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अगले कुछ दशकों में भारत खुद को 21वीं सदी के सबसे बड़े अवसर के रूप में मजबूती से स्थापित कर लेगा-गौतम अदाणी

टीआईई ग्लोबल समिट में गौतम अदाणी ने फिर दोहराया ‘अतुल्य भारत’ – 21वीं सदी का सबसे बड़ा अवसर!

ब्रज पत्रिका। भारत के सबसे बड़े और विविधतापूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर वाले संगठनों में से एक, अदाणी ग्रुप की स्थापना के तीन दशकों से भी अधिक हो चुका है, और अदाणी ग्रुप के चेयरमैन, गौतम अदाणी की राष्ट्र निर्माण की सोच और भारत में बिजनेस के अभूतपूर्व अवसरों को लेकर उनका भरोसा तेजी से बढ़ा है।

टीआईई ग्लोबल समिट में एक प्रतिष्ठित श्रोता वर्ग को संबोधित करते हुए, ‘आशावादी उद्यमी’ अदाणी ने कहा कि,

“भारत द्वारा दुनिया को उपलब्ध कराये गये ढेरों अवसरों को देखते हुए, भारत अब भी अतुल्य है। मेरे विचार में, भारत आज बदलाव के महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। मेरा मानना है कि अगले कुछ दशकों में भारत खुद को 21वीं सदी के सबसे बड़े अवसर के रूप में मजबूती से स्थापित कर लेगा और वर्ष 2050 तक और भी अधिक मजबूत हो जाएगा।”

उन्होंने कहा कि,

“इतने बड़े लोकतंत्र में अपेक्षित विभिन्न चुनौतियों और समय-समय पर आने वाली मंदी के बावजूद, मेरे गृह देश द्वारा प्रस्तुत किए गए अद्वितीय अवसरों ने इसे अपने वैश्विक साथियों के बीच एक महत्वपूर्ण स्थिति प्रदान की है।”

यह संबोधन मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित था – भारत के पक्ष में मौजूद मैक्रो इकॉनॉमिक फैक्टर, कोविड के बाद, दुनिया में उभरने वाली नई संभावनाएँ और विशेष रूप से डिजिटलीकरण और अक्षय ऊर्जा के मेल का भारत के भविष्य और समृद्धि पर परिवर्तनकारी प्रभाव कैसे पड़ेगा।

अदाणी ने अपनी सोच जाहिर करते हुए कहा कि,

“हाल के दिनों में भारतीय अर्थ व्यवस्था को मजबूती देने वाले कई ढांचागत सुधार विकास को तेज करने की आधारशिला रखेंगे और 2050 तक, भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 28 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होगी, जो वैश्विक जीडीपी का 15% है।”

भारत की जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए, उन्होंने कहा कि,

“उस समय तक दुनिया के मध्यम वर्ग के हर तीन उपभोक्ताओं में से एक भारतीय होगा और भारत का वैश्विक मध्यम वर्ग सबसे बड़ा होगा। यह मध्यम वर्ग भारत को अलग से मजबूती प्रदान करेगा और एक बेजोड़ दर पर आंतरिक खपत करेगा – किसी भी राष्ट्र ने कभी भी इतने बड़े मध्य वर्ग का निर्माण नहीं किया है। खुदरा क्षेत्र ही अपने आप में 10 ट्रिलियन डॉलर का होगा। भारत हर वैश्विक कंपनी के लिए निवेश का लक्ष्य बनेगा।”

उन्होंने कहा कि,

“एक विकसित राष्ट्र के 30 साल के 9% स्टॉक मार्केट सीएजीआर को देखें तो सेंसेक्स को 600 हजार की सीमा में रखते हुए, भारतीय बाजार सूचकांक में 13 गुना के फैक्टर बढ़ गया है, 2050 तक, भारत की खुद अपनी कई ट्रिलियन-डॉलर की कंपनियां होंगी।”

इसके बाद,उन्होंने श्रोताओं से डिजिटलीकरण और अक्षय ऊर्जा के मेल पर दांव लगाने का आग्रह करते हुए कहा,

