राजा नींद चैन की सोये, रैयत की दम घुटती है…!
‘साहित्य दर्शन’ संस्था ने आनंद विहार-बल्केश्वर क्षेत्र में बहाई काव्य-धारा।
संस्थाध्यक्ष बाल साहित्यकार डॉ. रामवीर शर्मा ‘रवि’ का जन्म दिवस पर किया गया नगर के कवि-साहित्यकारों द्वारा विशेष अभिनंदन।
ब्रज पत्रिका, आगरा। एक लंबे अंतराल के बाद साहित्य जगत में रचनात्मक गतिविधियों की पुनः शुरुआत करते हुए ताजनगरी की प्रमुख साहित्यिक संस्था साहित्य दर्शन द्वारा बुधवार शाम बल्केश्वर के न्यू आदर्श नगर स्थित आनंद विहार में संस्थाध्यक्ष और बाल साहित्यकार डॉ. रामवीर शर्मा ‘रवि’ के आवास पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी में नगर के प्रमुख कवि-साहित्यकारों ने काव्य की रसधारा बहाई, वहीं बाल साहित्यकार डॉ. रामवीर शर्मा ‘रवि’ के जन्म-दिवस पर उनकी साहित्य-सेवा के लिए विशेष अभिनंदन भी किया गया।
डॉ. रामवीर शर्मा ‘रवि’ ने सबका आभार जताते हुए अपनी रचना से राजनीतिक विद्रूपता पर कटाक्ष किया-
“राजा नींद चैन की सोये, रैयत की दम घुटती है। किसको अपना दर्द सुनाएं, कहें उसी से लुटती है…!”
वरिष्ठ कवि राज बहादुर सिंह ‘राज’ ने अध्यक्षीय काव्य-पाठ करते हुए वर्तमान समय की विसंगतियों पर कटाक्ष किया-
“कंक्रीट के जंगल में, नरपशु घनेरे हैं। विषधरों को नचवाते, बीन पर सपेरे हैं!”
मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि डॉ. राजेंद्र मिलन ने बारिश के माध्यम से श्रृंगार का रस घोल दिया-
“रिमझिम रिमझिम झड़ी लगी। आस मिलन की बड़ी लगी।आजा मन सांवरिया रे। नैना हैं बावरिया रे!”
विशिष्ट अतिथि आरबीएस कॉलेज की पूर्व प्राचार्य डॉ. सुषमा सिंह ने प्रेरक संदेश दिया-
“आज नहीं तो कल मिलेंगे मुश्किलों के हल। सोचना है, समझना है, डालो माथे पर बल। हारने की सोचना मत, सोचना बस जीत की। अंधेरों में मंज़िलों के दीप उठेंगे जल!”
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार शीलेंद्र कुमार वशिष्ठ ने दोहरे चरित्र पर व्यंग्य कसा-
“ऐसे ऐसे शातिर बंदे। उजले तन के मन के गंदे!”
पुष्पेंद्र शरण शर्मा ‘पुष्प’, कमल ‘आशिक’, राकेश जैन ‘फक्कड़’, कामेश ‘सनसनी’, संजय शर्मा और डॉ. यशोयश ने भी अपनी-अपनी काव्य-रचनाओं से सभी को भाव-विभोर कर दिया। साथ ही डॉ. यशोयश ने हृदय स्पर्शी संचालन भी किया।