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पीपीई की सफलता ने दूसरे उद्योगों में स्वदेशी विनिर्माताओं के लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं-स्मृति जुबिन ईरानी

केन्द्रीय वस्त्र मंत्री ने कहा, सरकार, उद्योग और तमाम हितधारकों के सम्मिलित प्रयासों से पीपीई संकट भारत के लिए अवसर में बदला।

60 दिन में भारत ने पीपीई फैब्रिक और परिधान विनिर्माताओं का एक स्वदेशी नेटवर्क विकसित किया 5 लाख स्थायी प्रत्यक्ष रोजगार सुनिश्चित हुए।

ब्रज पत्रिका। केन्द्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा है कि सरकार, उद्योग और तमाम हितधारकों के सम्मिलित प्रयासों से पीपीई संकट भारत के लिए एक अवसर में परिवर्तित हो गया है। आज यहां ‘आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक आंदोलन’ विषय पर हुई एक वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यह सफल यात्रा अन्य स्वदेशी विनिर्माताओं के लिए एक प्रेरणा बन गई है और आगे सफलता की इस कहानी को दूसरे सेक्टरों में दोहराया जा सकता है।

केन्द्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा, 

“भले ही स्वास्थ्य संकट को देखते हुए पीपीई विनिर्माण पर जोर दिया जाना जरूरी था, लेकिन पीपीई की सफलता ने दूसरे उद्योगों में स्वदेशी विनिर्माताओं के लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं।” 

मंत्री ने कहा कि सरकार और उद्योग के बीच थोड़ा भरोसा बचा हुआ था, जिसने इसे सफल बनाया। सरकार को जिम्मेदारी देने और सीमित समय में चुनौती से पार पाने के लिए उद्योग को श्रेय देते हुए उन्होंने कहा, 

“उद्योग में किसी ने भी सब्सिडी की मांग नहीं की, न ही सरकार ने इसकी पेशकश की। एक अन्य बात जिस पर मुझे गर्व है कि लॉकडाउन की स्थिति में हमने पाँच लाख प्रत्यक्ष स्थायी रोजगार सुनिश्चित किए हैं। यह पीपीई और परीक्षण क्रांति का हिस्सा है, जिसे रेखांकित नहीं किया गया है।”

श्रीमती ईरानी ने बताया कि पीपीई सूट्स और मास्क के विनिर्माण में अक्टूबर तक खासी बढ़ोतरी हुई है, इस दौरान घरेलू स्तर पर छह करोड़ पीपीई का निर्माण किया गया जिनमें से दो करोड़ पीपीई सूट्स का निर्यात किया गया था। 15 करोड़ से ज्यादा एन-95 मास्क का निर्माण किया गया, जिनमें से 4 करोड़ मास्क का निर्यात किया गया था। उन्होंने कहा कि शून्य से शुरुआत करते हुए, आज देश में 1,100 से ज्यादा पीपीई सूट्स कंपनियां और 200 से ज्यादा एन-95 मास्क की घरेलू विनिर्माता कंपनियां मौजूद हैं।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा, 

“हमने अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पूरी तरह पालन किया है। हम ऐसे अकेले उद्योग हैं, जो पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था में जारी लॉकडाउन के दौरान आगे आया है और हमने बेहद कम लागत या आयात लागत की तुलना 10 प्रतिशत पर ऐसा करके दिखाया है। हमने न सिर्फ आकार में विस्तार किया है, बल्कि हम लागत के मामले में दुनिया में तुलनात्मक रूप से सर्वश्रेष्ठ भी हैं। मैं इस बात से खुश हो सकती हूँ कि उद्योग और सरकार साथ आ चुके हैं।”

केन्द्रीय मंत्री ने खुलकर और भरोसे के साथ समर्थन देने के लिए अग्रणी उद्योगपतियों की सराहना करते हुए कहा कि सरकार सुविधा प्रदाता के रूप में काम करेगी और उद्योग को उनके विकास के लिए सहायक वातावरण और इकोसिस्टम उपलब्ध कराती रहेगी।

सचिव, वस्त्र मंत्रालय रवि कपूर ने अपने संबोधन में पीपीई विनिर्माण में वस्त्र मंत्रालय की सफलता की कहानी के दस्तावेज तैयार करने के लिए इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस (आईएफसी) द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा,

“इस यात्रा की शानदार बात यह है कि भारत ने एक ऐसा उद्योग तैयार किया है, जिसका 60 दिन पहले तक यहां कोई अस्तित्व नहीं था। हम उद्योग को पूरी योजना बनाकर उसकी सहज स्थिति से बाहर निकाल रहे हैं और उन्हें मानव निर्मित फाइबर और तकनीक वस्त्र की ओर प्रोत्साहित कर रहे हैं। हम विभिन्न योजनाओं के माध्यम से और कच्चे माल की आपूर्ति में बाधाओं को दूर करके, एक बेहद सुविधाजनक वस्त्र नीति के माध्यम से, तकनीक वस्त्र में एक विश्व स्तरीय प्रयोगशाला की स्थापना आदि के माध्यम से एक पूरा इकोसिस्टम तैयार कर रहे हैं। इस प्रकार, एक पूरी तरह से नए वस्त्र इकोसिस्टम को लागू किया जा रहा है। यदि सब कुछ ठीक रहता है तो एक से दो साल की अवधि के भीतर भारत का वस्त्र उद्योग एक नई दिशा में कदम बढ़ा देगा।”