“आज दोनों – ऊर्जा क्षेत्र और प्रौद्योगिकी क्षेत्र – तेजी से एक दूसरे के नजदीक आ रहे हैं। मैं इस प्रौद्योगिकी – ऊर्जा मेल को भारत की जनसंख्या संतुलन की मदद के लिए अकेले सबसे महत्वपूर्ण कारक के तौर पर देखता हूं। इसका संबंध न केवल गरीबी दूर करने से है, बल्कि सीधे मध्य-वर्ग से है, और बिजनेस मॉडल की तरफ ले जाने से है, जो परिवर्तनकारी होगा।”

पहली पीढ़ी के उद्यमी, अदाणी ने अनुमान लगाया कि डिजिटल प्रौद्योगिकियों के साथ संयोजन में सस्ती हरित शक्ति (ग्रीन पॉवर) – जिसमें सेंसर और इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग, 5 जी और क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं – ये सभी भारत को आर्थिक रूप से माइक्रो साइज की कई प्रक्रियाओं की तरफ ले जायेंगे, और हर प्रक्रिया को एक सेवा में रूपांतरित करेंगे।

अदाणी ने कहा,

“माइक्रो फार्मिंग, माइक्रो वॉटर, माइक्रो हेल्थकेयर, माइक्रो-हाउसिंग, माइक्रो एजुकेशन, माइक्रो-मैन्युफैक्चरिंग…और यह सूची अंतहीन है…और मौजूदा प्रक्रियाओं को डी-साइज करने में सक्षम, अक्षय ऊर्जा और प्रौद्योगिकी के प्रभाव शहरी भारत और ग्रामीण भारत के लिए, दोनों के लिए गहरे हैं, बल्कि गांवों के लिए और अधिक गहरे हैं।”

कोविड के बाद की दुनिया में भारत को होने वाले प्रमुख फायदों की बात करते हुए, अदाणी ने दो बिंदुओं पर जोर दिया-स्वदेशी अवसरों को मजबूती प्रदान करने वाले स्थानीयकरण पर बराबर ध्यान देते हुए सप्लाई चेन का पुनर्निर्माण और दूर से प्रबंधन करने के लिए डिजिटल तकनीक में तेजी।

उन्होंने कहा कि,

‘’वैश्विक महामारी ने हमें सिखाया है कि निकटता की पारंपरिक आवश्यकता अप्रासंगिक और जोखिम वाली हो सकती है। भारत ने पहले ही इस क्षेत्र में अपनी डिजिटल सेवाओं के विकास के ज़रिये एक शुरुआत की थी। और अब भारत आने वाले दिनों में इस बदलाव के महत्वपूर्ण लाभार्थी के रूप में दिखेगा, क्योंकि अधिक कंपनियां कार्यान्वयन और नियंत्रण कार्यों को अलग-अलग करने की योजना बना रही हैं।“

उन्होंने कहा कि ये दोनों क्षेत्र रूपांतरकारी थे और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र, सप्लाई चेन, और तकनीकी सेवा क्षेत्र में लाखों नए स्थानीय रोजगार पैदा करने में मदद कर सकते थे।

अपना संबोधन समाप्त करते हुए, अदाणी ने श्रोताओं से आगे बढ़कर मजबूत प्रदर्शन करने और भारत के सॉफ्ट पॉवर को प्रतिबिंबित करने का आग्रह किया, जिसमें अन्य बातों के अलावा, उसके राजनीतिक मूल्य, सांस्कृतिक लगाव, और विदेश नीति के दृष्टिकोण शामिल हैं।

भारत ने जिस सॉफ्ट पॉवर का मजबूती से प्रदर्शन किया है, उसे 28 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी और 30 ट्रिलियन डॉलर के मूल्य वाले शेयर बाजार के हार्ड पॉवर से जोड़ दें, और आपके पास एक अतुल्य राष्ट्र होगा, जो 21वीं सदी का सबसे बड़ा अवसर बनने का सफर तय कर रहा है।

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