मृत्यु का सत्य और जीवन का आनन्द नजर आया नाटक ‘अग्नि और बरखा’ में!
‘अग्नि और बरखा’ ने शब्दों और नातों से परे सुनाया और दिखाया जीवन का सच।
ब्रज पत्रिका, आगरा। सूरसदन प्रेक्षागृह में ताज लिटरेचर क्लब द्वारा संयोजित और आगरा थिएटर क्लब एवं रंग लोक एकेडमी ऑफ फिल्म एंड थिएटर आर्ट्स के संयुक्त तत्वावधान में प्रस्तुत किया गया नाटक ‘अग्नि और वर्षा’ का मंचन दर्शकों के स्मृति पटल पर गहरी छाप छोड़ गया।
मानव मस्तिष्क के प्रपंच और हृदय में छिपी संवेदनाएं, प्रेम, घृणा के अलावा मृत्यु का सत्य, जिन्दगी का कष्ट और आनन्द। जीवन की परतों में दबे और उभरे पलों के हर रंग। कहीं शून्य की इच्छा तो कहीं बड़ी-बड़ी आकांक्षाएं। गिरीश कर्नाड द्वारा लिखित नाटक ‘अग्नि और बरखा’ का सूरसदन प्रेक्षागृह में मंचन हर दर्शक के अन्तरमन के तारों को झंकृत कर गया। महाभारत के वन पर्व की एक कथा पर आधारित इस नाटक में रंग लोक एकेडमी के विभिन्न प्रांतों के 25 से अधिक छात्रों ने मंचन किया।
कोराना जैसी वैश्विक महामारी से जूझते हुए आम जनमानस की संवेदनशीलता व दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव आया है। यह नाटक भी एक ऐसे समय की ही बात करता है, जब वर्षा न होने पर आमजन त्राहिमाम कर अठा था। वर्षा की अभिलाषा लिए राज्य में अग्निहोम महायज्ञ आयोजित किया गया। स्वर्ण कणों की तरह आमजन पानी बटोर रहे थे। परन्तु अनुष्ठान के नायक इस आपदा के समय भी अपने प्रतिशोध व महात्वाकांक्षा की भावना का परित्याग नहीं कर पाते। और अपनी शक्तियों का प्रयोग अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए ही करते हैं। तब वर्षा के देव इंद्र को कौन द्रवित कर सकता है। आमजन की भलाई के लिए कौन अपनी सर्वप्रिय अभिलाषा का बलिदान देकर सबका नायक बन सकता है। ऐसे समकालीन प्रश्नों का उत्तर खोजता यह नाटक समसामयिक हो जाता है। और दर्शकों की सामूहित चेतना को झकझोर देने का प्रयास करता दिखाई देता है।
कार्यक्रम का मंचीय संचालन रोली सिन्हा और कोमिला धर ने किया। इस नाटक की परिकल्पना और निर्देशन सारांश भट्ट ने किया था। संगीत अभिकल्पना और आकादमिक निर्देशक डिम्मी मिश्रा थे। नृत्य संयोजन व प्रकाश परिकल्पना गरिमा मिश्रा ने की। नाट्य प्रस्तुति के उपरान्त आयोजन समिति के हरविजय सिंह वाहिया ने देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए नाट्य कला प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे कलाकारों का धन्यवाद दिया। इस कार्यक्रम में विशेष सहयोग वेदपाल धर, वत्सला प्रभाकर और राममोहन कपूर का भी रहा।