इस वेबिनार का आयोजन इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस (आईएफसी) द्वारा किया गया था और इसमें इस पहल से जुड़े उद्योग और संस्थानों के हितधारकों ने भाग लिया था। सत्र के दौरान आईएफसी द्वारा किए गए एक अध्ययन पर चर्चा भी की गई।

आईएफसी द्वारा कराया गया अध्ययन कहता है कि वस्त्र मंत्रालय ने संकट को अवसर में बदलते हुए भारत को उच्च गुणवत्ता वाली पीपीई किट्स के एक वैश्विक निर्यात हब में तब्दील कर दिया है। 30 जनवरी, 2020 को जब भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था, उस समय भारत में कोविड-19 के लिए फुल बॉडी कवरऑल्स (जिसे आईएसओ 16603 मानकों के अंतर्गत श्रेणी-3 सुरक्षा स्तर के रूप में वर्गीकृत किया गया है) सहित पीपीई किट्स नहीं बनाई जाती थीं।

भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए भारत की आयात पर व्यापक निर्भरता के निहितार्थ को समझते हुए सरकार ने इस संकट को श्रेणी-3 पीपीई और टेस्टिंग स्वैब्स के विकास के अवसर में तब्दील करने के लिए ‘गो लोकल’ पहल पेश की थी। इस क्रम में, एमओटी को फरवरी, 2020 में इस पहल की अगुआई करने और एक पूर्ण मूल्य श्रृंखला की स्थापना का काम सौंपा गया था।

इसकी योजना की प्रक्रिया के तहत एमओटी और एमओएचएफडब्ल्यू ने एक संयुक्त शोध कराया, जिसमें वस्त्र और स्वास्थ्य उद्योग के विशेषज्ञ, भारत के उद्योग संगठन और बड़ी विनिर्माण कंपनियां शामिल थीं। वस्त्र मंत्रालय ने मार्च 2020 में पीपीई किट्स के विनिर्माण के लिए स्वदेशी पूर्ण क्षमता निर्माण की पहल का शुभारम्भ किया था।

दूसरे देशों ने जहां अपने यहां से पीपीई किट्स का निर्यात सीमित करना शुरू कर दिया था, वहीं भारत को अनुमानित रूप से जुलाई, 2020 तक दो करोड़ से ज्यादा पीपीई किट और चार करोड़ एन-95 श्रेणी के मास्क की जरूरत थी। सभी मुश्किलों से उबरते हुए भारत ने महज 60 दिनों के भीतर पीपीई फैब्रिक और परिधान विनिर्माताओं का एक स्वदेशी नेटवर्क विकसित कर दिया।

मई के मध्य तक, भारत ने प्रतिदिन 4.5 लाख बॉडी कवरऑल और 2.5 लाख एन-95 मास्क के विनिर्माण की क्षमता विकसित कर ली थी। भारत ने अमेरिका, यूके, सेनेगल, स्लोवेनिया और यूएई को पीपीई का निर्यात भी शुरू कर दिया। आज एन-95 के विनिर्माण की क्षमता 200 विनिर्माताओं के साथ 32 लाख इकाइयों तक पहुंच गई है।

साउथ इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (एसआईटीआरए) ने मार्च-अप्रैल, 2020 में परीक्षण के तौर पर घरेलू स्तर पर बनीं पीपीई किट के लिए परीक्षण कार्यक्रम की अगुआई की थी। बाद में, सात अन्य सरकारी इकाइयों को पीपीई बॉडी कवरऑल्स के लिए परीक्षण और प्रमाणन प्रयोगशालाओं के रूप में स्वीकृति दे दी गई थी। देश भर में पीपीई किट का कुशल परीक्षण सुनिश्चित करने और पीपीई किट्स के परीक्षण, स्वीकृति और डिस्पैच से जुड़ी उत्पादन के बाद लगने वाले समय को कम करने के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों में रणनीतिक रूप से इन प्रयोगशालाओं का चयन किया गया था।

हावर्ड बिजनेस स्कूल के इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटजी एंड कॉम्पिटिटिवनेस के वैश्विक नेटवर्क में इंस्टीट्यूट ऑफ कॉम्पिटिटिवनेस, भारत एक भारतीय भागीदार बना हुआ है। संस्थान कंपनी रणनीति के लिए प्रतिस्पर्धा और उसके निहितार्थ; राष्ट्रों, क्षेत्रों और शहरों की प्रतिस्पर्धा का अध्ययन करता है, और इसे देखते हुए व्यवसायों व प्रशासन में सक्रिय लोगों के लिए दिशा-निर्देश बनाए जाते हैं; और सामाजिक-आर्थिक समस्याओं के लिए सुझाव देते हैं व समाधान उपलब्ध कराए जाते हैं।

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