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नाद साधना सभा में जयपुर के प. हरिहर शरण भट्ट ने छेड़े सितार से मधुर सुर, दिल्ली की नायर बहनों ने शास्त्रीय संगीत से कराया संगीत रसिकों का सुप्रभात

संगीत कला केंद्र और पं. रघुनाथ तलेगाँवकर फ़ाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा होटल ग्राण्ड में नाद साधना के 30वें वार्षिक समारोह का सुरम्य आयोजन।

नृत्य सम्राट श्रद्धेय पंडित बिरजू महाराज और संतूर वादक श्रद्धेय पंडित शिव कुमार शर्मा का भी किया गया सभा में श्रद्धाभाव संग स्मरण!

ब्रज पत्रिका, 29 मई, आगरा। पं. रघुनाथ तलेगाँवकर फ़ाउंडेशन ट्रस्ट एवं संगीत कला केन्द्र, आगरा द्वारा नाद साधना प्रातःकालीन संगीत सभा के 30वें वार्षिक समारोह का अत्यंत भव्य आयोजन आगरा कैंट स्थित होटल ग्रांड में किया गया। सभा का शुभारम्भ मुख्य अतिथि स्वतंत्रता सेनानी रानी सरोज गौरिहार, डॉ. कुसुम चतुर्वेदी, अरुण डंग, डॉ. मनीषा, आदर्श नंदन गुप्त, हरिहर शरण भट्ट एवं संस्था उपाध्यक्ष अनिल वर्मा ने श्री गणेश जी, माँ सरस्वती जी और श्रद्धेय पं. रघुनाथ तलेगाँवकर जी, श्रद्धेय सुलभा जी एवं श्रद्धेय पं. केशव तलेगाँवकर जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन करके किया। अनुष्का ने स्वस्ति वाचन से सभा को आध्यात्मिक रस से परिपूर्ण कर दिया।

तत्पश्चात् श्रद्धेय पं. केशव जी द्वारा रचित नाद वंदना “नाद की साधना स्वर की आराधना” को संगीत कला केन्द्र के छात्रों – आर्येष, अदम्य, आर्ची, कल्पना ठाकुर, नीपा साहा, रोनित हरलानी, गोपाल मिश्र, गौरव गोस्वामी, जतिन नागरानी, नैना तलेगाँवकर, डॉ. मंगला तलेगाँवकर मठकर, प्रतिभा तलेगाँवकर ने प्रस्तुत किया। तबला संगति डॉ. लोकेंद्र तलेगाँवकर ने तथा संवादिनी पर साथ पं. रविंद्र तलेगाँवकर ने दिया।

अगली प्रस्तुति के रूप में संस्था के वरिष्ठ साधक सोमकमल सीताराम (एडीए, आगरा) एवं सुधीर कुमार (आयकर विभाग, आगरा) ने गुरु माँ प्रतिभा तलेगाँवकर के निर्देशन में राग भैरव एवं ताल रूपक में निबद्ध एक लक्षण गीत “थाट भैरव राग गायें” और पं. रघुनाथ जी द्वारा तीन ताल में निबद्ध एक मध्य लय रचना “शुद्ध भाव धर प्रभु को सुमिरन” की सुंदर प्रस्तुति देकर श्रोताओं को आनंदित किया। इस प्रस्तुति का मूल प्रयास जनमानस तक यह भाव पंहुचाना था कि नादब्रह्म को आत्मसात् करने के लिए आयु की कोई सीमा नहीं होती, यदि मन में लगन हो तो सीखा भी जा सकता है और मंच प्रस्तुति भी दी जा सकती है।

इसी श्रृंखला में संगीत नक्षत्र श्रद्धेय पं. केशव तलेगाँवकर द्वारा रचित तराना प्रहर को संस्था के युवा साधकों गोपाल मिश्र, जतिन नागरानी एवं गौरव गोस्वामी ने उत्कृष्टता से प्रस्तुत कर सभागार को पंडित जी की स्मृति से जागृत कर दिया। इस कार्यक्रम में संधिप्रकाश से रात्रि के तृतीय प्रहार के राग पूर्वी, केदार, खमाज, बागेश्री, देस एवं मालकौंस का समावेश किया गया। तबले पर कुशल संगत डॉ. लोकेंद्र तलेगाँवकर एवं शुभ्रा तलेगाँवकर ने दी तथा संवादिनी पर साथ दिया पं. रविंद्र तलेगाँवकर ने।

