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केंद्र सरकार में राज्यमंत्री जनरल वी.के. सिंह ने बताया मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में फर्क!

ब्रज पत्रिका। केंद्र सरकार में राज्यमंत्री जनरल वीके. सिंह ने कहा है कि भारत की सीमा कभी भी चीन के साथ नही थी, तिब्बत के साथ थी। उनके अनुसार नेहरू जी पंचशील संधि के लिए इतने उतावले हो गये, उन्होने किसी की नही सुनी। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव लगातार बरकरार है। चीन की सेना यहां से पीछे हटने को फिलहाल तैयार नहीं दिखती। लिहाजा भारतीय सेना ने करारा जवाब देने के लिए कमर कस ली है। इसी सन्दर्भ में सरकार द्वारा सेना को फ्री-हेंड देने की बात भी हो रही है।

‘न्यूज़-18 इंडिया’ से बातचीत करते हुए केन्द्रीय मंत्री जनरल वी.के. सिंह ने बताया कि फ्री-हेंड का तात्पर्य होता है कि सरकार सेना के पीछे किस प्रकार खड़ी है। उनके अनुसार,

“सेना अपनी कार्यवाही करती है। उसमें उन्हे पूरा कंट्रोल है – इसके बाद अगर सरकार उनकी पीठ थपथपाती है और कहती है कि आप कार्यवाही करें, अगर कोई ग़लती होती है तो हम उसको संभालेंगे – इसे फ्री हेंड कहते हैं।”

ऐसे में उन्होने कॉंग्रेस और भाजपा सरकार में फ़र्क की भी बात की।

वर्ष 2012 के आर्मी-डे समारोह को याद करते हुए उन्होने बताया कि,

“उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री म्यांमार दौरे पर जाने वाले थे, जब कि वी.के. सिंह वहाँ का दौरा करके आए थे। वहाँ सड़क बनाने का सामान देना था। मैने प्रधानमंत्री से कहा कि अगर आप सेना को ये काम सौंप देते तो हम 15 दिन में ये सामान उनको दे देते लेकिन तीन साल हो गये वो सामान नही पहुँचा। वो हमें ‘नो एक्शन ओनली टॉक’ कहते थे। तब मनमोहन सिंह जी ने कहा कि जनरल साहब कुछ प्रक्रिया होती हैं और उनके हिसाब से चलना पड़ता है। दूसरी तरफ अगर ऐसे कोई चीज़ होती है जिससे भारत की छवि या नागरिकों को नुकसान पहुँचता है तो आज के प्रधानमंत्री (मोदी जी) बोलते नही हैं, लेकिन काम हो जाता है।”

सन 1962 के बारे में बात करते हुए उन्होने कहा कि,

“उस समय हमारा राजनैतिक नेतृत्व बहुत कमज़ोर था। उस समय के जो सबसे बड़े नेता थे (जवाहर लाल नेहरू), वो शांति दूत के रूप में अपनी छवि बनाना चाहते थे और इसलिए बहुत सी चीज़ें कमज़ोर हुईं। भारत की सीमा कभी भी चीन के साथ नही थी, तिब्बत के साथ थी। जब 50 के दशक में चीन वहाँ पर आया तब हमने कुछ नही किया। उसके बाद नेहरू जी पंचशील संधि के लिए इतने उतावले हो गये, उन्होने किसी की नही सुनी।”

उन्होने आगे कहा कि 2020 का भारत 1962 का भारत नहीं है। उनके मुताबिक भारत अपने तरीके से सक्षम है, नेतृत्व सक्षम है और पहचानता है कि कब कहाँ क्या एक्शन लेना चाहिए।

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