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उज्बेकिस्तान की युवा पीढ़ी में हिंदी को लेकर बहुत उत्साह है!

ताजिकी विद्यार्थी हिंदी फिल्मों में गहरी रुचि रखते हैं-प्रोफेसर जावेद खोलोव

व्यक्तिगत रूप से तमिलनाडु में हिंदी सीखने को लेकर उत्साह है। यहां हिंदी का विरोध राजनीतिक कारणों से है-प्रदीप कुमार सरमा

ब्रज पत्रिका। केंद्रीय हिंदी संस्थान तथा विश्व हिंदी सचिवालय के तत्वावधान में वैश्विक हिंदी परिवार के आयोजन के अंतर्गत त्री सत्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के पहले सत्र में ‘विश्व हिंदी शिक्षण विमर्श- 7’ के तहत ‘उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान में हिंदी’ विषय पर व्यापक चर्चा की गई।

इस अवसर पर ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र के निदेशक प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा कि,

“उज्बेकिस्तान की युवा पीढ़ी में हिंदी को लेकर बहुत उत्साह है। यहां एक विद्यालय में तीन सौ से ज्यादा विद्यार्थी हिंदी सीख रहे हैं।”

उज्बेकिस्तान के सरकारी प्राच्य विद्या संस्थान की प्रोफेसर उल्फत मुखीबोवा ने प्रो. चन्द्रशेखर की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि,

“उज्बेकी और हिंदी भाषा में काफी समानता है। इनके बीच ऐतिहासिक संबंध हैं। अलबरुनी यहीं से भारत आया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां की युवा पीढ़ी बड़ी संख्या में हिंदी से जुड़ रही है।”

ताजिकिस्तान के पेंजिकेंट पेडगौजिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर जावेद खोलोव ने भारत और ताजिकिस्तान के बीच ऐतिहासिक संबंधों को जिक्र करते हुए कहा कि,

“ताजिकी विद्यार्थी हिंदी फिल्मों में गहरी रुचि रखते हैं।”

कार्यक्रम का संचालन प्रो. चंद्रशेखर ने और संयोजन डॉ. संध्या सिंह और राजीव कुमार रावत ने किया। धन्यवाद ज्ञापन केसरी नंदन ने दिया।

भाषा विमर्श के अंतर्गत कार्यक्रम के दूसरे सत्र में ‘तमिलनाडु में हिंदी की चुनौतियां’ विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई। चेन्नै के गांधी मंड्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर एम. ज्ञानम ने इस अवसर पर बोलते हुए तमिल भाषा और उसके इतिहास कि जानकारी दी।

चेन्नै के दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के कुलसचिव प्रोफेसर प्रदीप कुमार सरमा ने सभा द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि,

“व्यक्तिगत रूप से तमिलनाडु में हिंदी सीखने को लेकर उत्साह है। यहां हिंदी का विरोध राजनीतिक कारणों से है।”

प्रसिद्ध भाषाविद प्रोफेसर वी. जगन्नाथन ने हिंदी को भारत की संघीय एकता के लिए जरूरी बताते हुए इसके सीखने की आवश्यकता पर जोर दिया। सेलम स्थित मद्रास हिंदी प्रचारक संघ के सचिव डॉ. एन. गुरुमूर्ति ने हिंदी प्रचारकों को आ रही चुनौतियों और समस्याओं का उल्लेख करते हुए हिंदी में रोजगार बढ़ाने पर बल दिया।

वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने तमिलनाडु में हिंदी विरोध के इतिहास के बारे में जानकारी दी। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने इतिहास से सबक सीखने की सलाह देते हुए दोनों भाषा के बीच सद्भाव बढ़ाने की बात कही। इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखक और केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल जोशी ने हिंदी-तमिल में सद्भाव बढ़ाने पर बल दिया और तमिलनाडु में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए ठोस सुझाव भी दिए।

कार्यक्रम में नारायण कुमार, वी. एल. आच्छा, राजलक्ष्मी और लक्ष्मी अय्यर आदि विद्वानों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन भोपाल, हिंदी भवन के निदेशक जवाहर कर्नावट और संयोजन राजेश कुमार, नवेंदु वाजपेयी और गंगाधर वानोडे ने किया।

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