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डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए, अदाणी फाउंडेशन ने सामुदायिक कल्याण गतिविधियों के लाभार्थियों की संख्या बढ़ायी

ब्रज पत्रिका। डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए, अदाणी फाउंडेशनने अपनी सामुदायिक कल्याण गतिविधियों को जारी रखने और कुछ क्षेत्रों में लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने में सफलता पाई है।

अदाणी फाउंडेशन के प्रवक्ता ने एक बयान में बताया कि,

“कोविड-19 के मौजूदा संकट से पैदा हुईं चुनौतियों के बीच, अदाणी फाउंडेशन ने सामाजिक दूरी बनाये रखने के मानदंडों को बनाये रखने के लिए समुदायों को सक्रिय करने के नये तरीके विकसित किये हैं।”

प्रवक्ता ने कहा कि,

“इसके अलावा, शिक्षक और स्वयंसेवक खुले स्थानों में छात्र समूहों से मिल रहे हैं। झारखंड में मोबाइल कक्षा ‘ज्ञानोदय रथ’ गोड्डा के गांवों में निर्धारित दौरा करता है। नामित अदाणी कौशल विकास केंद्र द्वारा अपने पाठ्यक्रम ऑनलाइन चलाने के कारण, छात्रों के नामांकन में वृद्धि देखी जा रही है क्योंकि लोकेशन अब एक बाधा नहीं है।”

‘फॉर्च्यून सुपोषण परियोजना’ के अंतर्गत, प्रशिक्षित सामुदायिक स्वयंसेवक ‘सुपोषण संगिनी’ महामारी के दौरान लाभार्थी परिवारों के साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये जुड़ी रहीं और हजारों लाभार्थियों तक पहुंचने में सफल रहीं।

प्रवक्ता के अनुसार, अदाणी फाउंडेशन के समग्र और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में, इन प्रयासों के कारण बदलाव आया है।

अदाणी फाउंडेशन की महिला सदस्यों ने स्वयं-सहायता समूहों को बढ़ावा दिया, जिससे वे अगरबत्ती बनाकर, मशरूम की खेती करके, लाख की चूड़ियाँ और अन्य उत्पाद बनाकर महामारी के दौरान अपने परिवारों की मदद कर सकीं।

गुजरात, झारखंड, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में अदाणी कौशल विकास केंद्रों द्वारा सहायता प्राप्त महिला स्वयं सहायता समूहों ने अदाणीग्रुप के निर्माण-स्थलों पर बांटने के लिए 4.50 लाख से अधिक मास्क का उत्पादन किया। 

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