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पंजाब में जल जीवन मिशन का कार्यान्‍वयन पूरे जोरों पर; पानी की बर्बादी को कम करने के लिए वॉल्यूमेट्रिक टैरिफ पर विशेष जोर देने के साथ राज्य ने 2022 तक व्‍यापक कवरेज की योजना बनाई

ब्रज पत्रिका । पंजाब ने 2022 तक सभी ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल का पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। राज्य ने 2020-21 में 7.60 लाख घरेलू कनेक्शन की योजना भी बनाई है। जल जीवन मिशन के तहत, यह राज्य ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने और उन्हें बेहतर जीवन स्तर देने की दिशा में काम कर रहा है। केन्‍द्र सरकार का प्रमुख कार्यक्रम – जल जीवन मिशन (जेजेएम), राज्यों से साझेदारी के तहत कार्यान्वित किया जाता है, जिसका उद्देश्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर को कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) प्रदान करना है। यह मिशन प्रत्‍येक ग्रामीण परिवार को प्रतिदिन प्रति व्यक्ति (एलपीसीडी) और नियमित रूप से तथा लंबी अवधि के आधार पर निर्धारित गुणवत्ता वाले 55 लीटर पीने योग्य पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा।

होशियारपुर जिले के कंडी क्षेत्र के तखनी गांव में स्थित तखनी एसवीएस योजना एक एकल ग्राम योजना है। यह एक भूजल-आधारित एसवीएस जून 2020 में शुरू किया गया है और गांव के सभी 165 घरों और साथ ही स्कूलों और आंगनवाड़ियों को नल द्वारा जल का कनेक्शन प्रदान करता है। इस योजना की एक खास विशेषता यह है कि अधिक ऊंचाई पर स्थित लगभग 40 घरों में पानी की आपूर्ति की जाती है, जहां बूस्टर पंपिंग के माध्यम से पानी उठाया जाता है। इस योजना के माध्यम से 40 साल के बाद अधिक ऊंचाई वाले परिवारों को पर्याप्त मात्रा में पीने योग्य पानी मिला। बुनियादी जल गुणवत्ता मानकों के परीक्षण के लिए फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करके पानी की गुणवत्ता की सामुदायिक निगरानी की जा रही है। जीपी जल और स्वच्छता समिति (जीपीडब्‍ल्‍यूएससी) पूरी तरह से योजना का संचालन और रखरखाव करती है। जीपीडब्‍ल्‍यूएससी हर महीने 150 रुपये का शुल्‍क इकट्ठा करता है, जो मासिक संचालन एवं रखरखाव खर्च को पूरी तरह से कवर करता है। यह जल जीवन मिशन की आत्मा है, क्योंकि लोग दीर्घकालिक स्थिरता के लिए गांव के बुनियादी ढांचे के निर्माण और प्रबंधन की जिम्मेदारी लेते हैं।

जल जीवन मिशन की घोषणा के बाद टाना और नौलखा गांव एकल गांव जलापूर्ति योजना इसके कार्यान्वयन, संचालन और रखरखाव के लिए सामुदायिक भागीदारी का एक अच्छा उदाहरण हैं। जीपीडब्‍ल्‍यूएससी का गठन पांच साल पहले किया गया है और यह कुशलतापूर्वक कार्य कर रहा है। दोनों योजनाओं में जीपीडब्‍ल्‍यूएससी में इसकी संरचना में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं शामिल हैं और सभी ग्रामीण सक्रिय रूप से ग्राम विकास कार्यों में भाग ले रहे हैं। गांव में जलापूर्ति योजना को चौबीस घंटे सातों दिन जल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया है। इसका स्रोत भूजल है, जिसे एक ओवरहेड टैंक में पंप किया जाता है। लेवल सेंसिंग प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल से पंपों का स्वचालित संचालन किया जाता है। ओवरहेड टैंक में स्थापित लेवल सेंसर द्वारा पंप के रनिंग और स्टॉप को नियंत्रित किया जाता है, जिससे ऑपरेटर की भागीदारी कम हो। ऑपरेटर मीटर रीडिंग, राजस्व संग्रह और ग्राहक शिकायतों को कम करने जैसी गतिविधियों में लगा हुआ है। इन दोनों गांवों में पानी की आपूर्ति प्रणाली का डिजाइन इस तरह से किया गया है कि ओवरहेड टैंक से पानी प्रत्‍येक घर की छत पर पहुंचता है, जिससे गांव के सबसे दूर के घर में पानी का दबाव कायम रहता है। प्रत्येक घर के रूफटॉप टैंक में एक फ्लोट वाल्व लगाया जाता है, जो पानी के अतिप्रवाह को रोकता है और जिससे पानी का अपव्यय रूकता है। इसके अलावा, घर का नल दैनिक उपयोग के लिए छत के टैंक से जुड़ा हुआ है, जो पूरे दिन घर के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करता है और सिस्टम में सबसे दूर स्थित टैंक में पानी स्थानांतरित करने के लिए भी दबाव कायम रखता है।

पंजाब में पेयजल आपूर्ति परियोजनाओं के लिए सामुदायिक योगदान एकत्र करने की अपनी नीति है, जिसे ग्राम पंचायत द्वारा एकत्र किया जाता है। एक नीति के रूप में, पूरे समुदाय के योगदान को एकत्र करने और ग्राम पंचायत जल और स्वच्छता समिति (जीपीडब्ल्यूएससी) के बैंक खाते में जमा करने के बाद ही नए जल आपूर्ति कार्यों को लिया जाता है। जल आपूर्ति योजनाओं के लिए स्थानीय समुदाय के बीच स्वामित्व और गौरव की भावना लाना इसके पीछे तर्क है। पंजाब के अधिकांश गांवों में ग्राम पंचायत जल और स्वच्छता समिति (जीपीडब्‍ल्‍यूएससी) के माध्यम से योजनाओं के संचालन और प्रबंधन में सक्रिय सामुदायिक भागीदारी है। कुल 12,030 गांवों में से 7,871 गांवों ने पहले ही जीपीडब्‍ल्‍यूएससी का गठन किया है।

पंजाब में, कई गांवों में घरेलू स्तर पर पानी के मीटर स्थापित हैं। कुछ गांवों में, वाटर मीटर रीडिंग के आधार पर वॉल्यूमेट्रिक टैरिफ वसूला जाता है। हालांकि, अधिकांश गांव अभी भी एक फ्लैट शुल्क लेते हैं। जीपीडब्‍ल्‍यूएससी द्वारा चलाई जाने वाली अधिकांश जल आपूर्ति योजनाएं वित्तीय रूप से टिकाऊ हैं और वे घरेलू स्तर पर टैरिफ के माध्यम से संपूर्ण मात्र संचालन एवं रखरखाव की लागत वसूल करती हैं। राज्य ने अब वॉल्यूम टैरिफ पर जोर देने की योजना बनाई है, जो निश्चित रूप से पानी की बर्बादी को कम करने में मदद करेगा। पंजाब के इन गांवों में सफलता की गाथाएं सरकारी कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन में सामुदायिक भागीदारी की भूमिका पर जोर देती हैं।

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