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भारत के 75 जाने-माने और अनजाने क्रांतिकारियों की देशप्रेम, त्याग व बलिदान की गाथाओं को बयां करती पुस्तक लोकार्पित

चेतना संस्था और साहित्य संगीत संगम संस्था के सयुंक्त तत्वावधान में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता स्वतंत्रता सेनानी रानी सरोज गौरिहार ने की। मुख्य अतिथि नोएडा से पधारे पूर्व कमिश्नर प्रोविडेंट फंड राजीव पाल थे।

ब्रज पत्रिका, आगरा। ‘अगस्त क्रांति दिवस’ के अवसर पर आज भारत के 75 जाने-माने और अनजाने क्रांतिकारियों की देशप्रेम, त्याग और बलिदान की गाथाओं को बयां करती हुई एक पुस्तक का लोकार्पण समारोह नौ अगस्त की शाम होटल ग्राण्ड में आगरा की स्वनामधन्य शख्शियतों की मौजूदगी में संपन्न हुआ।

चेतना संस्था और साहित्य संगीत संगम संस्था के सयुंक्त तत्वावधान में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता स्वतंत्रता सेनानी रानी सरोज गौरिहार ने की। मुख्य अतिथि नोएडा से पधारे पूर्व कमिश्नर प्रोविडेंट फंड राजीव पाल थे। विशिष्ट अतिथियों में शशि शिरोमणि और अरुण डंग थे। समारोह में लोकार्पित हुई पुस्तक के संपादक डॉ. राजेन्द्र मिलन और सुशील सरित थे। समारोह में अन्य अतिथियों में जौनपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सुंदरलाल भी थे।

नोएडा से पधारे पूर्व कमिश्नर प्रोविडेंट फंड राजीव पाल ने कहा कि,

“आज इन सब क्रांतिकारियों को आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर पर याद किया जाना बहुत जरूरी है, क्योंकि केवल चंद नाम ही लोगों की जुबां पर हैं, ऐसे में इस तरह के और भी संकलन आने चाहिए।”

कृति के बारे में बताते हुए अरुण डंग ने कहा,

“यह आजादी का अमृत महोत्सव पर्व और इस पर इस पुस्तक का आना अपने आप में बहुत बड़ी बात है क्योंकि इसमें 75 ऐसे क्रांतिकारियों का विवरण है जिनमें से काफी लोगों के नाम आज किसी की भी स्मृतियों में नहीं हैं।”

दुर्ग विजय सिंह दीप ने कहा,

“इस पुस्तक का एक और महत्वपूर्ण पक्ष स्वतंत्रता संग्राम और आगरा मंडल का योगदान इस विषय पर सुशील सरित का आलेख है जिसमें उन्होंने लगभग 190 आगरा के क्रांतिकारियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया है।”

दिल्ली से पधारे इंडिया के उपाध्यक्ष सुनील जैन राही ने कहा कि,

“यह पुस्तक अनमोल है क्योंकि इसमें कुछ वे गीत भी हैं जो उस समय के लोगों ने आजादी के लिए युवाओं का आवाहन करते हुए लिखे थे और आज भी मन में ज्योति जला देते हैं।”

डॉ. राजेंद्र मिलन ने कहा कि,

“लगभग 6 महीने पूर्व हमने यह संकल्प लिया था, हमें प्रसन्नता है कि देश के 40 रचनाकारों ने इसमें भाग लिया है, और उनमें बहुत दूर-दूर के लोग भी हैं। पोर्ट ब्लेयर जहां काला पानी की सजा पाए लोग भेजे जाते थे, वहां के भी कुछ क्रांतिकारियों का विवरण वहीं की तीन रचनाकारों ने दिया है, जो बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक के भी लेखक शामिल हैं।”

चेतना संस्था द्वारा साहित्यकार और इस पुस्तक के संपादक सुशील सरित का उन्हें साहित्य भूषण सम्मान के लिए अरुण डंग, सुनील जैन और गायत्री दीप ने सम्मान किया।

शशि शिरोमणि ने कहा कि,

“आगरा का योगदान क्रांतिकारी आंदोलन में बेहद महत्वपूर्ण है और कुछ ऐसी घटनाएं जिन्होंने अंग्रेज सरकार को हिला दिया, वे आगरा के ही खाते में जाती हैं।”

रानी सरोज गौरिहार ने कहा,

“आगरा में गांधी जी, चंद्रशेखर आजाद, रवीन्द्र नाथ टैगोर जैसे लोग आए और उनके आगमन ने आगरा को उत्साहित किया। सन 42 के आंदोलन में आगरा के बहुत सारे लोगों ने भाग लिया और एक बालक शहीद हुआ जिसका नाम परशुराम था। आज अगस्त क्रांति दिवस पर उसको याद करना अनिवार्य है। हम उसे अपनी श्रद्धांजलि देते हैं।”

बेंगलुरु से पधारी कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि कविता सिंह ने कहा कि,

“सारा देश इस किताब से जुड़ गया है और क्रांतिकारियों के बारे में उनकी जो भावनाएं हैं वे इसमें समाहित हैं।”

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के सामुदायिक रेडियो की कार्यक्रम प्रमुख पूजा सत्या ने कहा,

“हम रेडियो के माध्यम से इन क्रांतिकारियों को केवल लोगों तक पहुंचा पाते हैं लेकिन स्थाई रूप से उनके मन मस्तिष्क में रहे इसके लिए किताब बहुत ही महत्वपूर्ण हो गई है।”

राजेश चौहान ने कहा कि,

“बेटा के नगला मैनपुरी के चौहान भगवान सिंह, ठाकुर गुलाब सिंह सिंह आदि का जो योगदान है उसे इस पुस्तक में समाहित कर उन को सच्ची श्रद्धांजलि दी गई है।”

इस अवसर पर टूंडला से विनीत शर्मा, वंदना चौहान, विनय बंसल, सुधीर शर्मा, सुषमा सिंह, शैलबाला, डॉ. शशि तिवारी, शरद गुप्ता, संजय गुप्ता, रामदास शास्त्री, रमा वर्मा ‘श्याम’, राजकुमारी चौहान, पद्मावती ‘पदम’, प्रेम सिंह ‘प्रेम’, मीरा परिहार, हरिओम तिवारी, हरिमोहन सिंह कोटिया, डॉ. असीम आनंद, आशा कटारा की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। समारोह का संचालन सुशील सरित ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अशोक अश्रु ने किया।

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