रमज़ान का पाक महीना शुरू, कोरोना महामारी के चलते घरों में ही पढ़ी जाएगी नमाज़
ब्रज पत्रिका, आगरा। चाँद के दीदार के साथ ही रमज़ान का पाक महीना शुरू हो गया है। चाँद कमेटी की बैठक जामा मस्जिद में हुई जिसमें शहर मुफ़्ती खुबैब रूमी साहब और जमा मस्जिद के इमाम इरफ़ान उल्ला ख़ाँ निज़ामी साहब ने चाँद दिखने का ऐलान किया और कहा कि पहला रोज़ा शनिवार को रखा जायेगा। इसके साथ ही रोजेदारों द्वारा पहला रोज़ा शनिवार को रखा गया।
चाँद के दीदार के साथ ही रमज़ान की मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो गया। लोगों के फोन घनघनाने लगे। घरों में खुशियाँ मनायी गयीं। मस्जिदों से भी लाउड स्पीकर के जरिये इसका ऐलान किया जाने लगा। लोगों ने रोजों की तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया। हालांकि लॉक डाउन के चलते इस बार मस्जिदों में जाकर नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकेगी। बाज़ार भी बंद हैं लिहाज़ा रोज़ेदारों को सहरी और इफ़्तार के लिए फल और अन्य खानपान की वस्तुओं के लिए थोड़ी मुश्किलें आ रही हैं।
इस बार इफ़्तार पार्टियों का आयोजन भी नहीं हो सकेगा। इन इफ्तार पार्टियों में गैर मुस्लिम भी शरीक होते थे। परस्पर भाई चारे में इज़ाफ़ा करने का ज़रिया हुआ करती थीं ये हालांकि कुछ इफ्तार पार्टियाँ राजनीतिक लोगों द्वारा अपने जनसंपर्क को मजबूत करने के लिए भी दी जाती थीं मगर इस वर्ष ये सब न हो सकेगा।
इस बार रमज़ान के पाक महीने में चार जुमे पड़ रहे हैं। अलविदा जुमे की नमाज़ 22 मई को घरों में ही पढ़ी जाएगी। आगरा की जामा मस्जिद के इमाम इरफान उल्ला खां निज़ामी साहब ने मुस्लिम समाज के लोगों से कहा है ये महीना हमें गुनाहों से बचने और भलाई के रास्ते पर चलने की सीख देता है। रोज़ा रखें, इबादत करें और लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुए घरों में ही इबादत करें।
नशीन ख़ानक़ाह के सज्जादानशीन अजमल अली शाह साहब ने कहा है इस बार पूरी दुनिया कोरोना की वजह से घरों में सिमटी हुई है। घरों में ही रोज़े के सारे फ़र्ज़ अदा होंगे। उन्होंने लोगों से अपील की है कि आप सभी रमज़ान में पढ़ी जाने वाली तरावीह इस बार घरों में ही पढ़ें। साथ ही जरूरतमंदों की मदद जरूर करें।
इसके साथ ही मुस्लिम समाज के अन्य धर्म गुरुओं द्वारा भी ये नसीहतें दी गयी हैं कि पांचों वक़्त की नमाज़ घर में ही अदा करें। तरावीह भी घर पर ही पढ़ें। रमज़ान के दिनों में मस्जिदों में न जायें। घर या मोहल्ले में मज़मा न लगायें। क्योंकि महामारी के फैलने का डर बरकरार है। पूर्व के वर्षों की भाँति इस वर्ष रमज़ान के दिनों में घूमना-फिरना भी बंद रखें। हालांकि कोरोना महामारी के चलते इस बार लोगों के उत्साह में बेहद कमी दिखाई दे रही है वरना इस पाक महीने में मुस्लिम बाहुल्य रिहाइशी इलाकों में रौनक देखने लायक हुआ करती थी। बाज़ार भी गुलज़ार रहा करते थे। मस्जिदों पर विद्युत सजावट हुआ करती थी। मगर इस बार ये सब देखने को नहीं मिल रहा है।
इन सबके बावजूद मुस्लिम समाज के लोगों में अपनी धार्मिक परंपराओं के निर्वाह के लिए और रोज़े रखने के लिए एक खास जज़्बा दिखाई दे रहा है। मुस्लिम समाज के लोगों ने हालांकि एहतियात बरतते हुए रोज़े रखने का जज़्बा जाहिर किया है। घरों में इसके लिए बराबर तैयारियाँ चल रही हैं।
बसंत विहार निवासी आईटी प्रोफेशनल गुल मोहम्मद बताते हैं घरों में अपने मिलने-जुलने वालों को भी इफ्तार के वक़्त हम लोग बुलाया करते थे। मगर इस सबसे इस बार हमको वंचित होना पड़ रहा है। बकौल गुल मुझे पिछले साल की कई मुलाक़ातें इस बार याद आ रही हैं जब स्नेहीजनों के साथ हमने अपने घर पर इफ़्तार किए थे। मैं सबकी खुशहाली की दुआ करता हूँ। अल्लाह से दुआ माँगता हूँ कोरोना से सबकी हिफाज़त करें। पुराने शहर के वाशिंदे अनस सैय्यद ने बताया घर मे रोज़े रखने की शुरुआत हो गयी। नमाज़ हम सब घर पर ही पढ़ रहे हैं। हम सबकी खुशमिजाजी की दुआ अल्लाह से कर रहे हैं।