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जब तक है धरा आकाश तब तक मरेगी मौत लाखों बार, नीरज मर नहीं सकता…!

पद्मभूषण गोपाल दास ‘नीरज’ की 96वीं जन्मतिथि पर आयोजित कवि सम्मेलन में देश के नामचीन कवियों ने सुनाईं अपनी रचनायें, नीरज जी के प्रति अपने भावों की भी की अभिव्यक्ति।

ब्रज पत्रिका, आगरा। “भरे जो रंग रुबाई में, कोई वो भर नहीं सकता, किया जो काम गजलों में, कोई वो कर नहीं सकता, जब तक है धरा आकाश तब तक, मरेगी मौत लाखों बार, नीरज मर नहीं सकता।” पद्मभूषण गोपाल दास ‘नीरज’ की 96वीं जन्मतिथि पर आयोजित कवि सम्मेलन में बुलंदशहर के क​वि डॉ. अर्जुन सिसौदिया की इस कविता ने क​वि सम्मेलन को एक बार जो नई ऊंचाइयां दीं, तो फिर ये सिलसिला देर रात तक चला।

बल्केश्वर स्थित गोपाल दास ‘नीरज’ के निवास पर महाकवि गोपालदास नीरज फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल और विशिष्ट अतिथि दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया के वाइस प्रेसीडेंट सुनील स्वतंत्र कुमार, व्यवसायी सुरेश चंद्र गर्ग और सचिन गोयल ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके किया। डॉ. विष्णु सक्सेना की सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। कवियत्री रुचि चतुर्वेदी ने भी अपनी मधुर आवाज में श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।

देश के हास्य कवि शंभू शिखर ने यह कविता सुनाकर तालियाँ बटोरीं-

“बातों के पहले से अइधक मीन हो गई, मौका मिला तो दो से भले तीन हो गई, करते थे सेनेटाइज जिसे इश्क से अपने, वो किसके संग क्वारंटीन हो गई…!”

देश के श्रंगार रस के प्रख्यात क​वि डॉ. विष्णु सक्सेना ने अपने अंदाज में अपनी कविताओं पर श्रोताओं को भी गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया। डॉ. सक्सेना की इस कविता को सुनकर पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से देर तक गूंजता रहा-

“बड़ी मुश्किल से कोई रात मुस्कुराती है, गम की हर रात दबे पांव चली आती है, वक्त लगता ही नहीं जिंदगी बदलने में, पर बदलने में वक्त जिंदगी लग जाती है…!”

हास्य व्यंग्य के क​वि रमेश ‘मुस्कान’ ने यह कविता सुनाकर वाहवाही लूटी-

“नए साल में गले मिलेंगे, खुलकर हाथ मिलाएंगे, वैक्सीन वाला सूजा जब खुशी-खुशी ठुकवाएंगे, कॉलेज फिर से ओपन होंगे, प्रेमी चोंच लडाएंगे, फिर पूरे चेहरे ​दिखेंगे, मास्क विदा हो जाएंगे…!”

नीरज जी को याद करते हुए कवि चिराग जैन ने अपनी कविता सुनाई, और प्रशंसा पायी-

“सपनों का विस्तार रहेंगे, आँसू की मनुहार रहेंगे, युग-युग तक सारी दुनिया पर, मेरे गीत उधार रहेंगे…!”

हास्य व्यंग्य क​वि पवन आगरी ने अपनी इस कविता को सुनाकर सबकी तालियाँ पायीं-

“वो बड़े हैं, अपने मन की बात करते हैं, हम छोटे बस अमन की बात करते हैं…!”

क​वि सम्मेलन का संचालन कर रहे शशांक प्रभाकर ने नीरज जी को समर्पित यह गीत सुनाकर इस शाम को यादगार बना दिया-

“पाती जिनके नाम लिखी थी, न जाने वो किधर गए, अंतिम ही इस यात्रा में, काहे का हंसना, काहे का रोना, लेकिन हां, इतना भी आसान नहीं है नीरज होना…!”

महाकवि नीरज जी के सुपुत्र कवि शशांक की आवाज़ में इस गीत को सुनकर श्रोता भावुक भी हो गए। इस दौरान नीरज जी के परिवारीजनों में वत्सला प्रभाकर, मृगांक प्रभाकर, कुंदनिका शर्मा आदि मौजूद रहे।

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