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कोरोना वायरस के खतरों के चलते चैत्र नवरात्र में अपने घर में रहकर, ऐसे भी हो सकता है देवी पूजन

ब्रज पत्रिका, आगरा। बुधवार 25 मार्च का सूर्योदय नई खुशियां और उमंग लेकर आया है, इसकी प्रकाश रश्मियों में जहाँ हर्ष और उल्लास समाहित है वहीं आस्था की खुशबू भी है। चहुँओर आस्था और विश्वास के प्रतीक इस पर्व पर जन-जन इस वर्ष कोरोना वायरस के आतंक के चलते भयभीत तो दिख रहा है, मगर आस्थावान भारतवासी इन हालातों में भी देवी पूजन के लिए उत्साहित दिख रहे हैं। सुबह से ही देवी मंदिरों के बजाए घर में ही आस्थावान लोगों द्वारा देवी का आह्वान और पूजन किया जा रहा है।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हो रहा है। इसके साथ-साथ हिन्दू नववर्ष यानि कि विक्रम संवत 2077 भी प्रारंभ हो रहा है। जब कोरोना वायरस दुनिया में अपना आतंक मचाये हुए है, लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी गयी हैं। सरकारी स्तर पर भी बाहर न निकलने के सख्त आदेश हैं। ऐसे मुश्किल वक़्त में स्वास्थ्य की परवाह पहले जरूरी है, मगर आस्थाओं को भी अगर अपने जीवन में बरकरार रखना है तो कोरोना वायरस के खतरों के चलते घर में रहकर भी हो सकता है देवी पूजन। धर्म ग्रंथों में उसके लिए भी वैकल्पिक उपाय बताये गए हैं। आगरा की वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य और धर्म शास्त्र विशेषज्ञ डॉ. शोनू मेहरोत्रा ने ब्रज पत्रिका को इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया सनातन धर्म व ज्योतिष आदिकाल से ही देश-काल एवं परिस्तिथि को महत्व देता आया है। हर पंचांग में इस बात का ज़िक्र किसी भी मुहूर्त को निकालने से पहले दिया होता है। इस महत्वपूर्ण तथ्य को ध्यान में रखते हुए चैत्र नवरात्रों में आप अपने घरों में रहकर जो भी सामग्री घर में उपलब्ध है उसी से पूजन एवं हवन करें। पान, फल, फूल, नैवेद्य आदि के लिए ज्यादा परेशान न हों। ईश्वर भाव के प्रेमी होते हैं वस्तुओं के नहीं! इस बात का स्पष्ट उल्लेख हमारी पौराणिक पुस्तकों में मिलता है, पर हम समय के साथ अज्ञानता को गले लगाकर वस्तुओं में ही उलझ कर रह गए और भाव कहीं बहुत पीछे रह गया। कुछ भी न हो सके तो बस देवी के मंत्रों का जाप करें। देवी को प्रसन्न करने के लिए आत्मसंयम, सादा जीवन व ध्यान ज्यादा आवश्यक है अपितु वस्तुओं के। कलश स्थापना घर के एक शुद्ध पात्र में भी हो सकती है। उसके लिए बाजार से मिट्टी का कलश लाना जरूरी नहीं। लाल चुन्नी की जगह लाल कपड़ा भी आप प्रयोग में ला सकते हैं। यह भी न हो पाए तो आप हल्दी के थापे लगाकर भी पूजन कर सकते हैं। हल्दी तो  वैसे भी रोग नाशक होती है। आप प्रसाद के रूप में बाजार से नेवैद्य न लाएं इसके जगह आप तुलसी दल भी चढ़ा सकते हैं। प्रसाद के रूप में तुलसी दल ग्रहण करना स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से काफ़ी लाभप्रद है। Jशंख, घण्टे, ढोलक, मंजीरे अपने घर में  बजाकर भी आप देवी की आराधना कर सकते हैं। साथ ही विषैले कीटाणुओं को खत्म भी कर कर सकते हैं। इसके लिए मंदिर जाकर एकत्र होने की आवश्यकता कतई नहीं। मकसद यह है कि आप घर के बाहर न निकलें बल्कि जो भी सामग्री आसानी से उपलब्ध हो उसी से देवी की आराधना करें। सम्भव हो सके तो अखण्ड जोत अवश्य जलाएं। इससे वातावरण शुद्व हो जाता है। अज्ञारी का समान घर में हो तो अवश्य करें, न हो तो केवल कपूर से आरती कर सकते हैं वो भी न हो तो एक तोला शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं, यह वातवरण को शुद्ध कर ऑक्सीजन पैदा करता है। हमेशा ध्यान रखें कि ईश्वर भाव के भूखे होते हैं न कि प्रक्रिया के! अपने घर पर ही रहें। नवरात्रि के नाम पर मंदिरों में दर्शन करने न जाएं, बल्कि मंत्रों एवं ध्यान पर बल दें।

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