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भारत बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट (आईबीआरपी) के माध्यम से जहाजों से माल की आवाजाही की शुरुआत पूर्वोत्तर के पूरे क्षेत्र के लिए आर्थिक समृद्धि में नए युग की शुरुआत का प्रतीक है-हिमंत बिस्वा सरमा

भारत बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट के माध्यम से ब्रह्मपुत्र (एनडब्ल्यू 2) गंगा (एनडब्ल्यू1) से जुड़ता है, पटना से खाद्यान्न ले जाने वाला मालवाहक जहाज पांडु बदंरगाह पर रूका।

असम में कार्गो परिवहन के नए युग की शुरुआत करने के लिए एनडब्ल्यू 1 और एनडब्ल्यू 2 के बीच आईडब्ल्यूएआई द्वारा अनुसूचित नौकायन का निर्धारण किया गया।

सिराजगंज-दाईख्वावा और आशुगंज-जकीगंज को आईबीआरपी पर विकसित करने के लिए 305.84 करोड़ रुपये का निवेश।

पहली बार चार मालवाहक जहाजों से खाद्यान्न और टीएमटी बार ले जाया जा रहा है।

ब्रज पत्रिका। केंद्रीय पत्तन, नौवहन और जलमार्ग एवं आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने गुवाहाटी में पटना से बांग्लादेश होते हुए पांडु तक खाद्यान्न की पहली जलयात्रा का स्वागत किया। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा और गुवाहाटी से लोकसभा के सांसद क्वीन ओजा के साथ भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के अध्यक्ष संजय बंदोपाध्याय समारोह में शामिल हुए और उन्होंने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के लिए कुल 200 मीट्रिक टन खाद्यान्न ले जाने वाले स्व-चालित जहाज एमवी लाल बहादुर शास्त्री का स्वागत किया, क्योंकि इसने पटना से पांडु तक बांग्लादेश के रास्ते पहला पायलट रन पूरा किया। असम और पूर्वोत्तर भारत के लिए अंतर्देशीय जल परिवहन के एक नए युग की शुरुआत करते हुए आईडब्ल्यूएआई एनडब्ल्यू1 और एनडब्ल्यू 2 के बीच एक निर्धारित अनुसूचित नौकायन की योजना बना रहा है।

इस जहाज ने राष्ट्रीय जलमार्ग -1 (गंगा नदी) पर पटना से अपनी यात्रा शुरू की और भागलपुर, मनिहारी, साहिबगंज, फरक्का, त्रिबेनी, कोलकाता, हल्दिया, हेमनगर से होते हुए गुजरा, भारत बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) मार्ग के खुलना, नारायणगंज, सिराजगंज, चिलमारी और राष्ट्रीय जलमार्ग-2 के धुबरी और जोगीघोपा होते हुए 2,350 किमी की दूरी को तय किया। इस अद्भुत शुरुआत का गणमान्य लोगों ने स्वागत किया, जिसमें कार्गो आवाजाही में क्रांतिकारी बदलाव की क्षमता है। एक अन्य जहाज एमवी राम प्रसाद बिस्मिल दो नौका ( मालवाह नाव) कल्पना चावला और एपीजे अब्दुल कलाम के साथ 17 फरवरी 2022 को हल्दिया से यात्रा शुरू की और पांडु जाने के रास्ते में है। जहाज 1800 एमटी मीट्रिक टन टाटा स्टील ले जा रहा है, जो पहले ही बांग्लादेश की सीमा धुबरी में पहुंच गया है। नुमालीगढ़ बायो-रिफाइनरी का ओडीसी (ओवर डायमेंशनल कार्गो, 252 एमटी) आईबीपी मार्ग से आईडब्ल्यूटी के माध्यम से हल्दिया से 15 फरवरी को सिलघाट पहुंचा। एक अन्य ओडीसी (250एमटी) खेप भी सिलघाट के रास्ते में है।

इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि, 

“भारत बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट (आईबीआरपी) के माध्यम से जहाजों से माल की आवाजाही की शुरुआत पूर्वोत्तर के पूरे क्षेत्र के लिए आर्थिक समृद्धि में नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। मुझे विश्वास है कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की दृष्टि और हमारे केंद्रीय पत्तन, नौवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल डांगोरिया की मेहनत अंतर्देशीय जल परिवहन में वृद्धि और विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।”

