शांत हुए संतूर के मधुर सुर, ताजनगरी में भी अपनी कुछ अनमोल यादें छोड़ गए पं. शिव कुमार शर्मा
✍️आदर्श नंदन गुप्ता (लेखक)
ब्रज पत्रिका, आगरा। विख्यात संगीतकार, संतूर वादक पं. शिव कुमार शर्मा भी अब यादों के सरताज बन गए। मंगलवार को उनका स्वर्गवास हो गया। उनके निधन से संगीत प्रेमियों में शोका छा गया है। संगीत के संवर्धन के लिए आईटीसी मुगल होटल के संगीत रिसर्च इंस्ट्यूट ने सन् 1991 में आईटीसी संगीत सम्मेलनों को पूरे देश में आयोजित करने की एक नेक मुहिम शुरू की थी। ताकि शास्त्रीय संगीत का संरक्षण हो सके। इसी श्रंखला में आगरा में पहली बार यह सम्मेलन 1992 के फरवरी माह में हुआ था। उसमें 25 फरवरी को पं. शिवकुमार शर्मा का संतूर वादन व जाकिर हुसैन का तबला वादन था। पं. शिव कुमार ने सधे हुए हाथों से संतूर पर बेहतरीन धुनें निकालीं। तारों पर स्ट्रोक करके स्वरों को विस्तार दिया। परंपरागत धुनों के साथ अपने नए प्रयोगों की भी सफल प्रस्तुति दी। शिवकुमार शर्मा के साथ तबले पर संगत की थी उस्ताद जाकिर हुसैन ने। अद्भत माहौल था, एक साथ संगीत के सितारों को देखकर। इस कार्यक्रम में होटल मुगल शेरेटन के महाप्रबंधक रवि सूरी ने संगीतकारों का स्वागत किया था। संचालन संगीता झा ने किया था।
प्राइमरी से संगीत की शिक्षा के पक्षधर थे पं. शिव कुमार शर्मा
दूसरे दिन होटल मुगल शेरेटन में पत्रकारों से बात करते हुए पं. शिव कुमार शर्मा ने दूरदर्शन पर शास्त्रीय संगीतकारों की उपेक्षा पर रोष व्यक्त करते हुए प्राइमरी से संगीत शिक्षा पढाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि दूरदर्शन और आकाशवाणी शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा दे सकते हैं। लेकिन वे एसा नहीं कर रहे। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी चयन प्रक्रिया में भी पारदर्शिता नहीं है। रेडियो पर क्रिकेट कमेंट्री सुनकर रिक्शे वाला भी जान गया है कि क्रिकेट क्या होता है। लेकिन शास्त्रीय संगीत की उपेक्षा हो रही है। उन्होंने संगीत की शिक्षा में गुरू-शिष्य परंपरा को प्रमुख बताया था। उन्होंने कहा था कि कक्षा 4 या 5 से ही पाठ्यक्रम में शास्त्रीय संगीत की शिक्षा को भी जोड़ देना चाहिए। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया था कि फिल्मों से उनका सिलसिला पुराना है। झनक-झनक पायल बाजे में पार्श्व संगीत भी दिया था।
पं. शिव कुमार शर्मा ताज महोत्सव में भी आए थे कई बार
कश्मीरी वाद्ययंत्र को पूरे देश में ही नहीं विश्व में सम्मान दिलाने वाले पं. शिव कुमार शर्मा ताज महोत्सव में भी कई बार आगरा आए और अपनी प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया था। गजल गायक सुधीर नारायन ने बताया कि,
“पं. शिव कुमार शर्मा बहुत ही खुशमिजाज व्यक्तित्व थे। उन्होंने और जाकिर हुसैन साहब ने देर रात तक उनकी गजलें सुनीं थीं। शिव कुमार शर्मा जी का यूं ही चले जाने खल रहा है। अब तो स्वर्णिम युगों की यादें ही बस शेष रह गयीं हैं।”