेत्रों में अनुसंधान तथा विकास गतिविधियों को शुरू करने के लिए प्रख्यात महिला शोधकर्ताओं के रूप में उभरने और उनका समर्थन करने के लिए भारत की योजना ‘एसईआरबी- सर्ब पॉवर’ (खोजपूर्ण अनुसंधान में महिलाओं के लिए अवसरों को बढ़ावा देना) की शुरुआत की है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि, हम एक समर्पित मंच और तंत्र के माध्यम से ब्रिक्स महिला वैज्ञानिकों की नेटवर्किंग करने के बारे में भी सोच सकते हैं। केंद्रीय मंत्री ने दोहराया कि “भारत 2020-21 के ब्रिक्स एसटीआई कैलेंडर के कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से अपना योगदान देगा और विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवाचार पर ब्रिक्स समझौता ज्ञापन के तहत निरंतर वैज्ञानिक गतिविधियों का समर्थन करता रहेगा।”

2019-2020 में वर्किंग ग्रुप की बैठक की रिपोर्ट पर आधारित दूसरे सत्र (कोविड-19 महामारी समन्वित कॉल तथा ब्रिक्स विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार संचालन समिति की गतिविधि के परिणाम) और विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर समझौता ज्ञापन के 5 साल के कार्यान्वयन के परिणाम पर आयोजित सत्र में भाग लेते हुए भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि

“हमें ब्रिक्स विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवाचार की पहल को और अधिक कुशल बनाने, इस पर ध्यान केंद्रित करने तथा इसे परिणामोन्मुखी बनाने की आवश्यकता है।” उन्होंने सराहना करते हुए कहा कि, “मुझे यह जानकर बेहद हुई है कि, ब्रिक्स देश विशेष रूप से वैज्ञानिक मंत्रालयों के द्वारा वर्तमान वैश्विक कोविड-19 महामारी का निपटान करने के लिए हाथ मिलाने को तत्पर हैं।”

रूसी संघ के विज्ञान और उच्च शिक्षा मंत्री वालेरी फल्कोव; फेडरेटिव रिपब्लिक ऑफ ब्राजील के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार मंत्री मार्कोस पोंस; पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के पहले उपाध्यक्ष हुआंग वी; दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के उच्च शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. बोगिन्कोसी इमैनुएल नज़ीमांडे के साथ ही सदस्य देशों के कई अन्य गणमान्य लोगों ने इस बैठक में भाग लिया।

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