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श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम् । नवकंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कन्जारुणम…

प्रथम सुरशरण समारोह में पं. केशव रघुनाथ तलेगाँवकर जी को भावमयी स्वरांजलि।

ब्रज पत्रिका पं. रघुनाथ तलेगाँवकर फ़ाउंडेशन ट्रस्ट एवं संगीत कला केन्द्र, पुणे द्वारा श्री रामनवमी के शुभ दिवस पर प्रथम सुरशरण समारोह का अत्यंत सुरम्य आयोजन किया गया। सभा का आरम्भ मुख्य अतिथि प्रमोद मराठे (प्राचार्य- गांधर्व महाविद्यालय) एवं सुविख्यात गायिका अनुराधा कुबेर जी ने माँ सरस्वती, श्री राम दरबार, पं. रघुनाथ तलेगाँवकर, श्रीमती सुलभा जी एवं पं. केशव तलेगाँवकर जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया।

सर्वप्रथम प्रथम पूज्य श्री गणेश जी को नमन करते हुये मास्टर अनहद राव ने “वक्रतुंड महाकाय” श्लोक का वाचन किया तत्पश्चात् पं. रघुनाथ जी द्वारा रचित सरस्वती वंदना “शक्ति भक्ति युक्ति दे माता सरस्वती”, श्री राम स्तुति “श्री राम चंद्र कृपालु भज मन” तथा मीराबाई जी का लोकप्रिय भजन “पायो जी मैंने राम रतन धन पायो” संगीत कला केन्द्र पुणे के छात्रों – मैथिली हिमांशु शेठिया, विदुला कुलकर्णी, निहारिका भंडारे, सान्वी पलसोकर, रुचिका जानेफलकर, सौम्या पटेल, जतिन नगरानी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का निर्देशन डॉ. मेघा तलेगाँवकर राव ने किया, तबला संगति रोहन उदय चिंचोरे ने की।

कार्यक्रम के अगले चरण में मुख्य अतिथि प्रमोद मराठे जी को पं. केशव रघुनाथ तलेगाँवकर जी के पुण्य स्मरण में स्थापित ‘सुरशरण सम्मान’ और अनुराधा कुबेर जी को ‘संगीत नक्षत्र सम्मान’ से दिलीप राव, सुनंदा राव, प्रतिभा केशव, संयोजक डॉ. मनोज राव एवं डॉ. मेघा तलेगाँवकर राव ने पुष्प गुच्छ, मानपत्र एवं उपवस्त्र देकर अभिनंदित किया, साथ ही आमंत्रित अतिथियों में श्रीमती कुलकर्णी (संस्थापिका घाटकोपर संगीत महाविद्यालय), प्रशांत बोडस एवं आस्था गोडबोले को स्मृति चिन्ह देकर अभिनंदित किया गया।

अतिथि कलाकार के रूप में पधारे निखिल पटवर्धन को ‘सुरशरण गौरव’ तथा संगति कलाकार राहुल आचार्य एवं रोहन उदय चिंचोरे को ‘सुरशरण सहोदर’ के मानद सम्मान से विभूषित किया गया।
सम्मान कार्यक्रम की इस शृंखला के पश्चात् संगीत कला केन्द्र की पुणे शाखा का औपचारिक उद्घाटन श्रीमती कुलकर्णी (संस्थापिका घाटकोपर संगीत महाविद्यालय) के कर कमलों से करवाया गया, साथ ही निनाद महोत्सव की स्मारिका स्मृति के संयुक्तांक का भी सभी गणमान्य अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया। इसके उपरांत केन्द्र के छात्रों को प्रमाणपत्र एवं डायरी देकर उत्साहवर्धन किया गया।

पं. केशव जी को सुरम्य स्वरांजलि देने हेतु सुविख्यात सितार वादक निखिल पटवर्धन ने अति कर्णप्रिय राग मधुवंती में 9 मात्रा, एकताल एवं द्रुत तीनताल में गत प्रस्तुत कर सुधि रसिकों को मंत्रमुग्ध किया आपके साथ तबले पर सधी हुई संगत की राहुल आचार्य ने।

कार्यक्रम का समापन डॉ. मेघा तलेगाँवकर राव एवं शुभ्रा तलेगाँवकर ने अपने पिता एवं गुरु पं. केशव जी की स्वरचित रचनाओं से उनको भावांजलि अर्पित की। जिसमें सर्वप्रथम राग बागेश्री में विलंबित मध्य लय झप ताल में “रघुवंश के राम”, मध्य लय तीन ताल में “माता बागेश्वरी” तत्पश्चात् राग श्याम कल्याण में लक्षण गीत ”श्याम को रंग कामोद संग” उसके बाद राग मालकौंस में “करिये गुरु को मान सब मिल” इसके उपरांत मा. गो. काटकर द्वारा रचित एक मराठी भावगीत “रघुपति आपल्या पदस्पर्शानी पवन मज़ केले” तथा राग हंसध्वनि में हनुमान स्तुति “महाबली बजरंग बलि” की प्रस्तुति कर कार्यक्रम को अपने आध्यात्मिक चरम तक पंहुचाया। आपके साथ तबले पर रोहन उदय चिंचोरे तथा संवादिनी पर प्रतिभा केशव ने सकुशल संगति प्रदान की।

सभा का समापन परम्परानुसार पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर जी द्वारा रचित रामधुन से किया गया जिसमें कलाकारों संयोजक समेत केन्द्र के सभी सहायकों ने अपनी भागीदारी दी एवं अपने पूज्य पं. केशव रघुनाथ तलेगाँवकर (सुरशरण) जी को भावमयी स्वरांजलि अर्पित की। अंत में सभी कार्यकर्ताओं को संस्था संयोजक डॉ. मनोज एवं मेघा राव ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

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