कार्यक्रम के अगले चरण में संस्था की स्मारिका ”स्मृति – 2020-21” जो विगत दो वर्षों से प्रकाशित नहीं हो सकी थी, उसके संयुक्तांक का लोकार्पण किया गया। यह स्मारिका संस्था मेरूदण्ड संगीत नक्षत्र श्रद्धेय पं. केशव रघुनाथ तलेगाँवकर जी को समर्पित की गयी। इसका लोकार्पण संस्था अध्यक्ष रानी सरोज गौरिहार, डॉ. कुसुम चतुर्वेदी, डॉ. शशि तिवारी, डॉ. अरुण चतुर्वेदी, अरुण डंग, डॉ. मनीषा, आदर्श नंदन गुप्त, हरिहर शरण भट्ट, विजय लक्ष्मी शर्मा, डॉ. मंगला मठकर, संतोष कुलश्रेष्ठ एवं संस्था उपाध्यक्ष अनिल वर्मा ने किया।

तत्पश्चात् दिल्ली से पधारीं नायर बहनों ने युगल शास्त्रीय गायन प्रस्तुत किया। उन्होंने सर्वप्रथम राग शुद्ध सारंग में विलंबित एकताल में निबद्ध रचना “जोबन दोपहर की मत कर गुमान” की अवतारणा की, उसके बाद मध्य लय तीन ताल में “अब मोरी बात” तदोपरांत राग माँझ खमाज में भजन प्रस्तुत किया। तबले पर साथ दिया उरूज अली ने तथा संवादिनी पर संगत की पं. रविंद्र तलेगाँवकर ने। इस अवसर पर नायर बहनों को संस्था द्वारा ‘नाद साधक’ तथा उरूज अली को ‘नाद सहोदर’ का सम्मान प्रदान किया गया।

कार्यक्रम के अंतिम चरण के रूप में जयपुर से पधारे पं. हरिहर शरण भट्ट का अलौकिक सितार वादन प्रस्तुत हुआ। आपने राग मियाँ की तोड़ी में मसीतखानी एवं रज़ाखानी गत तीन ताल में प्रस्तुत की। आपके वादन में जोड़-आलाप, स्वरों का संवाद तथा तैयारी बहुत सुंदरता से परिलक्षित हो रही थी। कार्यक्रम का समापन आपने मिश्र भैरवी में रचित एक धुन से कर सभागार में उपस्थित श्रोताओं को भक्तिमय रस के आनंद से सराबोर कर दिया। आपके साथ तबले पर सधी हुई संगत की महेन्द्र शंकर डांगी ने। इस अवसर पर पं. हरिहर को संस्था द्वारा ‘नाद तंत्री विलास’ तथा महेन्द्र जी को ‘नाद सहोदर’ सम्मान प्रदान किया गया।

इस अवसर पर संस्था के अभिन्न अंग श्रीकृष्ण एवं उनकी धर्मपत्नी डॉ. मनीषा को ‘निनाद 2021’ के अंतर्गत दिए जाने वाले विशिष्ट सम्मानों में श्रद्धेय श्री बनारसी दास खंडेलवाल जी की पुण्य स्मृति में स्थापित संगीत कलानुरागी का सम्मान प्रदान किया गया।

सभा का समापन संस्था प्रबन्ध न्यासी प्रतिभा केशव तलेगाँवकर ने सभी रसिकों का आभार प्रकट करते हुए संस्था के आगामी कार्यक्रमों के लिये उपस्थित रहने का निवेदन कर धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का सुन्दर संचालन आकाशवाणी आगरा के कार्यक्रम अधिशासी श्रीकृष्ण जी ने किया। इस अवसर पर हिंदुस्तानी अकादमी के मा.सदस्य राज बहादुर राज, कथक केंद्र की मा. सदस्य प्रो.नीलू शर्मा, ग़ज़ल गायक सुधीर नारायण, गायक अजय सारस्वत, चित्रकार डॉ. रेखा कक्कड़, संगीतकार गजेंद्र सिंह चौहान, इस्लाम कादरी और डॉ. महेश चंद्र धाकड़ आदि भी मौजूद थे।

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