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बॉलीवुड के स्टार राइटर जावेद अख्तर की लेखनी लाज़वाब

ब्रज पत्रिका, आगरा। हिंदी सिनेमा के पटकथा-संवाद लेखक और गीतकार जावेद अख्तर साहब से ये मुलाक़ात होटल हॉवर्ड में हुई, जब वे एक कार्यक्रम में पधारे थे। बहुत ही सुकूनदायक वातावरण में उनसे ये इंटरव्यू लेने का सुअवसर मुझे मिला, जो आज तक मुझे बखूबी याद है। मुझे खूब याद है एक जमाना था जब फिल्मों के संवादों के भी रिकॉर्ड बाज़ार में खूब बिकते थे। शादी-विवाह और अन्य सामाजिक-पारिवारिक समारोहों में भी लोकप्रिय संवाद गूँजते थे। ये संवाद आज की फिल्मों में रियलिटी के नाम पर ठूँसे गए गाली-गलौज और अश्लीलता से भरे संवादों जैसे नहीं होते थे। बल्कि जोश भर देने वाले और नायकत्व जगाने वाले होते थे। ऐसे ही लेखकों की जमात की नुमाइंदगी करते हैं जावेद साहब, जिन्होंने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से हिंदी सिनेमा में बेशक़ एक अलहदा  मुकाम हासिल किया। सलीम खान साहब के साथ सलीम-जावेद की जोड़ी के रूप में उन्होंने फ़िल्म लेखन की दुनिया में बहुत नाम कमाया। दोनों को फ़िल्म इंडस्ट्री में स्टार राइटर के रूप में जो स्टारडम हासिल हुई वो कुछ ही लेखकों को नसीब हुई। इस जोड़ी ने अंदाज़, अधिकार, हाथी मेरे साथी, सीता और गीता, यादों की बारात, ज़ंजीर, हाथ की सफ़ाई, दीवार, शोले, चाचा-भतीजा, डॉन, त्रिशूल, दोस्ताना, आख़िरी दांव, ईमान-धरम, काला पत्थर, शान, क्रांति, ज़माना, मिस्टर इंडिया सरीखी फिल्मों में लेखन किया। इस जोड़ी ने वर्ष 1982 तक साथ-साथ काम किया। इसके बाद भी जावेद साहब ने अपना लेखन जारी रखा और फ़िल्म बेताब, दुनिया, मशाल, सागर, अर्जुन, मेरी जंग, डकैत, मैं आज़ाद हूँ, खेल, रूप की रानी चोरों का राजा, प्रेम, कभी न कभी, लक्ष्य, डॉन में लेखन किया। बतौर गीतकार उनको सिलसिला, दुनिया, सागर, 1942: अ लव स्टोरी, दिल चाहता है, नरसिम्हा, मशाल, सैलाब, मिस्टर इंडिया, तेज़ाब, हफ़्ता बंद, जादूगर, जोशीले, अर्जुन, रूप की रानी चोरों का राजा, युगंधर, जमाई राजा, खेल, गर्दिश, पापा कहते हैं, बॉर्डर, सपने, विरासत, मृत्युदंड, दस्तक, सरदारी बेग़म, साज़, मिल गई मंजिल मुझे, दिलजले, यस बॉस, दरमियां, और प्यार हो गया, वजूद, कभी न कभी, द्रोही, जीन्स, बड़े दिन, डुप्लीकेट, लावारिस, गॉड मदर, बादशाह, अर्जुन पंडित, 1947 अर्थ, दिल्लगी, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी, रिफ्यूजी, कारोबार, हमारा दिल आपके पास है, राजा को रानी से प्यार हो गया, चैंपियन, गैंग, प्यार की धुन, जुबैदा, लगान, अभय, मोक्ष, अग्नि वर्षा, मेरे यार की शादी है, बधाई हो बधाई, ये क्या हो रहा है, सत्ता, लव एट टाइम्स स्कवायर, द हीरो, अरमान, चलते-चलते, कुछ न कहो, कल हो न हो, एलओसी: कारगिल, तहज़ीब, मैं हूँ न, वीर-ज़ारा, लक्ष्य, चरस, क्यूँ हो गया न, दोबारा, स्वदेश, किसना, बोस, मंगल पांडे, दिल जो भी कहे, कभी अलविदा न कहना, डॉन, नमस्ते इंग्लैंड, तारा-रम-पम, धन-धना-धन गोल, वेलकम, ॐ शांति ॐ, जोधा-अकबर, रॉक ऑन, लकी बाई चांस, व्हाट्स योर राशि, वेक अप सिड, कार्थिक कॉलिंग कार्थिक, खेले हैं हम जी जान से, आयशा, रेड अलर्ट, प्रेम का गेम, डॉन-टू, ट्रैफिक सिग्नल, एक दीवाना था, तलाश, विश्वरूप, मोहन जोदड़ो, रईस, दिल धड़कने दो, रॉक ऑन टू, पल्टन, नमस्ते इंग्लैंड, गली बॉय, पंगा के लिए लेखन किया। जावेद साहब वर्ष 2010 से 2016 तक राज्यसभा सदस्य रहे हैं। कई फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार और राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिले हैं। सन् 2007 में ‘पद्म भूषण’ से नवाज़ा गया। वर्ष 1999 में पद्मश्री से नवाज़ा। वर्ष 2004 में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ‘किशोर कुमार सम्मान’ प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी अवार्ड भी उन्हें मिला। जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी ने डीलिट की मानद उपाधि से विभूषित किया।
ग्वालियर में 17 जनवरी 1945 में प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि जाँ निसार अख़्तर साहब और मशहूर उर्दू लेखिका एवं शिक्षिका साफिया अख्तर जी के परिवार में जन्मे ज़ावेद जी प्रगतिशील आंदोलन के लोकप्रिय कवि मजाज़ साहब के भांजे हैं। अपने दौर के प्रसिद्ध शायर मुज़्तर ख़ैराबादी साहब जावेद जी के दादा थे। छोटी उम्र में ही जावेद जी के सिर से माँ का आंचल उठ गया। लखनऊ में कुछ समय नाना-नानी के घर बिताने के बाद अलीगढ में खाला के घर भेज दिया, वहीं शुरूआती पढ़ाई हुई।
जावेद साहब ने दो विवाह किये। पहली पत्नी हनी ईरानी जी से दो बच्चे हैं-फरहान अख्तर जी और ज़ोया अख़्तर जी। फरहान जी फिल्म निर्माता, निर्देशक, अभिनेता और गायक हैं। जोया जी बतौर फ़िल्म निर्देशक करियर की शुरुआत कर चुकी हैं। दूसरी पत्नी फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी जी हैं।

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