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पत्रकारों की जिंदगी के दर्द को मुखर कर गया इप्टा का नाटक ‘मैं भी कैसा पत्रकार हूँ!’

आगरा इप्टा की ओर से यह प्रस्तुति नाट्य पितामह राजेंद्र रघुवंशी शताब्दी समारोह व संस्कृतिकर्मियों एवं पत्रकारों को समर्पित रही।

ब्रज पत्रिका, आगरा। ताज महोत्सव के अंतर्गत भारतीय जन नाट्य (इप्टा) संघ आगरा के नाटक ‘मैं भी कैसा पत्रकार हूँ’ की शानदार प्रस्तुति सूरसदन प्रेक्षागृह में हुई। आगरा इप्टा की ओर से यह प्रस्तुति नाट्य पितामह राजेंद्र रघुवंशी शताब्दी समारोह (2019-22) व संस्कृतिकर्मियों एवं पत्रकारों को समर्पित रही। नाट्य प्रदर्शन से पहले विगत 2 वर्षों में दिवंगत रंगकर्मियों एवं उनके दिवंगत परिजन को श्रद्धांजलि अर्पित कर की गयी। राजेंद्र रघुवंशी जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया व श्रद्धा सुमन अर्पित किए गये। नाट्य समारोह में अमर उजाला के सम्पादक विनोद पुरोहित भी विशेष रूप से मौजूद थे।

नाटक “मैं भी पत्रकार हूंँ” के लेखकद्वय राजेंद्र रघुवंशी व ललित मोहन थपलियाल हैं। नाटक में प्रस्तुत कविता ‘मैं भी कैसा पत्रकार हूँ देख रहा अपनी आँखों से कटते मरते भेड़ों के झुंड नाम फौजें अमरीकी फिर भी सच्ची खबरें जग से छुपा रहा हूंँ…।” राजेंद्र रघुवंशी द्वारा रचित है। नाटक का कुशल निर्देशन दिलीप रघुवंशी का रहा।

‘मैं भी कैसा पत्रकार हूँ’ 70 – 80 के दशक का नाटक है, जिसमें पत्रकार गोविंद के जीवन की विषमताओं को रेखांकित किया गया है। देर रात तक समाचार पत्र में काम करना, सुबह घर लौटने की वजह से पति-पत्नी में कलह का बढ़ जाना, आर्थिक अभाव, गोविंद का नित्य नई समस्याओं से सामना होना। समाचार पत्र के कार्यालय में विभिन्न लोग अपने समाचार प्रकाशित कराने आते हैं, नोंक-झोंक के साथ हास्य रस से भरपूर नाटक समाज को ये संदेश देता है कि हमें प्रत्येक विषम परिस्थितियों से लड़ना है, निराश नहीं होना है। पत्रकारिता का धर्म निभाते हुए पारिवारिक मूल्यों की स्थापना करनी है। पत्रकारिता जगत की रोजमर्रा की जिंदगी और उनकी परिस्थितियों को बहुत ही शानदार रूप में इस नाटक के द्वारा प्रभावशाली तरीके से मंचित किया गया।

नाटक में अपनी दमदार प्रस्तुति देने वाले कलाकार इस प्रकार रहे-असलम खान, नीतू दीक्षित, मुक्ति किंकर, संजय सिंह, जय कुमार, कमल गोस्वामी, सूरज सिंह, राधेश्याम यादव, ततहीर चौहान, दिलीप रघुवंशी, सिद्धार्थ रघुवंशी, अनुज गोस्वामी, बृजेश राज श्रीवास्तव, मोहित सिकरवार, आनंद बंसल, शकील चौहान, मिलिंद नांदेड़कर, सूर्य देव, मीतेन रघुवंशी, शैलेंद्र शर्मा, विनोद अग्रवाल। सहयोग दीया डॉ. शशि तिवारी, डॉ. ज्योत्सना रघुवंशी, हरि सक्सेना ‘चिमटी’, राजीव सिंघल ने। प्रबंधन संभाला प्रमोद सारस्वत, कुमकुम रघुवंशी, आयशा चौहान, मनीषा कुलश्रेष्ठ, रिदा किंकर, रायम किंकर ने।

फ़ोटो साभार-असलम सलीमी (सीनियर फोटो जर्नलिस्ट)

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