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संस्कृति मंत्रालय ने सुलभ इंटरनेशनल के सहयोग से ‘स्वच्छाग्रह: स्वच्छता और स्वाधीनता का उत्सव’ का आयोजन किया

अमृत ​​महोत्सव एक आत्मनिर्भर भारत के रूप में प्रधानमंत्री के भारत 2.0 सुनहरे सपने से जुड़ा है- डॉ. बिंदेश्वर पाठक

आजादी का अमृत महोत्सव के आयोजन में बच्चों को शामिल किया जाना चाहिए- विजय गोयल

ब्रज पत्रिका। संस्कृति मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, आवास और शहरी  कार्य मंत्रालय ने सुलभ इंटरनेशनल के सहयोग से आजादी का अमृत महोत्सवके तत्वावधान में 5 मार्च को नई दिल्ली में ‘स्वच्छता, स्वाधीनता औरसुलभ’ के मूल विचार के साथ व्यापक जागरूकता को प्रोत्साहित करने के लिए एक कार्यक्रम ‘स्वच्छाग्रह’ का आयोजन किया।

गांधी स्मृति के उपाध्यक्ष विजय गोयल, योग गुरु बाबा रामदेव, सुलभस्वच्छता, सामाजिक सुधार और मानवाधिकार आंदोलन के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक, संस्कृति मंत्रालय के विशेष अधिकारी रत्नेश झा, जल शक्ति मंत्रालय से उप सचिव राजीव जौहरी, निदेशक प्रियंका चंद्रा और सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की अध्यक्ष उषा चौमार भी इस कार्यक्रम में शामिल थे।

कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित किया गया था, पहले सत्र में सुलभ स्वच्छता, सामाजिक सुधार और मानवाधिकार आंदोलन के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि, 

“देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए भारत सरकार के आवास और शहरी कार्य मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के साथ हाथ मिलाने का यह एक शानदार अवसर है। अमृत महोत्सव आत्मनिर्भर भारत के रूप में प्रधानमंत्री के भारत 2.0 के सुनहरे सपने से जुड़ा है। सुलभ परिवार के रूप में हम सभी काम करने के साथ ही महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के गहन दृष्टिकोण और सपने के प्रति भी अपने विश्वास और संकल्प की पुष्टि करते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने खुले में शौच को खत्म करने और देश केसभी स्कूलों को स्वच्छता सुविधाओं से लैस करने के लिए बहुत कुछकिया है।”

इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ केंद्र के योग गुरु बाबा रामदेव ने भी दर्शकों को वर्चुअल तौर पर संबोधित किया।

दर्शकों को संबोधित करते हुए बाबा रामदेव ने कहा,

“हम सभी को समाधान का हिस्सा बनना है न कि समस्या का। आजादी के अमृत महोत्सव के इस चरण में हमें देश में एकता और सद्भाव को बढ़ावा देना है और स्वदेशी पर भी ध्यान देना है। भारत एक शक्तिशाली देश होगा जब वह अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा।”

संस्कृति मंत्रालय के विशेष अधिकारी रत्नेश झा ने अपने भाषण में कहा कि, 

“संस्कृति मंत्रालय सुलभ के स्वच्छता अभियान को आजादी का अमृत महोत्सव से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। सुलभ आजादी का अमृत महोत्सव  के दो स्तंभों – एक्शन @ 75 और रिज़ॉल्यूशन @ 75 का सबसे अच्छा उदाहरण है।”

इस अवसर पर अमृत महोत्सव पर फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग की गई।इस कार्यक्रम में एक गीत और फिल्म शोकेस के साथ स्वच्छता, स्वाधीनता और सुलभ को बढ़ाने के लिए नए विचारों और उपायों पर एक पैनल चर्चा हुई। पैनल चर्चा में स्वच्छता के विचार को आगे ले जाने के महत्व पर प्रकाश डाला गया।

शाम के सत्र का मूल विषय ‘एक शाम सुर, ताल और स्वच्छता के नाम’ था, जिसे मुख्य अतिथि विजय गोयल ने संबोधित किया।

अपने संबोधन में विजय गोयल ने कहा कि, 

“आजादी का अमृत महोत्सव का मतलब है कि हम सभी को उन लोगों को याद करना चाहिए, जिन्होंने भारत और इसकी आजादी के लिए अपना जीवन न्योछावर किया। आजादी का अमृत महोत्सव के उत्सव में बच्चों को शामिल किया जाना चाहिए।”

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने खुले में शौच को समाप्त करने और इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सुलभ के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

इस अवसर पर डॉ. सुष्मिता झा ने सरस्वती स्तुति की प्रस्तुति की।
इस कार्यक्रम में ‘ध्रुव’ संस्कृत बैंड द्वारा प्रस्तुति की गई, जो संस्कृत भाषा में वैदिक-गान और स्तोत्र-गान की भारत की सबसे पुरानी परंपरा पर आधारित पूरे विश्व का एकमात्र संगीत बैंड है। शाम को भारत के प्रमुख तबला वादक पंडिता अनुराधा पाल और ‘सुफोले’ संगीत समूह की ओर से एक संगीत प्रस्तुति दी गई, जो शानदार भारतीय एवं विश्व स्तर पर तबला वादन से सराबोर भारतीय लोक संगीत, सूफी, कव्वाली, हिंदुस्तानी और कर्नाटक शास्त्रीय संगीत के एक शानदार मिश्रण की अभिव्यक्ति को एक साथ जोड़ रही थी।

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