“सूरज की किरणों ने पोर पोर चूमा, अलसाया सूर्यमुखी मस्ती में झूमा…!”
होटल ग्राण्ड में लक्ष्मी नारायण गुप्त की काव्य कृति ‘सूरज क्यों न हुए हम’ का विमोचन कार्यक्रम संपन्न।
ब्रज पत्रिका, आगरा। कवि एवं गीतकार लक्ष्मी नारायण गुप्त की नवीनतम कृति ‘सूरज क्यों ना हुए हम’ का विमोचन होटल ग्राण्ड में संपन्न हुआ। माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम के अध्यक्ष मशहूर गीतकार और कवि सोम ठाकुर, मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार और राष्ट्रवादी कवि वीरेंद्र वत्स, विशिष्ट अतिथि साहित्य-संस्कृति मर्मज्ञ अरुण डंग, मंडलायुक्त अमित गुप्ता, उपाध्यक्ष आगरा विकास प्राधिकरण डॉक्टर राजेंद्र पेंसिया, समन्वयक डॉ. विनोद महेश्वरी एवं कृतिकार लक्ष्मी नारायण गुप्त ने संयुक्त रूप से किया।
सरस्वती वंदना अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गायक सुधीर नारायण एवं उनके साथ कुमारी श्रेया, आर्ची, सोनम और देशदीप ने प्रस्तुत की। उनके साथ तबले पर संगत की राज मैसी ने। सुधीर नारायण और साथी कलाकारों ने लक्ष्मी नारायण गुप्त के लिखे गीतों की संगीतबद्ध प्रस्तुतियों से भी सबका मन मोह लिया। अतिथियों का स्वागत मंडलायुक्त अमित गुप्ता, डॉ. राजेंद्र मिलन, नीरज जैन, डॉ. अशोक अश्रु, डॉ. डी. वी. शर्मा, डॉ. विनोद महेश्वरी एवं डॉ. खुशीराम शर्मा ने किया।
स्वागत उद्बोधन देते हुए वीसी एडीए डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि,
“यह कृति अपने आप में अद्भुत गीतों का संकलन है, जिसमें प्रेरणादायक गीत ही है।”
लक्ष्मी नारायण गुप्त की कई रचनाओं का संगीतबद्ध प्रस्तुतिकरण लोकप्रिय गायक सुधीर नारायण ने किया, उनके गीत-“कल की चिंता कल पर छोड़ो, प्रिय आज की बात करो…” ने सबको एक जीवन दर्शन दिया।
उनकी दूसरी रचना बसंत पर केंद्रित थी-“सूरज की किरणों ने पोर पोर चूमा, अलसाया सूर्यमुखी मस्ती में झूमा, मंद पवन झोंकों ने प्रेम गीत गाया, फिर बसंत आया फिर बसंत आया…” इस प्रस्तुति ने श्रोताओं को बासंती अहसास में डुबो दिया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि राष्ट्रवादी कवि और वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र वत्स ने कहा कि,
“लक्ष्मी नारायण गुप्त जी की रचनाओं में आम आदमी के संघर्ष की बात है।”
मशहूर गीतकार और कवि सोम ठाकुर ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि,
“लक्ष्मीनारायण गुप्त जी की रचनाओं में सकारात्मकता का समावेश प्रशंसनीय है।”
इस अवसर पर सोम ठाकुर ने अपने कुछ गीत भी श्रोताओं की मांग पर सुनाये, जिनमें प्रमुख था-“गजरा बांध के भाभी गौरी लगे भाभी कि अंगुरिया निबोरी लगे। भोपाल से आई हुई रश्मि गुप्ता ने विमोचित कृति की समीक्षा प्रस्तुत की। संगीता गुप्ता ने “प्रश्न पूछते थकते पाँव…” गीत सुनाया।
विशिष्ट अतिथि साहित्य-संस्कृति मर्मज्ञ अरुण डंग ने अपने संबोधन में विमोचित कृति की एक रचना का उल्लेख करते हुए सूरजमुखी का बेहद सुंदर विश्लेषण किया।
अंत में मंडलायुक्त अमित गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संचालन सुशील सरित ने किया। इस अवसर पर डॉ. प्रीति गुप्ता, सुशीला गुप्ता, कर्नल शिव कुंजरु, ललिता कुंजरू, डॉ. संदीप अग्रवाल, रवीन्द्र वर्मा, डॉ. रमेश आनंद, हरि नारायण चतुर्वेदी, डॉ. असीम आनंद, अशोक चौबे, स्पर्श बंसल, खुशीराम शर्मा, सुधीर शर्मा, चंद्रशेखर शर्मा, विजयलक्ष्मी शर्मा, हरीश अग्रवाल, डॉ. अजय सेठी, अमीर अहमद, अजय शर्मा, ब्रजेश शर्मा, कवि पवन आगरी, दिनेश श्रीवास्तव, डॉ. महेश चंद्र धाकड़, आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में भारत विकास परिषद एवं इंक्रेडिबल इंडिया फ़ाउंडेशन द्वारा लक्ष्मी नारायण गुप्त का अभिनंदन किया गया।
फ़ोटो साभार-सीनियर फ्रीलांस फ़ोटो जर्नलिस्ट असलम सलीमी