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एण्ड टीवी के ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं’ की तरफ से हरतालिका तीज‘ की शुभकामनायें

ब्रज पत्रिका। ‘हरतालिका तीज’ का त्योहार भादों माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और राजस्थान में शादीशुदा महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पतियों की सुख एवं समृद्धि के लिये व्रत रखती हैं। यह पावन पर्व भगवान शिव और देवी पार्वती के पवित्र बंधन की याद में मनाया जाता है। इस दिन इन दोनों की पूजा-अर्चना की जाती है और यह गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले आता है। इस दिन का जश्न मनाते हुये एण्ड टीवी के ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं‘ की ग्रेसी सिंह (संतोषी मां) और तन्वी डोगरा (स्वाति) ने सभी शादीशुदा महिलाओं को हरतालिका तीज की शुभकामनायें दीं।

हरतालिका तीज के महत्व के बारे में बताते हुये ग्रेसी सिंह, जो कि एण्ड टीवी के ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं‘ में संतोषी मां की भूमिका निभा रही हैं, ने कहा,

‘‘हरतालिका तीज देवी पार्वती की सच्ची वफादारी और दृढ़ता की कहानी है, जिससे उन्हें भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने में मदद मिलती है। इस दिन महिलायें शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पतियों के लिये लंबी उम्र एवं सुख-समृद्धि का वरदान मांगती हैं। वे पूजा करती हैं और हरतालिका की कहानी सुनती एवं सुनाती हैं। इस बार हरतालिका तीज पर मेरी कामना है कि प्रत्येक महिला का शादीशुदा जीवन सुखमय बनें और मैं यही चाहती हूं कि उन सभी को शिव पार्वती का आशीर्वाद मिले।”

एण्ड टीवी के ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं‘ में संतोषी मां की परम भक्त स्वाति की भूमिका निभा रहीं तन्वी डोगरा ने हरतालिका तीज की व्रत विधि के बारे में बताते हुये कहा,

‘‘हरतालिका तीज पूरे भारत में विवाहित महिलाओं के लिये एक खास अवसर होता है। यह पर्व खासतौर से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और झारखंड में मनाया जाता है। इस दिन महिलायें सुबह-सुबह उठ जाती हैं और पूरे श्रृंगार एवं पूजा सामग्री के साथ तैयार होती हैं। वे ईश्वर से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और उनके लिये अच्छी सेहत एवं अच्छी किस्मत का वरदान भी मांगती हैं। प्रार्थना करने के साथ, महिलायें भगवान शिव को बेल पत्र, फल एवं फूल चढ़ाती हैं। इसके बाद वे गौरी गणेश की भी पूजा करती हैं। वे पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को सात्विक भोजन करके व्रत तोड़ती हैं।”

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