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रीजनल पीआर का ब्रांड की लोकप्रियता पर प्रभाव

ब्रज पत्रिका। भारत विविधता का देश है जहाँ कई संस्कृतियाँ एक साथ रहती हैं। विभिन्न संस्कृतियों के साथ उनकी क्षेत्रीय भाषाएं होती हैं। यहां तक की भारतीय संविधान ने 22 भाषाओं को मान्यता दी है। किसी भी तरह का संवाद करने के लिए आपके पास भाषा का होना जरुरी है। क्षेत्रीय भाषा का ज्ञान होने के कारण ही पिछले कुछ दशकों से पीआर इंडस्ट्री क्षेत्रीय बाजारों में भी स्थापित हो रही है। शायद यह कहा जा सकता है कि क्षेत्रीय पीआर, पीआर का प्रारंभिक हिस्सा है। अगर हम थोड़ा गहराई में जाए तो पता चलता है कि कई बड़े पीआर फर्म, क्षेत्रीय पीआर पर ध्यान केंद्रित कर के ही उभरे है। इसके बाद उन ब्रांड्स ने धीरे-धीरे अपने बाजारों की सीमाओं को बड़ा दिया है, और अब वे हर शहर और कसबे में संपर्क कर रहे हैं जहां उन्हें संभावित ग्राहक मिल सकते हैं।

क्षेत्रीय पीआर के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक यह है कि वह एक ब्रांड और उसकी ऑडियंस के बीच स्पष्ट संवाद स्थापित कराता है। इसलिए किसी भी ब्रांड को उसकी ऑडियंस से जोड़ने के लिए उसके साथ एक क्षेत्रीय कहानी का होना बेहद जरुरी होता है. जितना ज्यादा आप क्षेत्रीय लगाव स्थापित करेंगे, उतना ही स्थानीय लोगों के बीच आपके ब्रांड पर विश्वास बढ़ेगा। अगर ब्रांड को किसी पौराणिक कथाओं से जोड़ा जाए तो वह कमाल कर सकते है. बिक्री बढ़ा सकते हैं, ब्रांड दृश्यता बढ़ा सकते हैं और वह भी लंबी अवधि के लिए।

क्षेत्रीय पीआर के महत्व को बताते हुए, एक प्रसिद्ध पीआर फर्म PR24x7 के संस्थापक अतुल मलिकराम कहते हैं,

“ये पुराने दिनों की बात है जब पीआर केवल बड़े शहरों तक सीमित थे। आजकल, हर बड़े-छोटे शहर-गाँव और कस्बे तक हर ब्रांड के लिए महत्वपूर्ण हैं। क्षेत्रीय बाजार में ऑडियंस को आकर्षित करना इतना आसान नहीं है जितना लगता है। ऑडियंस को केवल लुभावनी और आकर्षक वादों के साथ एक ब्रांड से जोड़ा जा सकता हैं। इसलिए, क्षेत्रीय पीआर में, आपको रचनात्मक रणनीतियों के साथ आना होगा और ब्रांड को इस तरह से बाजार में उतारना होगा कि वह ऑडियंस के दिमाग में जगह बना ले।”

इसी क्रम में अतुल मलिकराम आगे कहते हैं,

“जब आप लोगों के विभिन्न समूह से संपर्क करते हैं, तो आपको उनकी भाषा में संवाद करना होगा। प्रत्येक अलग राज्य या शहर के साथ, आप एक अलग भाषा से मिलते हैं, जिसका अर्थ यह है कि एक ब्रांड को विभिन्न भाषाओं में अपना संदेश देना होगा। ये तो जग जाहिर है जब आप किसी से उसकी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में बात करते है तो उसे अपनापन महसूस होता है, जो बदले में आपकी विश्वसनीयता बढ़ाता है और आपको बाजार पर शासन करने की शक्ति प्रदान करता है। साथ ही यदि आप अपने आस-पास देखेंगे तो पाएंगे कि अधिक से अधिक प्रभावशाली लोग क्षेत्रीय बाजार से ही आते हैं, जो स्थानीय कहानियों के साथ ऑडियंस के अनुकूल प्रचार बनाते हैं। उपयोगकर्ता बाजार से ज्यादा सोशल मीडिया पर ब्रांड से ज्यादा परिचित हो रहे हैं. यही कारण है कि ब्रांड भी इसकी ओर रुख कर रहे हैं।”

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