हम रक्षा-सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में अपनी भागीदारी को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे-राजनाथ सिंह
नई दिल्ली में भारत-अमेरिका 2+2 बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मीडिया से हुए मुख़ातिब।
चर्चा के प्रमुख विषय थे- त्वरित आर्थिक सुधार और विकास की आवश्यकता, महामारी की रोकथाम, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का पुनर्निर्माण व संबंधित मुद्दे।
ब्रज पत्रिका, 27 अक्टूबर 2020: नई दिल्ली में भारत-अमेरिका 2+2 बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर व विदेश मंत्री माइक पोम्पेओ के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने चर्चा की। बैठक बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मीडिया से कहा हमारे बीच बहुत रचनात्मक बातचीत हुई और हम रक्षा-सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में अपनी भागीदारी को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा,
“मैं सचिवों, उनके प्रतिनिधिमंडलों और अमेरिकी मीडिया के सभी सदस्यों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के खतरे के बीच हमसे मिलने के लिए भारत की यात्रा की है। हमारे द्विपक्षीय संबंधों के प्रति आपकी प्रतिबद्धता की मैं ह्रदय से सराहना करता हूं। बैठक के दौरान, हमने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग के प्रमुख पहलुओं पर व्यापक चर्चा की है। हमने उन प्रमुख चुनौतियों पर विचार किया, जिनका हम सामना कर रहे हैं। चर्चा के प्रमुख विषय थे- त्वरित आर्थिक सुधार और विकास की आवश्यकता, महामारी की रोकथाम, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का पुनर्निर्माण व संबंधित मुद्दे। मैंने द्विपक्षीय रक्षा मुद्दों पर चर्चा करने के लिए कल डॉ. एस्पर से मुलाकात की।
हमने आज 2+2 पर व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अपनी चर्चा जारी रखी। 2016 में एलईएमओए और 2018 में सीओएमसीएएसए पर हस्ताक्षर करने के बाद भू-स्थानिक सहयोग के लिए आधारभूत विनिमय और सहयोग समझौते, बीईसीए, पर आज हस्ताक्षर करना, इस दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।”
मैं भारत और अमेरिका दोनों द्वारा उठाए कुछ अन्य उल्लेखनीय कदमों पर भी प्रकाश डालना चाहूंगा, जो हमारी पहले की चर्चाओं के अनुरूप हैं। इनमें आईएफसी–आईओआर में यूएसएन एलओ और एनएवीसीईएनटी, बहरीन में भारतीय एलओ का स्थिति-निर्धारण; सेंटकॉम (सीईएनटीसीओएम) और अफ़्रीकॉम (एएफआरआईसीओएम) के साथ अधिक सहभागिता और समन्वय; सीओएमएसईसी अकाउंट की स्थापना और हमारे अभ्यास के दायरे और जटिलताओं में वृद्धि। अब एक दूसरे के प्रतिष्ठानों पर एलओ, हमारी जानकारी साझा करने की संरचना को मजबूती प्रदान करेंगे।
हमारे सैन्य सहयोग में भी बहुत ही अच्छी प्रगति हो रही है।
बैठक में हमने संभावित क्षमता निर्माण और अन्य देशों, जिसमें हमारे पड़ोसी देश भी शामिल हैं, में संयुक्त सहयोग गतिविधियों पर विचार–विमर्श किया। इस तरह के कई प्रस्तावों पर हमारे विचार एकसमान हैं और हम इसे आगे बढ़ाएंगे। समुद्री क्षेत्र जागरूकता में सहयोग के लिए हमारे अनुरोध की स्वीकृति का मैं स्वागत करता हूं। दोनों पक्ष आवश्यकताओं को समझने और अपेक्षित प्रणालियों और विशेषज्ञता के संयुक्त विकास के लिए प्रक्रियाएं शुरू करने के लिए सहमत हुए हैं।
रक्षा औद्योगिक सहयोग क्षेत्र में बेहद स्पष्ट और उपयोगी चर्चा की
रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहल को एक प्रमुख संचालक और हमारे रक्षा औद्योगिक सहयोग के मार्गदर्शक-कारक के रूप में रेखांकित किया गया। मैंने भारतीय रक्षा उद्योग की क्षमताओं और प्रमुख अमेरिकी प्लेटफार्मों और प्रणालियों की आपूर्ति श्रृंखला में उनकी उपयोगिता को रेखांकित किया। हमने संबंधित एजेंसियों के बीच संयुक्त विकास के लिए प्राथमिकता नियर-टर्म परियोजनाओं की पहचान की है, जिन्हें डीटीटीआई के तहत तेजी से पूरा करने की जरूरत है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास में साथ मिलकर अधिक कुशलता के साथ काम करने का संकल्प
हाल के वर्षों में रक्षा नवाचार क्षेत्र हमारी चर्चाओं का प्रमुख विषय रहा है। आईएसए और आईडीईएक्स/डीआईयू एमओआई पर हमारी पिछली 2+2 बैठकों के दौरान सहमति व्यक्त की गई थी और उन पर हस्ताक्षर भी किए गए थे। इनके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुलाई 2020 में हुई आईडीईएक्स/डीआईयू की उद्घाटन बैठक का हम स्वागत करते हैं और इस वर्ष के पहले आईएसए शिखर सम्मेलन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा-स्थिति का मूल्यांकन साझा किया
हमने इस क्षेत्र में सभी देशों की शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। हम इस बात पर भी सहमत हुए कि यह आवश्यक है कि नियमों पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखा जाये, कानून के शासन का सम्मान किया जाए और अंतर्राष्ट्रीय समुद्र में आवागमन की स्वतंत्रता हो और सभी राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखा जाये। हमारा रक्षा सहयोग इन उद्देश्यों को आगे बढ़ाने का इच्छुक हैं। दोनों पक्षों ने आगामी मालाबार अभ्यास में शामिल होने के लिए ऑस्ट्रेलिया का स्वागत किया।