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नहीं रहीं अब हिंदी सिनेमा की मशहूर अदाकारा कुमकुम, 100 से अधिक फिल्मों में किया काम

ब्रज पत्रिका। बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा कुमकुम का 28 जुलाई को निधन हो गया है। वह 86 वर्ष की थीं। कुमकुम लंबे समय से बीमार चल रही थीं, और वृद्धावस्था की परेशानियों से जूझ रही थीं। कुमकुम का असली नाम जेबुन्निसा था, वह बिहार के शेखपुरा जिले के हुसैनाबाद से थीं फिल्मों में अभिनय के चलते मुम्बई में रहने लगीं थीं।

उनकी ननद शहनाज़ के मुताबिक़ इन्हीं वृद्धावस्था की बीमारियों के चलते उनका बांद्रा स्थित अपने निवास पर 28 जुलाई को करीब 11.30 बजे पूर्वाह्न निधन हो गया। उनको मझगाँव क़ब्रिस्तान में दफनाया गया। कुमकुम के निधन की खबर आने के बाद बॉलीवुड में शोक की लहर व्याप्त हो गयी।

बॉलीवुड की कई हस्तियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी-अपनी पोस्ट द्वारा उनके निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। मसलन मशहूर गायक अदनान सामी ने ट्वीट करके शोक जताया, और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है।

उनके निधन पर मशहूर एक्टर जगदीप के बेटे जावेद जाफरी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, “हमने एक और दिग्गज़ को खो दिया। मैं जब बच्चा था तब से उन्हें जानता था वो परिवार का एक हिस्सा थीं, भगवान आपकी आत्मा को शांति दे कुमकुम आंटी।”

बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक अनिल शर्मा ने भी उनके निधन पर ट्वीट करते हुए लिखा, “कल की खूबसूरत और प्रतिभाशाली अभिनेत्री, जिन्होंने कई सुपरहिट फिल्में दीं, जिन्होंने बेहतरीन गाने दिए, आज उनका निधन हो गया, भगवान उनकी आत्मा को शांति दे, मेरी हार्दिक संवेदना। उनके परिवार के लिए प्रार्थना करें।”

उनका फिल्मी करियर 1954 में ‘गवैया’ फ़िल्म से शुरू हुआ था। उन्होंने पहली भोजपुरी फ़िल्म ‘गंगा मैया तोहे पियारी चढ़ाइवो’ में भी अभिनय किया था। मशहूर अदाकारा कुमकुम ने अपने फ़िल्मी करियर में 19 वर्ष में तकरीबन 115 फिल्मों में अभिनय किया। उन्हें ‘मिस्टर एक्स इन बॉम्बे’ (1964), ‘मदर इंडिया’ (1957), ‘सन ऑफ इंडिया’ (1962), ‘कोहिनूर’ (1960), ‘उजाला’, ‘नया दौर’, ‘श्रीमान फंटूश’, ‘एक सपेरा एक लुटेरा’, ‘ललकार’, ‘धमकी’, ‘जलते बदन’, प्यासा सहित कई अन्य फ़िल्मों में उनके बेहतरीन अभिनय के लिए जाना जाता रहा है।

वह अपने दौर के कई लोकप्रिय फ़िल्म स्टारों के साथ भी काम कर चुकी थीं, जिनमें खासतौर से किशोर कुमार और गुरु दत्त उल्लेखनीय हैं। कुमकुम को ‘कभी आर कभी पार’ और ‘मेरे महबूब कयामत होगी’ सरीखे लोकप्रिय गीतों में अभिनय के लिए भी याद किया जाएगा। आखिरी फ़िल्म उनकी 1973 में ‘एक कुँवारी एक कुँवारा’ आयी थी, इसके बाद शादी कर फ़िल्म इंडस्ट्री से दूर हो गयीं, लंबे समय तक दुबई में भी रहीं।

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