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बसो मेरे नैनन में नंदलाल। मोहनी मूरत, साँवरी सूरत, नैना बने बिसाल…

होटल ग्राण्ड में मीरा जन्मोत्सव के उपलक्ष में मीरा के भक्ति पदों की संगीतवद्य प्रस्तुति एवं पुस्तक विमोचन हुआ।

समारोह में डॉ. असीम आनंद द्वारा संपादित ‘विचार मंथन’
पुस्तक का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा किया गया।

ब्रज पत्रिका, आगरा। होटल ग्राण्ड में मीरा जन्मोत्सव के उपलक्ष में 19 अक्टूबर की शाम मीरा के भक्ति पदों की संगीतवद्य प्रस्तुति एवं पुस्तक विमोचन हुआ। इस मौके पर संगीतमयी प्रस्तुतियाँ खास आकर्षण रहीं। वहीं नृत्य प्रस्तुतियों ने भी सबका मन मोह लिया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अरुण ढंग ने कहा-

“यूं तो हमारे देश में सूर, तुलसी और अन्य भक्त कवियों का अपना-अपना स्थान है, लेकिन उनमें मीराबाई इस दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं कि उन्होंने अपने समय में नारी सशक्तिकरण की दृष्टि से महती भूमिका अदा की। वह समय जब किसी नारी का परदे से बाहर आना भी बहुत बड़ी बात मानी जाती थी, तब मीराबाई ने न केवल काव्य रचनाएं कीं, बल्कि एक संदेश दिया कि भक्ति के क्षेत्र में कहीं कोई बंधन नहीं है। उनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में ये आयोजन आगरा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, संस्था इसके लिए बधाई की पात्र है।”

आयोजन का शुभारंभ सरस्वती मां के चित्र पर माल्यार्पण कर मुख्य अतिथि अरुण डंग, विशिष्ट अतिथि राम कुमार अग्रवाल, अनीता कुशवाहा, संस्था अध्यक्ष डॉक्टर राजेन्द्र मिलन एवं दुर्ग विजय सिंह ‘दीप’ ने किया।

कार्यक्रम की शुरुआत में सरस्वती वंदना के बाद अतिथियों का स्वागत चंद्रशेखर शर्मा, सुधीर शर्मा, लता शर्मा एवं डॉ. रमेश आनंद ने किया।

चेतना संस्था की ओर से स्वागत करते हुए दुर्ग विजय सिंह दीप ने कहा,

“शरद पूर्णिमा का दिन भारतीय संस्कृति में बेहद महत्वपूर्ण दिन होता है, क्योंकि इसी दिन महर्षि वाल्मीकि का अवतरण हुआ, जिन्हें आदि कवि माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण जी ने इसी दिन रास उत्सव प्रारंभ किया था साथ ही भगवान श्री कृष्ण जी की अनन्य भक्त कवियत्री मीराबाई का जन्म भी शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था।इसी कारण हमने यह उत्सव मीराबाई को समर्पित किया है।”

इस अवसर पर डॉ. असीम आनंद द्वारा संपादित ‘विचार मंथन’
पुस्तक का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा किया गया।

संस्था अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र मिलन ने कहा,

“यह पुस्तक इस दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है कि इसमें आध्यात्मिक विचारों का संग्रह है, जिन्हें अलग-अलग विद्वान मनीषियों ने लिखा है, 16 मनीषियों द्वारा लिखित यह पुस्तक भारतीय संस्कृति का अमूल्य ग्रंथ साबित होगी।”

विशिष्ट अतिथि राम कुमार अग्रवाल ने कहा कि,

“इस पुस्तक में मूर्धन्य साहित्यकार सुशील सरित ने गीता के कुछ श्लोकों का अद्भुत मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है।”

पुस्तक के संपादक डॉ. असीम आनंद ने कहा कि,

“कोरोना काल में एक ऑनलाइन श्रृंखला हमने शुरू की थी, जिसमें हम विभिन्न आध्यात्मिक विषयों पर विचार मंथन करते थे, वही विचार इस कृति में समाहित किए गए हैं।”

कार्यक्रम का विशिष्ट आकर्षण मीराबाई के पदों की संगीतबद्ध प्रस्तुति थी। जिसकी संगीत संकल्पना सुशील सरित की एवं संगीत निर्देशन सुभाष सक्सेना का था। तबला पर संगत परमानन्द शर्मा ने की। प्रस्तुतियों का प्रारंभ पूजा तोमर के स्वर में “माई री माह्ने लागे वृंदावन नीको…पद के गायन से हुआ, जिस पर नृत्य आरती तोमर ने किया। माई री मैं तो लियो गोविंदा मोल, मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई, बसो मेरे नैनन में नंदलाल, मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रैन…को स्वर दिए-पूजा तोमर एवं सुशील सरित ने। आन्शवना सक्सैना ने “गली तो चारों बंद हुई मैं कैसे मिलूं तोसे आए…पद की प्रस्तुति की। कैसी जादू डारी…पद पर ऐश्वर्या बंसल ने नृत्य प्रस्तुत किया।

मंच संचालन दिनेश श्रीवास्तव ने किया। धन्यवाद डॉक्टर राजेन्द्र मिलन ने दिया। कार्यक्रम में तरुण श्रीवास्तव, शशि शिरोमणि, अशोक शिरोमणि, विनय बंसल, संजय गुप्ता, विजय तिवारी, सुमन शर्मा, विजय लक्ष्मी शर्मा, प्रमिला शर्मा आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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