बौद्धिक आतंकवाद का नाम देकर विवेक को खत्म करने की साजिश का हिस्सा बनने से बचना ही होगा : प्रो. पुरूषोत्तम अग्रवाल
डॉ. जितेंद्र रघुवंशी का 72वीं जयंती पर यूथ हॉस्टल में आयोजित कार्यक्रम में कलाकारो और बुद्धिजीवियों ने किया भावपूर्ण स्मरण।
ब्रज पत्रिका, आगरा। आहत भावनाओं की राजनीति के खेल में पहचान की राजनीति का हाथ है इसको पहचानने के लिए विवेक की क्षमता और आलोचना सुनने की क्षमता जीवन में विशेष महत्व रखती है अतः इसको जीवित रखना आवश्यक है। जिस समाज में भावना का स्थान बढ़ता जाए और विवेक का स्थान कम होता जाए वह खतरनाक बन जाता है। सामूहिक मूर्खता कोई विशेष प्रकार की मूर्खता नही वह राजनीति का खेल है।
यह विचार यूथ हॉस्टल में 13 सितंबर की शाम “स्मरण जितेंद्र रघुवंशी” नामक आयोजन में बोलते हुए प्रमुख चिंतक प्रो. पुरूषोत्तम अग्रवाल ने मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए।
प्रो. पुरूषोत्तम अग्रवाल ने अपने भाषण में आगे कहा कि,
“बौद्धिक आतंकवाद का नाम देकर विवेक को खत्म करने की साजिश का हिस्सा बनने से बचना हो होगा। किसी भी विचारधारा को हमारे विवेक को खारिज करने का अधिकार नहीं हैं।”
भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के राष्ट्रीय महासचिव राकेश वेदा ने कहा कि,
“कबीर जी ने भी जो कि विवेक के हामी थे उन्होंने विवेक को ब्रह्म से ऊपर रखा है।”
कार्यक्रम में डॉ. जितेंद्र रघुवंशी को याद करते हुए उनकी कविता “नाम में क्या रखा हैं” और “शांति का जोखिम” का पाठ डॉ. विजय शर्मा, “बर्फ के आंसू” कहानी का पाठ तनिमा रघुवंशी ने किया। भावना जितेंद्र रघुवंशी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. ज्योत्सना रघुवंशी ने कहा कि,
“डॉ. जितेंद्र रघुवंशी रंगकर्म में विविधता के पक्षधर थे और उनकी विवेकपूर्ण कलात्मक अभिव्यक्ति को प्राथमिक रूप से जरूरी मानते थे।”
कार्यक्रम में कॉमरेड सरला जैन को पौधा देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की व्यवस्थाओं में मानस रघुवंशी, डॉ. विजय शर्मा, नीतू दीक्षित, शकील चौहान आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
आयोजन में उपस्थित लोगों में पूर्व कुलपति प्रो. सुंदर लाल, प्रो. रामवीर सिंह, प्रो.आरसी शर्मा, डॉ. पीएस कुशवाह, प्रो.राजेद्र शर्मा, डॉ. जवाहर सिंह धाकरे, कॉमरेड एमपी दीक्षित, राजवीर सिंह राठौर, डॉ. उमाकांत चौबे, डॉ.शशिकांत, रमेश पंडित, डॉ. प्रियम अंकित, प्रो. कमलेश नागर, रमेश दीक्षित, डॉ. महेश धाकड़, अशोक रावत, राजीव सिंघल, भोलानाथ सिंह, अनिल जैन, प्रमोद सारस्वत, बसंत रावत, उमा शंकर मिश्र, विशाल रियाज, असलम खान, मनीष सिंह, मुदित शर्मा, संजय गुप्त, प्रमोद राणा आदि शामिल रहे।