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हमारी सकारात्मक सोच से खुलते हैं हमारे जीवन के आन्तरिक मार्ग

✍️राज फौजदार

एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारे आसपास क्या हो रहा है इसके बारे में जागरूक और सतर्क रहना जरूरी है, मगर ऐसा भी ठीक नहीं कि हम हर वक्त वही सब करते रहें और अपनी ऊर्जा को नष्ट करते रहें। सब बातों में सब कामों में एक संतुलन भी आवश्यक है, साथ ही अपनी आंतरिक सोच या कहें आंतरिक मार्ग दर्शन पर भी भरोसा करें ताकि कोई गलत सूचना गलत कार्य आपको प्रभावित और भ्रमित न कर सके।

एक कहावत है कि सुनो सबकी और करो मन की। जो हमारी अंतरात्मा हमको दिखाती है वही सही होता है। हर सुनी बात को सच मानने से पहले हमें उस पर आत्ममंथन अवश्य करना चाहिए, इसके कई फायदे हैं, एक तो हमारी सोच गलत नहीं होगी, दूसरा हमारे द्वारा कोई गलत कार्य नहीं होगा, यही बात हमको हमारा अंतर्मन बताता है। सबसे पहले अपना उद्देश्य जाने और समझें। जीवन में सफलता के लिए यह जानना जरूरी है, कि आप कहाँ जाना चाहते हैं, क्या करना चाहते हैं, पहले अपना उद्देश्य स्पष्ट करें, फिर अपने आंतरिक ज्ञान को अपना मार्गदर्शक बनाएं, ताकि स्पष्ट और आसान तरीके से अपने उद्देश्य को हासिल कर सकें।

आपके विचार आपकी स्पष्ट सोच, यहां तक कि हर बात और चीजों को समझने की आपकी क्षमता को प्रभावित करते हैं। यदि आपकी सोच आपकी सच्ची भावना के साथ प्रवाहित नहीं है, तो आप न केवल अपने लिए उपलब्ध जानकारी की गलत व्याख्या करेंगे वल्कि इसका दुरुपयोग भी कर सकते हैं, यदि आपके मन में चिंता, संदेह, भय, ईर्ष्या, द्वेष जैसे नकारात्मक विचार आते रहते हैं, तो आप अपनी ऊर्जा का न चाहते हुए भी विभाजन कर बैठते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि सबसे पहले हमको अपने आसपास के नकारात्मक वातावरण से दूर रहना चाहिए। और यदि किसी कारणवश उसमें संलग्न हो भी जाएं, तो भी उसमें फँसना नहीं चाहिए।

अपनी पूर्ण ऊर्जा को अपने सकारात्मक कर्मों में ही लगाना चाहिए। जिससे हमारे विचार स्वच्छ और शुद्ध बने रहें, तथा हमारे अंदर एक समरसता का भाव सदैव ही बना रहे। और हम अपने आंतरिक सोच और बाहरी वातावरण पर कोई दुष्प्रभाव न पढ़ने दें ताकि सही और सटीक कदम उठाने में मददगार रहे। इसलिए हम नकारात्मक चीजों से खुद को दूर रखें, हमारे लिए हमारा आंतरिक मार्गदर्शन आवश्यक है।

(ये लेखिका के अपने विचार हैं )

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