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संगीत के सुमधुर स्वरों के संग किया सुप्रभात, वहीं शाम भी हुई साजों-आवाज़ों से सुहानी!

विश्व संगीत एवं योग दिवस के उपलक्ष्य में नाद साधना सभा के अंतर्गत संगीत साधकों द्वारा नाद योग का अभ्यास।

ब्रज पत्रिका, आगरा। संगीत कला केंद्र और पं. रघुनाथ तलेगाँवकर फ़ाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा नाद साधना के अंतर्गत विश्व संगीत एवं योग दिवस समारोह का सुरम्य आयोजन दो सत्रों में किया गया। यह कार्यक्रम पद्मश्री से सम्मानित बाबा योगेन्द्र जी एवं संतूर संत पं. भजन सोपोरी जी को समर्पित किया गया।

प्रातःकालीन सत्र का शुभारम्भ प्रबंध न्यासी प्रतिभा केशव तलेगाँवकर, सदस्य डॉ. लोकेंद्र तलेगाँवकर एवं उपमा ने श्री गणेश जी, माँ सरस्वती जी और श्रद्धेय पं. रघुनाथ तलेगाँवकर जी, श्रद्धेय सुलभा जी एवं श्रद्धेय पं. केशव तलेगाँवकर जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन करके किया।

तत्पश्चात् श्रद्धेय पं. केशव जी द्वारा रचित नाद वंदना “नाद की साधना स्वर की आराधना” को संगीत कला केन्द्र के छात्रों – आर्ची, कल्पना ठाकुर, गोपाल मिश्र, गौरव गोस्वामी एवं हर्षित आर्य ने गुरू माँ प्रतिभा तलेगाँवकर के निर्देशन में प्रस्तुत किया। तबला संगति डॉ. लोकेंद्र तलेगाँवकर ने की। इसी श्रृंखला में पारम्परिक वैदिक श्लोकों के माध्यम से संस्था के छात्रों ने नाद योग का साम गायन प्रस्तुत कर विश्व संगीत एवं योग दिवस को सार्थक कर श्रोताओं को आध्यात्मिक रस से परिपूर्ण कर दिया।

कार्यक्रम के अगले चरण में संस्था के स्तम्भ श्रीकृष्ण द्वारा योग एवं संगीत के सांगीतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक संयोग की मूलभूत सिद्धांतों के माध्यम से अत्यंत सूक्ष्म एवं गूढ़ व्याख्या की गयी। तत्पश्चात् ध्रुपद केन्द्र कानपुर के वरिष्ठ शिष्यों आशुतोष पाण्डेय, अक्षय शुक्ला, चेतन गुप्ता एवं मृदुल अवस्थी द्वारा राग मियाँ की तोड़ी में चार खंडों के आलाप एवं गुरु पं. विनोद कुमार द्विवेदी द्वारा रचित दो ध्रुपद रचनाएँ प्रस्तुत की गयीं। आपके साथ पखावज पर कुशल संगति की लखनऊ से पधारे प्रवीण द्विवेदी ने।

इस अवसर पर एक विशेष सायंकालीन सत्र का भी आयोजन किया गया जो पद्मश्री से सम्मानित पं. भजन सोपोरी जी को समर्पित रही। ग़ौरतलब है कि पं. भजन सोपोरी जी संस्था द्वारा आयोजित निनाद महोत्सव के 47वें संस्करण में 2011 में आगरा पधारे थे और आपकी अनुपम प्रस्तुति का नगर के संगीत रसिकों ने रसास्वादन किया था।

इस सत्र में कोलकाता से पधारे सुमन मुखर्जी ने अपने शास्त्रीय गायन का आरम्भ अत्यंत कर्णप्रिय राग जोग से किया जिसमें विलंबित रचना एक ताल में निबद्ध रचना “पिहरवा को बेरमाय” तथा द्रुत तीन ताल में पारम्परिक रचना “साजन मोरे घर आए” प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन आपने मीराबाई जी के भजन “तुम संग काहे प्रीत लगाये” से कर सभा को अलौकिक क्षितिज तक पंहुचाया। आपके साथ उत्कृष्ट तबला संगति ज्योतिर्मोय चक्रवर्ती ने दो तथा संवादिनी पर सूरज शर्मा ने सधी संगत की।

इस अवसर पर आशुतोष पाण्डेय, अक्षय शुक्ला, चेतन गुप्ता, मृदुल अवस्थी एवं सुमन मुखर्जी को संस्था द्वारा ‘नाद साधक’ तथा प्रवीण द्विवेदी, ज्योतिर्मोय चक्रवर्ती एवं सूरज शर्मा को ‘नाद सहोदर’ का सम्मान प्रदान किया गया।

सभा का समापन संस्था प्रबन्ध न्यासी प्रतिभा केशव तलेगाँवकर ने सभी रसिकों का आभार प्रकट करते हुए संस्था के आगामी कार्यक्रमों के लिये उपस्थित रहने का निवेदन कर धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के प्रातःकालीन सत्र का सुन्दर संचालन आकाशवाणी आगरा के कार्यक्रम अधिशासी श्रीकृष्ण जी ने तथा सायंकालीन सत्र का संचालन आरोही तलेगाँवकर ने किया।

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