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“किसी खंजर से न तलवार से जोड़ा जाए। सारी दुनिया को चलो प्यार से जोड़ा जाए…!”

नव संवत्सर के स्वागत में संस्कार भारती विजयनगर ने स्वर्णकार भवन में सजाई सांस्कृतिक संध्या।

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त राजस्थानी कलाकारों संग ख्याति प्राप्त कवियों ने अपनी प्रस्तुतियों से किया भाव-विभोर।

ब्रज पत्रिका, आगरा। नव संवत्सर 2080 के उपलक्ष्य में संस्कार भारती विजय नगर द्वारा मंगलवार शाम स्वर्णकार भवन में सांस्कृतिक संध्या आयोजित की गई। समारोह में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हरीहर बाबा (कोटा) के निर्देशन में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त राजस्थानी कलाकारों ने मनोहारी सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सुप्रसिद्ध कवि कमलेश मौर्य ‘मृदु’ के संयोजन-संचालन में विकास बौखल, डॉ. अशोक अग्निपथी, अनामिका वर्मा, दीप्ति दीप, शिखा सिंह ऊर्जिता और प्रमोद पंकज सहित ख्याति प्राप्त कवियों ने विभिन्न रस की कविताओं से सबको भाव-विभोर कर दिया।

इससे पूर्व समारोह के अध्यक्ष प्रमुख समाजसेवी एवं उद्यमी मुरारी लाल गोयल पेंट वाले, मुख्य वक्ता संस्कार भारती के अखिल भारतीय संरक्षक बांकेलाल गौड़, विशिष्ट अतिथि विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल और विधान परिषद सदस्य विजय शिवहरे ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर समारोह का विधिवत शुभारंभ किया।

इस मौके पर मुख्य वक्ता बांकेलाल गौड़ ने सभी को नव संवत्सर की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि,

“भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन के काम में संस्कार भारती निरंतर अपनी महती भूमिका निभा रही है। यह आयोजन भी इसी उद्देश्य का एक हिस्सा है।”

समारोह के अध्यक्ष मुरारी लाल गोयल पेंट वालों ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। संस्कार भारती विजयनगर शाखा के अध्यक्ष दीपक गोयल, महामंत्री नीतेश अग्रवाल सर्राफ, कोषाध्यक्ष विनोद कुमार गुप्ता, संयोजक अजय तोषनीवाल, प्रांतीय संरक्षक आलोक आर्य, पूर्व अखिल भारतीय साहित्य संयोजक राज बहादुर सिंह राज, उमेश चंद्र गुप्ता, महेश चंद्र शर्मा और छोटे लाल बंसल ने अतिथियों का स्वागत किया।

इन कविताओं ने छुआ मर्म

ख्याति प्राप्त कवि कमलेश मौर्य ‘मृदु’ ने नव संवत्सर की शुभकामनाएं इस तरह दीं-

“नववर्ष मे हर्ष मिले सबको ‘मृदु’ राष्ट्र को कीर्ति अपार मिले।
जिन्हें राष्ट्र की अस्मिता से नहीं प्यार उन्हें तगडी़ फटकार मिले। बलिदान अयोध्या में हो गये जो उनके सपनो को दुलार मिले।अयोध्या की तरह मथुरा और काशी की मुक्ति का भी अधिकार मिले…!”

कु. अनामिका वर्मा ‘ज्योत्स्ना’ के इस अंदाज को सबकी तालियां मिलीं-

“जडें विष बेल हिंसा नफरतों की काटती हूँ मैं।
विषमता द्वेष ईर्ष्या खाइयों को पाटती हूँ मैं।
नयन की लेके पिचकारी रंग मुस्कान का भरके।
है मौसम मस्त फागुन का मुहब्बत बांटती हूं मैं…!”

शिखा सिंह ‘ऊर्जिता’ की इन पंक्तियों को खूब वाहवाही मिली-

“सच को केवल सच लिखेंगे झूठों का प्रतिकार लिखेंगे।
धर्म कलंकित करने वालों को हम तो धिक्कार लिखेंगे।
सत्य सनातन के प्रहरी श्रद्धा से शीश झुका कर के।
जय श्री राम लिखेंगे और जय बालाजी सरकार लिखेंगे…!”

विकास बौखल ने प्रेम और भाईचारे का संदेश कुछ इस तरह दिया-

“किसी खंजर से न तलवार से जोड़ा जाए।
सारी दुनिया को चलो प्यार से जोड़ा जाए…!”

दीप्ति दीप की ये पंक्तियां सब के दिल में उतर गईं-

“मेरा पावन सा इक धाम बन जाओ ना।
दर्द का मेरे तुम बाम बन जाओ ना।
जिंदगी भर जिसे रोज जपती रहूं।
तुम उसी राम सा नाम बन जाओ ना…!”

अशोक अग्निपथी ने इन पंक्तियों से ऊर्जा का संचार किया-

“यदि काकोरी की माटी का स्वर्णिम इतिहास नहीं होता।
तो हम सबके इस जीवन में मधुरिम मधुमास नहीं होता…!”

प्रमोद पंकज की इस पैरोडी पर सब लोटपोट हो गए-

“जब तुम प्यार दुलार दिखाती।
पर्स मेरी खाली हो जाती।
लुट कर मैं सकरा होता हूँ।
बिनु बलि का बकरा होता हूँ…!”

ममता गोयल, चंचल अग्रवाल, सुमन गोयल, धर्मेंद्र गर्ग, सुनील शर्मा, श्याम सुंदर माहेश्वरी, डॉ. शेखर दीक्षित, निखिल अग्रवाल, सीए विवेक अग्रवाल, रवि अग्रवाल, संजीव कुमार गुप्ता, सर्वेश बाजपेई, अनिल मित्तल, अशोक अग्रवाल, पंकज गुप्ता, अशोक गुप्ता, अनुज सिंघल, मनीष बंसल, डॉ. केशर सिंह, पुश्किन बंसल, आलोक वर्मा, मोहित मित्तल, दिलीप गुप्ता, अनुज मंगल, सुधीर अग्रवाल, संजय अग्रवाल और अतुल अग्रवाल ने व्यवस्थाएं संभालीं।

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