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राहत इंदौरी को 2017 में दिया था फ़िराक इंटरनेशनल अवार्ड, ‘चित्रांशी’ के पदाधिकारियों ने उनके निधन पर जताया शोक!

ब्रज पत्रिका, आगरा। मशहूर शायर राहत इंदौरी साहब के निधन पर चित्रांशी संस्था के अध्यक्ष के.सी. श्रीवास्तव ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने इस मौके पर 26 मार्च 2017 को होटल ग्राण्ड में चित्रांशी संस्था द्वारा आयोजित 35वें कुल हिन्द मुशायरे को भी याद किया है, जिसमें कि उनको 51,000 रुपये की सम्मान राशि के फ़िराक इंटरनेशनल अवार्ड से नवाज़ा गया था।

चित्रांशी संस्था के संस्थापक अध्यक्ष केसी श्रीवास्तव पर प्रकाशित हुई पुस्तक ‘हमारे केसी भाई’ में भी उनके विषय में अपने विचार व्यक्त किए थे, जिसका आगरा क्लब में इसी साल विमोचन हुआ था। जिसमें राहत इंदौरी साहब ने केसी श्रीवास्तव के उर्दू अदब के लिए की जा रही सेवाओं की सराहना की थी। उन्होंने चित्रांशी संस्था के उस मुशायरे का भी इसमें जिक्र किया है, जिसमें कि 1986 में उन्होंने पहली बार शिरकत की थी। जिसके बाद वे संस्था के कई मुशायरों में आते रहे। जब राहत साहब मुम्बई शिफ्ट हो गए तब भी उनको बुलाया जाता रहा।

इस पुस्तक में राहत इंदौरी ने अपनी एक ग़ज़ल भी अपने लेख के साथ शेयर की है-

“हमें दिन रात मरना चाहिए था,
मियाँ कुछ कर गुजरना चाहिए था!
बहुत ही खूबसूरत है ये दुनिया,
यहाँ कुछ दिन ठहरना चाहिए था!
मुझे तूने किनारे से है जाना,
समंदर में उतरना चाहिए था!
अकेली रात बिस्तर पर पड़ी है,
मुझे उस दिन से डरना चाहिए था!
डुबोकर मुझको खुश होता है दरिया,
उसे तो डूब मरना चाहिए था!
ये देखो! किरचियाँ हैं आईने की,
सलीके से संवरना चाहिए था…!”

चित्रांशी संस्था के संस्थापक अध्यक्ष केसी श्रीवास्तव ने बताया,

“राहत इंदौरी साहब सरीखे शायर का जाना उर्दू साहित्य की बहुत बड़ी क्षति है। उन्होंने हमेशा जन सामान्य में सदभाव और कौमी एकता बढ़ाने वाले अपनी शेर-ओ-शायरी से देश और समाज की न भुलाई जा सकने वाली सेवा की।”

संस्था के उपाध्यक्ष डॉ. बीएन कौशल, महासचिव अमीर अहमद अधिवक्ता, सचिव ई. जीडी शर्मा, तरुण पाठक, संगठन सचिव हरीश सक्सेना ‘चिमटी’, मीडिया सचिव डॉ. महेश चंद्र धाकड़, कार्यकारिणी सदस्य शिवराज यादव एवं डॉ. त्रिमोहन ‘तरल’ आदि ने भी उनके निधन को उर्दू साहित्य जगत की अपूर्णीय क्षति करार दिया है।

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