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ओ मत मारे द्रगन की चोट रसिया, होरी में मोहे लग जायेगी…!

सुर रंगोत्सव का सुरम्य आयोजन, कलाकारों ने अपनी सुमधुर प्रस्तुतियों से मन मोहा

ब्रज पत्रिका, आगरा। पं. रघुनाथ तलेगाँवकर फ़ाउंडेशन ट्रस्ट एवं संगीत कला केन्द्र, आगरा द्वारा आयोजित होली उत्सव में नगर के प्रतिष्ठित संगीतज्ञों ने अपनी सुरमयी प्रस्तुतियों से समाँ बांध दिया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन तथा माँ सरस्वती, पं. रघुनाथ तलेगाँवकर, सुलभा तलेगाँवकर एवं पं. केशव तलेगाँवकर के छायाचित्र पर माल्यार्पण करके किया गया। इस शुभ कार्य का निर्वहन संस्था अध्यक्ष रानी सरोज गौरिहार, विजय पाल सिंह चौहान, अनिल वर्मा, सोम कमल, आचार्य अशोक शास्त्री, श्रीकृष्ण एवं प्रबंध न्यासी प्रतिभा तलेगाँवकर ने किया।

सर्वप्रथम प्रस्तुति के रूप में संगीत कला केन्द्र के छात्र हर्षित आर्य, गोपाल मिश्रा एवं गौरव गोस्वामी ने प्रतिभा तलेगाँवकर के निर्देशन में “होली आयी रे आयी रे…” गाकर होली उत्सव के सुंदर वातावरण का निर्माण किया। तत्पश्चात केन्द्र की कलाकार मिथलेश एवं गुंजन शाक्य ने “होरी खेलो जी राधे सम्भाल के…” की प्रस्तुति दी। इसके बाद पारम्परिक रचना “या ब्रज में हरि होरी मचाई…” का मधुर गायन हुआ, जिसे केन्द्र के छात्रों हर्षित आर्य, गोपाल मिश्रा, गौरव गोस्वामी एवं नीपा साहा ने प्रतिभा तलेगाँवकर के निर्देशन में प्रस्तुत किया। तत्पश्चात नीरू ने कृष्ण भजन गाकर कान्हा के रंग से सराबोर कर दिया। आगरा की वरिष्ठ संगीतज्ञ विजय लक्ष्मी शर्मा ने पारम्परिक होरी रचनाओं से श्रोताओं को झूमने पर आतुर कर दिया। इनके बाद सुनैना ने कृष्ण भजन प्रस्तुत किया। तत्पश्चात रानी सरोज गौरिहार ने आयोजन को अपने आशीर्वचन दिए और स्वरचित ब्रज भाषा की कविता “मिल के चलो तो सबु नंद जी के गाँव…” से सभागार में उपस्थित श्रोताओं को आनंदित कर दिया।

कार्यक्रम के अगले चरण में पं. गिरधारी लाल ने परम्परागत होरी रसिया से दर्शकों को झूमने के लिए बाध्य कर दिया, इस मौके पर पूरे सभागृह में फूलों की वर्षा होने लगी। अंतिम चरण में शुभ्रा ने पं. केशव तलेगाँवकर द्वारा रचित मिश्र काफ़ी में निबद्ध रचना “होरी खेलन आये कन्हाई…” की प्रस्तुति कर अपने पिता को होली की सुरम्य स्वरंजलि अर्पित की एवं प्रतिभा तलेगाँवकर ने “मत मारे द्रगन की चोट…”, “ऐसो चटक रंग डारौ…” एवं “आज बिरज में होरी रे रसिया…” जैसी पारंपरिक रचनाओं से सुर रंगोत्सव को सात सुरों के रंग से संपन्न किया।

पूरे कार्यक्रम में डॉ. लोकेंद्र तलेगाँवकर ने तबले पर, पं. रविंद्र तलेगाँवकर ने हार्मोनियम पर और उस्ताद सलीम खां ने ढोलक पर अत्यंत कौशलपूर्ण संगति दी। कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी आगरा के श्रीकृष्ण ने किया।

कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार डॉ. महेश चन्द्र धाकड़, शशि गौतम, सुनीता वर्मा, मिताली श्रीवास्तव, करुणा, मुक्ता तलेगाँवकर, श्वेता अग्रवाल एवं राजेन्द्र आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के पार्श्व सहयोगी थे अनिल शर्मा, हर्षित आर्य, नीरज ग्रे एवं शुभ्रा तलेगाँवकर।

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