‘सुर रंगोत्सव’ में कलाकारों ने अपने मधुर सुरों संग बिखेरी फागुनी दिलकश रंगत, खुशी से झूम उठे श्रोताओं के तन-मन
संगीत जगत के प्रतिष्ठित संगीतज्ञ समीर भालेराव ने अपनी आवाज़ में शानदार प्रस्तुतियों से समाँ बांधा।
ब्रज पत्रिका, आगरा। पं. रघुनाथ तलेगाँवकर फ़ाउंडेशन ट्रस्ट एवं संगीत कला केन्द्र, आगरा द्वारा होली उत्सव का सुरमयी आयोजन गत शनिवार को सुर सभागृह में किया गया। दीप प्रज्ज्वलन तथा माँ सरस्वती, पं. रघुनाथ जी, सुलभा जी एवं पं. केशव तलेगाँवकर जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस शुभ कार्य का निर्वहन संस्था अध्यक्ष विजय पाल सिंह चौहान, अनिल वर्मा, अरविन्द कपूर, श्रीकृष्ण एवं प्रबंधन्यासी प्रतिभा केशव तलेगाँवकर ने किया।
सर्वप्रथम प्रस्तुति के रूप में संगीत कला केन्द्र के छात्र गोपाल मिश्रा, जतिन नागरानी एवं आर्ची ने प्रतिभा तलेगाँवकर के निर्देशन में पं. रघुनाथ तलेगाँवकर जी द्वारा राग कलावती में रचित सरस्वती वन्दना जय-जय श्री मात सरस्वती गाकर होली उत्सव के आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण किया। तत्पश्चात केन्द्र की नीपा साहा, ईशा सेठ, अभिलाषा शुक्ला एवं आर्ची ने रानी सरोज गौरिहार जी द्वारा कृत “मिलके चलो री सबु” एवं “रंगों की होली आयी” की प्रस्तुति दी। ढोलक पर उस्ताद सलीम खाँ और संवादिनी पर पं. रवीन्द्र तलेगाँवकर ने उत्कृष्ट संगति की।
इसके बाद केन्द्र के छात्रों गोपाल मिश्रा एवं जतिन नागरानी ने राग बसन्त में पंडित रघुनाथ जी की सुप्रचलित रचना “आज सखि श्याम होरी” का अत्यन्त मधुर एवं कलात्मक गायन किया गया। इनके बाद झाँसी के सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ समीर भालेराव ने राग कल्याण में विलंबित रचना एवं मध्यलय रचना के उपरान्त राग सोहनी की प्रचलित रचना “रंग ना डारो श्याम जी” से श्रोताओं को झूमने पर आतुर कर दिया। तत्पश्चात राग किरवानी पर आधारित पंजाबी ठुमरी का सुमधुर गायन कर रसिकों को आनंदानुभूति कराई। संवादिनी पर पं. रवीन्द्र तलेगाँवकर एवं तबले पर नगर के युवा वादक भानु प्रताप सिंह ने सूझभरी संगत की। कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष विजय पाल सिंह चौहान ने भी अपने आशीर्वचन दिए और उपस्थित श्रोताओं का आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम में उपस्थित सुधी श्रोताओं में अरविन्द कपूर, डॉ. अनिल गौतम, शशि गौतम, डॉ. नकुल गौतम, पं. गिरधारी लाल, धनवन्त्री पराशर, मिताली श्रीवास्तव, मनीष प्रभाकर, शशि कुसुमवाल, उमा शंकर मिश्र, संदीप अरोड़ा, ज्योति प्रसाद, तपोष गिरि, सुधीर कुमार, मुक्ता तलेगाँवकर, आशीष पाठक और भारतीय संगीतालय तथा केन्द्र के छात्र आदि शामिल रहे। कार्यक्रम की बागडोर और संचालन सम्भाला श्रीकृष्ण ने। संपूर्ण कार्यक्रम को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करने में शुभ्रा तलेगाँवकर का विशेष योगदान रहा। वहीं कार्यक्रम के पार्श्व सहयोगी हर्षित आर्य, नीरज ग्रे आदि रहे।