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पैशन के पीछे भागने से बेहतर उसे जीवित रखना – एक्टर-डायरेक्टर आजाद जैन

ब्रज पत्रिका। प्रोफेशन चाहे जो भी हो लेकिन पैशन का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि कई बार प्रोफेशन आपकी आर्थिक जरूरतें तो पूरी कर सकता है लेकिन मानसिक संतुष्टि देने में पीछे रह जाता है। यह मानना है लगभग 30 वर्षों तक सिविल इंजीनियरिंग डिजाइन कंसलटेंट के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले इंजीनियर डॉक्टर आजाद जैन का, जिन्होंने आज मंझे हुए मेथड आर्टिस्ट के तौर पर अपनी एक अलग पहचान बना ली है। आजाद की इतने लंबे समय तक सिनेमा से दूर रहने के बावजूद एक्टिंग व फिल्म मेकिंग के प्रति अपनी दिवानगी को जीवित रखने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है।

ढूंढी कंस्ट्रक्शन में क्रिएशन की दुनिया

डिजाइन कंसलटेंट होने के नाते आजाद में क्रिएटिविटी की कभी कोई कमी नहीं रही और इसका इस्तेमाल उन्होंने अपने बचपन के सपने को पूरा करने के लिए भी भरपूर किया। अपने पेशे के अनुरूप उन्हें अलग-अलग व्यक्तित्व के लोगों से मिलने का मौका मिला, जिसे उन्होंने बड़ी खूबसूरती से अपने सिनेमाई नजरिए से देखने का प्रयास किया। अपनी हर मीटिंग में काम के अलावा वह विभिन्न कैरेक्टर्स को समझने की कोशिश भी करते रहे। एक वरिष्ठ अधिकारी से लेकर मजदूर तक, आजाद ने हर किसी के किरदार को करीब से परखा और जाने अंजाने उन सभी के अनदेखे पहलुओं को अपने भीतर उतारते चले गए।

रोजमर्रा की जिंदगी में जिया सिनेमा

महज दो वर्ष पूर्व फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाले आजाद को अपनी कई बेहतरीन शॉर्ट फिल्म्स के लिए नेशनल व इंटरनेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इसके पीछे का मुख्य कारण वह अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में जिए उन पलों को मानते हैं जिसने कभी उनके भीतर के आर्टिस्ट को मरने नहीं दिया।

बकौल आजाद जैन,

“यह एक जुनून के साथ निरंतर चलने वाली प्रक्रिया के जरिए संभव हो पाया। मैंने रील लाइफ के लिए मेरे आकर्षण को रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करने का प्रयास किया। जिसके सहारे मैंने तमाम बंदिशों के बाद भी सिनेमा के प्रति अपना उत्साह बनाए रखा। बच्चों के साथ, बचपने का अहसास करने से लेकर आम टैक्सी ड्राइवर की जीवन यात्रा को समझने तक, मुझे जहां मौका मिला, भीतर के आर्टिस्ट को असल दुनिया से जोड़ने का प्रयास किया। क्वालिटी कंटेंट देखना और उसे अपनी तरह से परिभाषित या महसूस करना भी एक महत्वपूर्ण भाग रहा।”

सतत प्रयास से कायम की नई मिसाल

आजाद का मानना है कि यदि हम अपने पैशन के पीछे भागने की बजाय उसे खुद में जीवित रखने के लिए काम करते रहें तो बेशक हमें अपना पैशन जीने का मौका जरूर मिलता है। उन्होंने इस दौरान विभिन्न भाषाओं की अच्छी फिल्में देखने और समझने से लेकर उसके लिए क्रिटिक की भूमिका भी निभाई। उन्होंने एक फिल्म निर्माता या एक्टर के ऐनक से चीजों को तराशने का काम किया, जिसकी बदौलत आज वह कामकाजी लोगों की पूरी एक कौम के लिए ही मिसाल बन गए हैं जो जीवन यापन की दौड़ में अपने सपनों को कहीं पीछे छोड़ देते हैं।

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