इस ऐतिहासिक अवसर पर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि, 

“आज का दिन असम में अंतर्देशीय जल परिवहन के एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। यह व्यवसाय करने वाले समूह को एक व्यवहार्य, आर्थिक और पारिस्थितिक विकल्प प्रदान करने जा रहा है। निर्बाध कार्गो परिवहन असम के लोगों की अतृप्त इच्छाओं और आकांक्षाओं की यात्रा है। प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में पूर्वोत्तर क्षेत्र अष्टलक्ष्मी के मूल्य को सामने लाने को तैयार है। हमें विश्वास है कि जलमार्ग के माध्यम से माल की आवाजाही भारत के पूर्वोत्तर को विकास के इंजन के रूप में सक्रिय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है। प्रधानमंत्री गति शक्ति के तहत बांग्लादेश के रास्ते ऐतिहासिक व्यापार मार्गों को फिर से जीवंत करने के निरंतर प्रयास को प्रोत्साहन मिला है। यह कल्पना की गई है कि पूर्वोत्तर धीरे-धीरे कनेक्टिविटी हब के रूप में परिवर्तित हो जाएगा। पीएम गति शक्ति के तहत एकीकृत विकास योजना की कल्पना की गई है, ताकि ब्रह्मपुत्र में कार्गो की तेजी से आवाजाही हो सके।”

आईडब्ल्यूएआई भी इन मार्गों पर एक नियमित अनुसूचित सेवा चलाने की योजना बना रहा है। भारत और बांग्लादेश के बीच अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार (पीआईडब्ल्यूटीटी) पर प्रोटोकॉल बेहतर रूप से फायदेमंद होगा, जब हम इस क्षेत्र में कार्गो व्यापार को बढ़ाने पर काम करेंगे। नौवहन क्षमता में सुधार के लिए आईबीपी मार्गों के दो हिस्सों, सिराजगंज-दाईख्वावा और आशुगंज-जकीगंज को भी 80:20 अनुपात (80 प्रतिशत भारत द्वारा और 20 प्रतिशत बांग्लादेश द्वारा वहन किया जा रहा है) के आधार पर 305.84 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है। इन हिस्सों के विकास से आईबीपी मार्ग के माध्यम से एनईआर को निर्बाध नौवहन होने की उम्मीद है। सात वर्षों (2019 से 2026 तक) की अवधि के लिए जहाजों को अपेक्षित गहराई प्रदान करने और इसे बनाए रखने के लिए दो हिस्सों पर अनुबंध के तहत तल को गहरा करने (ड्रेजिंग) के काम चल रहे हैं। आईबीपी रूट नंबर 5 और 6 भारत में फरक्का के पास मेया से बांग्लादेश में अरिचा तक एनडब्ल्यू1 से एनडब्ल्यू2 (पूर्वोत्तर क्षेत्र) को जोड़ने वाली आईडब्ल्यूटी दूरी लगभग 1,000 किमी कम हो जाएगी, जिससे समय और लागत भी काफी हद तक घट जाएगी।

प्रधानमंत्री की एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) ने भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के माध्यम से राष्ट्रीय जलमार्ग-1, भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग और एनडब्ल्यू2 पर कई आधारभूत सुविधाओं से संबंधित परियोजनाएं शुरू की हैं। इन कदमों से जलमार्गों के माध्यम से उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) के साथ संपर्क में सुधार होगा।

सरकार ने 2,000 टन तक के जहाजों की सुरक्षित और सतत आवाजाही के लिए एनडब्ल्यू 1 (गंगा नदी) की क्षमता वृद्धि को लेकर लगभग 4,600 करोड़ रुपये के निवेश के साथ महत्वाकांक्षी जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) शुरू की है।

यह ऐतिहासिक उपलब्धि पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्यों के लिए विकास के एक नए युग की शुरुआत करेगी। यह जलमार्ग उन भूबंधित क्षेत्रों से होकर जाएगा, जो लंबे समय से विकास के संबंध में पिछड़ा हुआ है। यह जलमार्ग न केवल इस क्षेत्र में प्रगति की राह में इस भौगोलिक बाधा को दूर करता है, बल्कि व्यापार व क्षेत्र के लोगों के लिए एक सस्ता, तेज और सुविधाजनक परिवहन भी प्रदान करता है।

बैठक में आईडब्ल्यूएआई के अध्यक्ष संजय बंदोपाध्याय के साथ श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह के अध्यक्ष विनीत कुमार और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी शामिल रहे।

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