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एफटीआईआई में एडमिशन से संस्कृति के साथ-साथ पिता जितेंद्र के सपने भी हुए साकार

ब्रज पत्रिका। ताजनगरी आगरा की संस्कृति शर्मा का फ़िल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) में फ़िल्म मेकिंग और फ़िल्म राइटिंग के ऑनलाइन कोर्स में एडमिशन हो गया है। जितेंद्र शर्मा और रुपाली शर्मा की बिटिया संस्कृति इस वक़्त अपने माता-पिता के साथ मुम्बई में रह रही है।

इस कामयाबी से उनके माता-पिता के साथ-साथ पारिवारिक मित्र, रिश्तेदार और शुभचिंतक बेहद खुश हैं और संस्कृति की इस फख्र करने लायक कामयाबी के लिए बधाई देने का सिलसिला जारी है।

उल्लेखनीय है कि संस्कृति के पिता जितेंद्र शर्मा आगरा के सांस्कृतिक जगत में एक पहचान बनाने के बाद केबिल तथा रेडियो इंडस्ट्री में प्रोडक्शन के क्षेत्र में खास मुकाम हासिल करने के बाद वर्तमान में मुम्बई में फ़िल्म और टेलीविजन प्रोडक्शन के कार्य में एक के बाद एक कामयाबियां हासिल करके आगरा का नाम रोशन कर रहे हैं। बिटिया संस्कृति के नाम से एक प्रोडक्शन कंपनी भी बनाई है, इसी संस्कृति प्रोडक्शन के जितेंद्र शर्मा निदेशक हैं।

संस्कृति प्रोडक्शन के निदेशक जितेंद्र शर्मा ने कहा,

“कभी-कभी सपने पूरा होने में बहुत समय ले लेते हैं ऐसे ही कुछ सपने बचपन में पंजाब केसरी और स्क्रीन पत्रिका में फिल्मों की ख़बरें पढ़ते-पढ़ते बॉलीवुड से जुड़ने के देखे थे, सुना था किसी भी विधा में काम करने से पहले उसकी शिक्षा अच्छे से प्राप्त करो, उस समय मंदिर की तरह हुआ करते थे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) और फ़िल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) लेकिन बिना उचित मार्गदर्शन और बहुत से अभावों की वजह से ये सपना पूरा नहीं हो पाया। लेकिन सभी बड़ों और सीनियर्स के आशीर्वाद से ये सपना पूरा हो रहा है बच्चों के माध्यम से। बिटिया संस्कृति ने काफी सारी फिल्मों और टीवी में बतौर एक्ट्रेस, असिस्टेंट डायरेक्टर, क्रिएटिव और प्रोडक्शन इन्चार्ज काम किया, लेकिन अब सही समय था, शिक्षा को आगे ले जाने का, जब सब तरफ काम बंद पड़ा हों तो अच्छा समय है खुद को पोलिश करने का, यही सोचते-सोचते संस्कृति का एडमिशन फ़िल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) में फ़िल्म मेकिंग और फ़िल्म राइटिंग के ऑनलाइन कोर्स में कराने की सोचकर एप्लाई करवाया था, और खुशी का उस वक़्त कोई ठिकाना नहीं रहा जब ये जानकारी मिली कि उसका इसमें सिलेक्शन हो गया है। अब यकीन हो गया कि देखे गए सपने कभी कभी असंभव भले ही लगते हों मगर वह पूरे हो जाते हैं। सपने ही तो बस अपने हैं, जो कभी भी पूरे हो सकते हैं बस जरूरत है सपने देखने की।”

संस्कृति ने अपनी कामयाबी पर खुशी जताते कहा,

“मुझे बेहद खुशी है इस बात की कि एक ड्रीम इंस्टीट्यूट में मेरा एडमिशन हो गया, जिसके चलते मुझे फ़िल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री में अपना करियर बनाने में मदद मिलेगी। मुझे उससे भी ज्यादा खुशी यह है कि कभी मेरे पिताजी का ये सपना हुआ करता था, जिसको वे कुछ प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते पूरा नहीं कर सके लेकिन उनके सपनों को मैं साकार करने के लिए उत्साहित व दृण संकल्पित हूँ। मुझ पर पिताजी फख्र कर सकें, बस ऐसा काम और नाम मैं अर्जित करूँगी।”

 

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